क्या स्त्री-पुरुष एक-दुसरे के पूरक नही हो सकते है ?
स्त्री और पुरुष के बिना किसी भी समाज की कल्पना नही की जा सकती है।क्यूंकि ना तो केवल स्त्रियों और ना ही केवल पुरुषों से ही समाज या संसार चलता है।किसी भी इमारत की नींव हमेशा मजबूत होनी चाहिऐ क्यूंकि अगर नींव कमजोर होगी तो इमारत ढह जायेगी।और जिस समाज या संसार मे हम रहते है उसकी नींव स्त्री-पुरुष दोनो होते है।जिस तरह एक इमारत को खड़ा करने के लिए नींव और खम्भों की जरुरत होती है उसी तरह समाजऔर घर-परिवार रूपी इमारत को खड़ा करने मे स्त्री और पुरुष दोनो की बराबर की हिस्सेदारी होती है। जरा भी संतुलन बिगड़ता हैतो इमारत के ढहने का खतरा हो जाता है।
स्त्री को जहाँ जननी और अन्नपूर्णा कहा गया है वहीं पुरुष को पालनहार माना गया है।जननी इस शब्द से ही ज्ञात होता है कि एक नए जीवन को इस संसार मे लाना यानी जन्म देना।और जननी के साथ ही जन्मदाता को हम भूल नही सकते है क्यूंकि किसी भी नए जीवन को संसार मे लाने मे जननी और जन्मदाता दोनो की समान भूमिका होती है।
प्राचीन समय मे भले ही स्त्रियों की दशा खराब थी पर आज के समय मे स्त्रियाँ पुरुषों के कंधे से कन्धा मिल कर चल रही है। और आज का समय अब वो नही रहा जहाँ सिर्फ स्त्रियाँ घर-बार ही संभालती हो और पुरुष बाहरी जगत यानी नौकरी करते हो। अब तो स्त्री और पुरुष दोनो नौकरी भी करते है और घर-परिवार की जिम्मेदारी भी बराबर से उठाते है।हम कुछ ऐसे परिवारों को जानते है जहाँ पति-पत्नी दोनो नौकरी करते है और दोनो को ही ऑफिस से आने मे देर होती है पर उन परिवारों मे एक बात बहुत अच्छी है वो है आपसी सामंजस्य क्यूंकि बिना इसके परिवार को चला पाना बड़ा मुश्किल होता है।और आपसी सामंजस्य और सूझबूझ ना केवल नौकरी करने वालो बल्कि घर मे रहने वाली गृहणियों (होम मेकर) के परिवारों के बीच मे भी होना नितांत आवश्यक है।
आज किसी भी क्षेत्र मे वो चाहे शिक्षा ,खेल , राजनीति ,लेखन ,फिल्मी दुनिया,और चाहे अपना ब्लॉगिंग जगत ही क्यों ना हो आज पुरुषों की तरह स्त्रियाँ भी इन सभी जगहों पर बराबरी से भाग ले रही है (वैसे ब्लॉगिंग के लिए अभी ये कहना जल्दी है क्यूंकि यहां स्त्रियों की संख्या पुरुषों की तुलना मेबहुत कम है )।जहाँ लिज्जत पापड़ जो की महिलाओं की एक सहकारी संस्था है और जिसने बडे ही छोटे स्तर से शुरुआत करके आज अपना ये मुकाम बनाया है। तो वहीं राजस्थान मे भी महिलाओं ने सहकारी संस्था बनाकर डेरी प्रोडक्ट को बढावा दिया। इससे ना केवल महिलायें आत्मनिर्भर हुई बल्कि अपने घर-परिवार को भी सहयोग प्रदान किया।
इसलिए जहाँ तक हमारा मानना है वो ये है कि अब समय बदल रहा है इसलिए अब स्त्री-पुरुष को एक दूसरे का पूरक मानना चाहिऐ । आप क्या सोचते है।
स्त्री को जहाँ जननी और अन्नपूर्णा कहा गया है वहीं पुरुष को पालनहार माना गया है।जननी इस शब्द से ही ज्ञात होता है कि एक नए जीवन को इस संसार मे लाना यानी जन्म देना।और जननी के साथ ही जन्मदाता को हम भूल नही सकते है क्यूंकि किसी भी नए जीवन को संसार मे लाने मे जननी और जन्मदाता दोनो की समान भूमिका होती है।
प्राचीन समय मे भले ही स्त्रियों की दशा खराब थी पर आज के समय मे स्त्रियाँ पुरुषों के कंधे से कन्धा मिल कर चल रही है। और आज का समय अब वो नही रहा जहाँ सिर्फ स्त्रियाँ घर-बार ही संभालती हो और पुरुष बाहरी जगत यानी नौकरी करते हो। अब तो स्त्री और पुरुष दोनो नौकरी भी करते है और घर-परिवार की जिम्मेदारी भी बराबर से उठाते है।हम कुछ ऐसे परिवारों को जानते है जहाँ पति-पत्नी दोनो नौकरी करते है और दोनो को ही ऑफिस से आने मे देर होती है पर उन परिवारों मे एक बात बहुत अच्छी है वो है आपसी सामंजस्य क्यूंकि बिना इसके परिवार को चला पाना बड़ा मुश्किल होता है।और आपसी सामंजस्य और सूझबूझ ना केवल नौकरी करने वालो बल्कि घर मे रहने वाली गृहणियों (होम मेकर) के परिवारों के बीच मे भी होना नितांत आवश्यक है।
आज किसी भी क्षेत्र मे वो चाहे शिक्षा ,खेल , राजनीति ,लेखन ,फिल्मी दुनिया,और चाहे अपना ब्लॉगिंग जगत ही क्यों ना हो आज पुरुषों की तरह स्त्रियाँ भी इन सभी जगहों पर बराबरी से भाग ले रही है (वैसे ब्लॉगिंग के लिए अभी ये कहना जल्दी है क्यूंकि यहां स्त्रियों की संख्या पुरुषों की तुलना मेबहुत कम है )।जहाँ लिज्जत पापड़ जो की महिलाओं की एक सहकारी संस्था है और जिसने बडे ही छोटे स्तर से शुरुआत करके आज अपना ये मुकाम बनाया है। तो वहीं राजस्थान मे भी महिलाओं ने सहकारी संस्था बनाकर डेरी प्रोडक्ट को बढावा दिया। इससे ना केवल महिलायें आत्मनिर्भर हुई बल्कि अपने घर-परिवार को भी सहयोग प्रदान किया।
इसलिए जहाँ तक हमारा मानना है वो ये है कि अब समय बदल रहा है इसलिए अब स्त्री-पुरुष को एक दूसरे का पूरक मानना चाहिऐ । आप क्या सोचते है।
Comments
kya striyon kae yae mananae sae esa ho jayega ??
ठीक वैसे ही जैसे बैलगाड़ी के दो पहिए, एक के बिना दूसरे का होना न होना एक बराबर!