कितने बर्तन तोड़े ( लॉकडाउन ४.० ) दूसरा दिन

यूँ तो कोरोना के चलते लॉकडाउन में काम करते करते हम लोग पक्के हो गये है । पर शुरूआती दिनों में तो पहले पहल मुश्किलें भी आती थी ।

हमें तो बहुत डर भी लगता था कि कहीं ज़्यादा बर्तन ना टूट जायें क्योंकि इस लॉकडाउन में अगर ज़्यादा बर्तन तोड़ दिये तो ख़रीदना मुश्किल जो था । अरे बाज़ार जो बंद थे ।


तो क्या इन बीते दिनों में कोई बर्तन तोड़ा है कि नहीं ।


मेरा मतलब इस लॉकडाउन में बर्तन धोते हुये कभी कोई कप या ग्लास या प्लेट तोड़ी या नहीं ।


हमने तो इतने दिनों में सिर्फ़ एक कप चिटकाया है वो भी हमारी ग़लती से नहीं । कप को बाक़ी बर्तन बैठने नहीं होने दे रहे थे और उसे धक्का मार कर थोडा नीचे की तरफ़ ढकेल दिया ।


अब नाज़ुक कप कहाँ गिरना बर्दाश्त कर पाता । बस चिटक गया । 😜

इतना तो चलता है । 🤣

क्यूँ ठीक कह रहें है ना ।

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