कोरोना और चालीस दिन ( लॉकडाउन २.० ) उन्नीसवाँ दिन

ये पढ़कर कहीं अली बाबा और चालीस चोर तो नहीं याद आ गये । 😊

वैसे चालीस दिन में तो जचचा भी सौरी से बाहर आ जाती है । पर ये कोरोना चालीस दिन बाद भी ख़त्म नहीं हुआ ।

खैर चलिये सबसे पहले तो बधाई हो ।

क्यों ?

अरे आज लॉकडाउन २.० का आख़िरी दिन है और हम सबने खाते पीते ,काम करते हुये सफलतापूर्वक दो लॉकडाउन पूरे कर लिये है । दो लॉकडाउन मतलब चालीस दिन ।

तो चलिये इन दो लॉकडाउन मतलब चालीस दिन की कुछ समीक्षा की जाये बिलकुल वैसे ही जैसे सकूल के समय में करते थे । इसके फ़ायदे और नुक़सान ।

वैसे जहाँ तक हमें लगता है इसके फ़ायदे ज़्यादा है नुक़सान कम ।


कमाल की बात है ना कि इन चालीस दिनों में कोरोना नें हमसे काम तो बहुत कराया पर कुछ फ़ायदे भी हुये ।

अब सबसे बड़ा फ़ायदा कि हम सब पूरी तरह आत्मनिर्भर हो गये है । 👍

दूसरा फ़ायदा कि हम सबके अंदर छुपा हुआ शेफ़ और हलवाई दोनों बाहर आ गये । 😋

तीसरा फ़ायदा ख़र्चे बहुत सीमित हो गये है और इससे एक बात साफ़ हो गई कि हम लोग फ़ालतू में फ़िज़ूलखर्ची करते ।

चौथा फ़ायदा बचत -- अब जब फ़िज़ूलखर्ची बंद हो गई तो बचत ही बचत ।

पांचवां फ़ायदा ख़ुद से ख़ुद की पहचान ।

छठां फ़ायदा पुराने शौक को दोबारा जीना ।

सातवाँ फ़ायदा टाइम मैनेजमेंट आ गया ।

आठवाँ फ़ायदा घर पर रहने की आदत सी हो जाना ।

नवाँ फ़ायदा प्रदूषण कम हो गया । जिसकी वजह से पर्यावरण साफ़ और शुद्ध हो गया ।

दसवाँ और सबसे बड़ा फ़ायदा कि परिवार के साथ इतना समय बिताने का मौक़ा वरना कहाँ मिलता है ।



वैसे इसके ज़्यादा तो नहीं पर कुछ नुक़सान हमारी नज़र में हैं तो ।


अब कई बार घर से बाहर ना जा सकने की वजह से मन उचटने सा लगता है कि क्या मुसीबत है बस घर में बंद रहो सारे समय । और कई बार इससे स्ट्रैस सा होने लगता है ।


बाहर सुबह और शाम का टहलना बिलकुल बंद हो गया है ।


दोस्तों से मिलना और गप्पें मारना तो अब बहुत दूर की बात हो गई है ,मतलब सब बंद जो है ।

खा खा के वज़न भी बढ जाने का डर है । 😃



अब सारे फ़ायदे -नुक़सान हम ही बतायेंगे । कुछ आप भी तो बताइये ।









Comments

Popular posts from this blog

क्या चमगादड़ सिर के बाल नोच सकता है ?

जीवन का कोई मूल्य नहीं

सूर्य ग्रहण तब और आज ( अनलॉक २.० ) चौदहवाँ दिन