कैरी (आम नही खास)
आज की हमारी ये पोस्ट हमारे कैरी के नाम है। अभी कुछ दिन पहले ज्ञान जी ने और उसके बाद मुन्ने की माँ ने और अभी कुछ दिन पहले अनुराधा जी ने अपनी सैमी का जिक्र किया तो हमने सोचा की क्यों ना आज हम आप लोगों को कैरी से मिलवा दें। कहीं आप कैरी से आम तो नही समझ रहे है । नही जी ये आम नही कुछ खास ही है।
कैरी को घर मे लाने के पीछे भी एक कहानी है। हमारे पतिदेव और दोनों बेटों को हमेशा से doggi पालने का शौक था पर हम इससे भागते थे । हमारे मायके मे हमेशा ही doggi पाले गए है।पर मायके मे हमारे भईया और एक बहन को छोड़कर हम तीन बहनों को ऐसा कोई शौक नही था। जब हम लोग दिल्ली मे थे तो फ्लैट्स मे रहने थे इसलिए वहां कभी doggi पालने का ख़्याल भी मन मे नही आया।सिर्फ doggi को छोड़कर कभी ना कभी हमने हर तरह के pet पाले थे जैसे बिल्ली,खरगोश,चिडिया,मछली,तोता पर doggi पालने से हम हमेशा ही दूर रहे। हम जितना कुत्ते से दूर रहने वाले हमारे बेटे उतने ही कुत्ते के दीवाने। हमारे बेटे doggi के इतने दीवाने कि दिल्ली मे हम लोगों की कॉलोनी मे जो भी कुत्ते के बच्चे होते थे उन्हें ये लोग घर ले आते थे. और गैराज मे उनके लिए घर बनाते थे ।हम doggi को खाना वगैरा तो देते थे पर घर मे कभी नही आने देते थे। हमनें बेटों को ये कहकर हमेशा मना किया कि यहां छोटे घर मे कैसे पालेंगे।और हमारा ये तर्क भी होता कि कुत्ते को घुमायेगा कौन ? क्यूंकि हमें कुत्ता घुमाने से सख्त नफरत थी।
खैर हमारे बेटे बडे हो गए और जब हम गोवा आये तो यहां पर खूब बड़ा घर और चारों और खूब खुली जगह और साथ मे हर तरह के जंगली जानवर। दिल्ली मे तो हमने कभी ध्यान ही नही दिया पर यहां के अखबार मे रोज ही pets के विज्ञापन निकलते है जिनमे हर breed के कुत्तों का विज्ञापन भी होता है ।यहां आकर ही इतनी सारीbreed के नाम भी पता चले। उन दिनों बेटे यही पर थे सो बेटे पीछे पड़ गए कि अभी तक तो आप हमेशा मना करती थी कि छोटे फ्लैट मे कुत्ता नही पालेंगे पर यहां तो इतना बड़ा घर है। अब आप क्यों नही पालती है।बेटे ये भी तर्क देते कि सुरक्षा की दृष्टि से भी इस घर मे कुत्ता होना ही चाहिऐ। खैर पतिदेव और बेटों के जोर देने पर विज्ञापन देखकर हमने कुछ एक लोगों को फ़ोन किया।
पर कुत्ता खरीदना भी कोई हंसी-खेल नही है ये हमने गोवा आकर ही जाना ।इतनी breed और इतने ज्यादा दाम हम तो बिल्कुल कन्फुज ही हो जाते थे।इसलिए हमने कुत्ता खरीदने का आईडिया ही छोड़ दिया। पर हमारे बेटे भी कहाँ मानने वाले थे हमें एमोशनली ब्लैकमेल किया और बस हम जाके कैरी जो कि boxer नस्ल का है को ले आये।इसका कैरी नाम इसलिए रक्खा क्यूंकि नब्बे के दशक मे the mask फिल्म आई थी और उसका हीरो जिम कैरी हम लोगों को बहुत पसंद था ।
हमारे मायके वालों और दूसरे सभी को ये सुनकर आश्चर्य हुआ कि ममता ने कैसे कुत्ता पाल लिया।वैसे हम तो कैरी को दुखीराम भी बुलाते है वो क्यों ये आप photo देख कर ही समझ जायेंगे।:)
और धीरे-धीरे कैरी घर का सबसे प्रिय सदस्य कब बन गया पता ही नही चला।अब तो रोज सुबह छे बजे कैरी हम लोगों को टहलने के लिए उठाता है। पहले तो हम टहलने इतने नियमित रुप से नही जाते थे क्यूंकि हमें अपनी सुबह की नींद बड़ी प्यारी है पर अब तो टहले बिना चैन ही नही है।या यूं कहें कि कैरी को हमे टहलाये बिना चैन नही है।
