हाय हाय गरमी ( लॉकडाउन ४.० ) ग्यारहवाँ दिन

सच्ची में आजकल तो बस यही गाते हुये हम घूम रहें है

हाय हाय गरमी उफ़ उफ़ गरमी


पहले तो इन्द्र देवता अपनी कृपा बनाये हुये थे और हम लोग खूब ख़ुश भी थे कि अरे इस बार तो गरमी पता ही नहीं चल रही है ।

पर लगता है सूर्य देव ने ये बात सुन ली और उन्होंने जो तपती जलती धूप और गरमी करी कि बस हाय हाय करते ही दिन बीत रहा है । 😏

इतनी भीषण गरमी पड़ रही है कि ए.सी चल रहा है ये भी पता नही चलता है और इसलिये कभी कभी लगता है कि ए.सी ठंडा नहीं कर रहा है । पर जब कमरे से बाहर निकलते है तब लगता है कि हाँ ए.सी काम कर रहा है ।


हम लोग तो घरों में रहते हुये गरमी को झेल नहीं पा रहें है पर उन मज़दूरों के बारे में सोचकर ही दिल काँप उठता है जो इस कोरोना और लॉकडाउन के कारण शहरों में अपने बसे बसाये घरों को छोड़कर इस चिलचिलाती धूप में अपने गाँवों की ओर चले जा रहें है ।


उनकी हिम्मत को सलाम ।

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