तेन्दुलकर को ग़ुस्सा क्यों आता है.
तेन्दुलकर गुरू ग्रेग से क्यों नाराज है सिर्फ इसलिये कि उसने कुछ सीनियर खिलाड़ियों के बारे मे कहा है। तेन्दुलकर ही तो अकेले सीनियर खिलाडी नही है फिर इतना ग़ुस्सा क्यों है। जैसा कि तेन्दुलकर कह रहे है कि उन्होने क्रिकेट को अपनी जिंदगी के सत्रह साल दिए है तो इसी क्रिकेट ने उन्हें महान खिलाडी तेन्दुलकर भी बनाया है। और इसी क्रिकेट की बदौलत उनके पास इतने विज्ञापन और बड़ी -बड़ी कम्पनियों के करार भी है। ऐसा नही है की आप ने ही क्रिकेट को सब कुछ दिया है सचिन इस क्रिकेट ने उससे कहीँ ज्यादा आप को दिया है।
अगर खिलाडी अच्छा नही खेलेंगे तो उन्हें हर तरह की आलोचना तो सुननी ही पडेगी। ये तो कोई बात नही हुई । माना की आप क्रिकेट के लिए पूरी तरह समर्पित है तो वो समर्पण हमे विश्व कप मे क्यों नही दिखाई दिया। ये तो एक तरह से अपने आप को बचाने वाली बात हुई। अरे सचिन जब भी आप अच्छा नही खेले देश और क्रिकेट प्रेमी हमेशा आप के साथ रहे पर आख़िर कब तक?
और सचिन आप ने वो कहावत तो सुनी ही है - अब पछताये होत क्या जब चिड़िया चुग गयी खेत।
अगर खिलाडी अच्छा नही खेलेंगे तो उन्हें हर तरह की आलोचना तो सुननी ही पडेगी। ये तो कोई बात नही हुई । माना की आप क्रिकेट के लिए पूरी तरह समर्पित है तो वो समर्पण हमे विश्व कप मे क्यों नही दिखाई दिया। ये तो एक तरह से अपने आप को बचाने वाली बात हुई। अरे सचिन जब भी आप अच्छा नही खेले देश और क्रिकेट प्रेमी हमेशा आप के साथ रहे पर आख़िर कब तक?
और सचिन आप ने वो कहावत तो सुनी ही है - अब पछताये होत क्या जब चिड़िया चुग गयी खेत।
Comments
मुझे पता नहीं कि आपको क्रिकेट का कितना ज्ञान है, लेकिन लगता है कि आप भी लाखों लोगों की तरह भावनाओं में बहकर तेंडुलकर पर टिप्पणी कर रहीं हैं, यही तेंडुलकर सिर्फ़ छः महीने पहले ही टीम और देश के लिये एक जरूरी दवाई थे, जिसके बिना टीम में उत्साह का संचार नहीं होता था, पाकिस्तान को पाकिस्तान में जाकर धोये हुए अभी ज्यादा दिन नहीं हुए हैं, दुर्योगवश विश्व कप में एक-दो मैच क्या खराब हुए सारा मीडिया (सारे फ़र्जी) तेंडुलकर के पीछे ही पड गया है, और मैं आपको यकीन दिलाता हूँ कि यही मीडिया ज्यादा नहीं सिर्फ़ ६-८ महीने बाद ही तेंडुलकर को महान बताने लगेगा, और लोग भी. लेकिन तेंडुलकर को निशाना बनाने से टीआरपी बढती है, बाकी खिलाडियों ने विश्व कप में ऐसे कौन से झंडे गाड दिये ? युवाओं-युवाओं को मौका दो, मौका दो चिल्लाने वालों से पूछना चाहिये कि किस युवा ने पिछले एक-दो सालों मे धमाकेदार प्रदर्शन किया है. अन्त में सिर्फ़ एक ही बात कि "हाथी अगर बैठ भी जाये तो गधे से ऊँचा ही रहता है" (अब यह ना पूछियेगा कि गधा या गधे कौन हैं)