सठियाने का मजा कुछ अजब हो गया ( लॉकडाउन ३.० ) आठवाँ दिन

दो हजार बीस का इंतज़ार हम पिछले दो सालों से मतलब दो हज़ार अट्ठारह से कर रहे थे क्योंकि बीस में हम साठ साल के होने वाले जो थे ।

और दो हज़ार बीस ऐसा आया कि बस क्या कहें । आप सब भी तो जानते है कि क्या हो रहा है इस साल ।


वैसे इस साल फ़रवरी में हम साठ साल के हो भी गये पर मार्च आते आते ये कोरोना भी आ गया । और फिर सठियाने का मजा़ कुछ अलग सा हो गया । 😊



वो तो ग़नीमत थी कि हम अपना जन्मदिन उदयपुर में मना आये । 😛


इस कोरोना और लॉकडाउन के कारण पूरी तरह से सठियाने का रूप कुछ अलग ही हो गया है । वैसे तो रूप अच्छा ही है । 😆


पर हमारा और पतिदेव का रशिया घूमने का प्रोग्राम था वो कोरोना की भेंट चढ़ गया ।



अब अपने सकूल ग्रुप के साथ दो साल से दुबई का प्रोग्राम बना था कि जब हम सब ( सारी लड़कियाँ ) साठ साल की हो जायेंगी तो सब वहाँ घूमने जायेंगे । वो भी कोरोना की भेंट चढ़ गया ।


और क्या मिला सठियाने पर घर पर रहना , भिन्न भिन्न प्रकार के व्यंजन बनाने की कोशिश करना और पूरा समय घर पर ही व्यतीत करना , जो अच्छा भी है और सुखद भी है ।

पर वो सठियाने वाली फीलिंग इस सबमें भूली और गुम सी हुई जा रही है । 😀




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