कैरी को घर मे लाने के पीछे भी एक कहानी है। हमारे पतिदेव और दोनों बेटों को हमेशा से doggi पालने का शौक था पर हम इससे भागते थे । हमारे मायके मे हमेशा ही doggi पाले गए है।पर मायके मे हमारे भईया और एक बहन को छोड़कर हम तीन बहनों को ऐसा कोई शौक नही था। जब हम लोग दिल्ली मे थे तो फ्लैट्स मे रहने थे इसलिए वहां कभी doggi पालने का ख़्याल भी मन मे नही आया।सिर्फ doggi को छोड़कर कभी ना कभी हमने हर तरह के pet पाले थे जैसे बिल्ली,खरगोश,चिडिया,मछली,तोता पर doggi पालने से हम हमेशा ही दूर रहे। हम जितना कुत्ते से दूर रहने वाले हमारे बेटे उतने ही कुत्ते के दीवाने। हमारे बेटे doggi के इतने दीवाने कि दिल्ली मे हम लोगों की कॉलोनी मे जो भी कुत्ते के बच्चे होते थे उन्हें ये लोग घर ले आते थे. और गैराज मे उनके लिए घर बनाते थे ।हम doggi को खाना वगैरा तो देते थे पर घर मे कभी नही आने देते थे। हमनें बेटों को ये कहकर हमेशा मना किया कि यहां छोटे घर मे कैसे पालेंगे।और हमारा ये तर्क भी होता कि कुत्ते को घुमायेगा कौन ? क्यूंकि हमें कुत्ता घुमाने से सख्त नफरत थी।
खैर हमारे बेटे बडे हो गए और जब हम गोवा आये तो यहां पर खूब बड़ा घर और चारों और खूब खुली जगह और साथ मे हर तरह के जंगली जानवर। दिल्ली मे तो हमने कभी ध्यान ही नही दिया पर यहां के अखबार मे रोज ही pets के विज्ञापन निकलते है जिनमे हर breed के कुत्तों का विज्ञापन भी होता है ।यहां आकर ही इतनी सारीbreed के नाम भी पता चले। उन दिनों बेटे यही पर थे सो बेटे पीछे पड़ गए कि अभी तक तो आप हमेशा मना करती थी कि छोटे फ्लैट मे कुत्ता नही पालेंगे पर यहां तो इतना बड़ा घर है। अब आप क्यों नही पालती है।बेटे ये भी तर्क देते कि सुरक्षा की दृष्टि से भी इस घर मे कुत्ता होना ही चाहिऐ। खैर पतिदेव और बेटों के जोर देने पर विज्ञापन देखकर हमने कुछ एक लोगों को फ़ोन किया।
पर कुत्ता खरीदना भी कोई हंसी-खेल नही है ये हमने गोवा आकर ही जाना ।इतनी breed और इतने ज्यादा दाम हम तो बिल्कुल कन्फुज ही हो जाते थे।इसलिए हमने कुत्ता खरीदने का आईडिया ही छोड़ दिया। पर हमारे बेटे भी कहाँ मानने वाले थे हमें एमोशनली ब्लैकमेल किया और बस हम जाके कैरी जो कि boxer नस्ल का है को ले आये।इसका कैरी नाम इसलिए रक्खा क्यूंकि नब्बे के दशक मे the mask फिल्म आई थी और उसका हीरो जिम कैरी हम लोगों को बहुत पसंद था ।
हमारे मायके वालों और दूसरे सभी को ये सुनकर आश्चर्य हुआ कि ममता ने कैसे कुत्ता पाल लिया।वैसे हम तो कैरी को दुखीराम भी बुलाते है वो क्यों ये आप photo देख कर ही समझ जायेंगे।:)
और धीरे-धीरे कैरी घर का सबसे प्रिय सदस्य कब बन गया पता ही नही चला।अब तो रोज सुबह छे बजे कैरी हम लोगों को टहलने के लिए उठाता है। पहले तो हम टहलने इतने नियमित रुप से नही जाते थे क्यूंकि हमें अपनी सुबह की नींद बड़ी प्यारी है पर अब तो टहले बिना चैन ही नही है।या यूं कहें कि कैरी को हमे टहलाये बिना चैन नही है।
Comments
लगता है आपने वो पुरानी गाली को जिम कैरी पर लागू कर दिया कि "तेरे नाम का कुत्ता पालूं" ;)
हम भी कुत्ते (सॉरी मै अपने पालतू के लिए ये शब्द प्रयोग नही करना चाहता) पालने के बहुत शौकींन रहे है। आपकी कैरी के बारें मे पढते हुए, मुझे अपनी सिड्रेला और जिनी की याद आ गयी।