ये तो होना ही था ( लॉकडाउन २.० ) अट्ठारहवां दिन

वैसे तो लॉकडाउन २.० ख़त्म होने में एक और दिन बाक़ी है पर कल ही ये ख़बर भी आ गई कि पूरे देश में लॉकडाउन दो और हफ़्तों के लिये बढ़ाया जा रहा है । यानि की सोमवार मतलब ४ मई से अगले पन्द्रह दिन तक के लिये ।


अब इस लॉकडाउन के बढ़ने की तो हम सबको उम्मीद भी थी और पता भी था । क्यों कि जिस तरह कोरोना फैल रहा है उसको देखते हुये तो लॉकडाउन को बढ़ना ही था । जब लॉकडाउन के चलते रोज़ नये मरीज़ों की संख्या बढ रही है । पर क्यूँ बढ रही है । ये पता नहीं । कई बार तो सोशल डिसटेंसिंग भी कहीं कहीं दिखाई नहीं देती है ।

क्यों क्या आपको ऐसी उम्मीद नहीं थी ।

पर हमें तो पूरी उम्मीद ही नहीं बल्कि यक़ीन भी था ।

लॉकडाउन २.० तक तो हम लोग घर में रहने के आदी हो गये है पर हम लोगों की कारें बेचारी पार्किंग में खडे -खडे बोर हो रहीं होंगीं । अब कार से जाये भी तो कहाँ जाये । जब घर से बाहर जाने पर ही पाबंदी है तो कार को कहाँ घुमाया अरे मतलब चलाया जाये । ज़्यादा से ज़्यादा सब्ज़ी ख़रीदने या पेट्रोल पंप तक ।


वैसे इस तीसरे लॉकडाउन में शायद लोगों को कुछ बाहर निकलने का मौक़ा मिले क्योंकि कुछ जगहों पर लोगों को रियायत दी जा रही है । अब जैसे लॉकडाउन ३.० में पान और शराब की दुकानों को खोला जायेगा । अब देखना ये है कि वहाँ कैसे और कितनी सोशल डिसटेंसिंग रखी जायेगी ।


पर एक बात तो है कि इतने सारे लॉकडाउन के चलते हम सब घर के आराम के आदी होते जा रहें है और जब लॉकडाउन हटना शुरू होगा तब बड़ी मुश्किल होगी क्यों कि सड़क और बाज़ार वग़ैरा में लोगों की भीड़ देखने की सबकी आदत जो ख़त्म होती जा रही है ना ।


खैर अभी तो वो दिन आने में बहुत समय बाक़ी है ।


तो फिलहाल कमर कस कर काम करते रहिये और नये नये व्यंजन बनाते रहिये और ख़ुद खाइये ,घरवालों को खिलाइये और ख़ुश रहिये ।








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