तनिश्कर स्पाईस फार्म (tanishkar spice farm and heritage huose)
तनिश्कर स्पाईस फार्म पंजिम से करीब ७० कि.मी.दूर है पर मडगांव से ४० -४५ कि.मी.दूर है।सांगे (sanguem) से आगे जाने पर नेत्रोली (netravalim)नाम की जगह है ये तनिश्कर फार्म वहीं पर है।ये पूरी तरह से ओर्गानिक फार्म है . और इस फार्म को गोवा सरकार से award भी मिल चुका है। यहां पर फार्म हाउस के साथ-साथ गोवा के बिल्कुल पुराने तरह का घर भी देखने को मिलता है। जो २०० साल पुराना है और मिटटी का बना है।इस घर मे और स्पाईस फार्म को घुमाने के लिए अलग -अलग रेट होता है। जैसे अगर सीजन है तो ३०० से ५०० रूपये एक व्यक्ति के लिए जिसमे एक welcome drink देते है और इसके अलावा लंच और चलते समय उन्ही के फार्म हाउस के मसालों का एक छोटा सा गिफ्ट पैक भी देते है। आम तौर पर लोग पैकेज टूर लेकर जाते है।(जिसमे घर,स्पाईस फार्म,bubble pond, और ट्रैकिंग होता है और इसके लिए ३-४ घंटे से ज्यादा लगते है ) और लंच के लिए पहले से बताना पड़ता है. अगर लंच नही है तो १५० रूपये प्रति व्यक्ति लेते है।
हम लोग चूँकि डेढ़ बजे पहुंचे थे इसलिए लंच हम लोगों ने नही लिया और १५० रूपये वाला टूर लिया जिसमे करीब ४५ मिनट मे उसने सब कुछ दिखाया । शुरुआत मे सबसे पहले हम लोगों ने फार्म हाउस घूमा जिसमे उसने वनिला का पेड़ दिखाया और उसके बारे मे बताया की किस तरह से वनिला प्लांटेशन किया जाता है. जिसे आप नीचे दिए विडियो मे देख सकते है। विडियो बस एक मिनट का है।
वनिला से आगे बढ़ने पर एक के बाद एक सारे मसालों के पेड़ जैसे लौंग,इलाईची,दालचीनी ,कालीमिर्च(सफ़ेद ,काली और लाल ),जावित्री और जायफल वगैरा दिखाया ।स्पाईस फार्म घुमाते हुए चिन्मय बड़ी ही रोचक बातें बताता जाता है। स्पाईस फार्म मे घूमते हुए हमने पूछा की यहां सांप नही है तो उसने बड़े मजे से कहा की ४-५ तरह के है जिसमे सिर्फ़ २ विषैले है बाकी सब दोस्त की तरह रहते है।उसने ये भी बताया की सांप इसलिए जरुरी है वरना बड़े चूहे (घूस) पेडों को नुकसान पहुँचाते है। और सांप,बिच्छू घर मे ना आए इसलिए उसने doggi और बिल्ली पाल रक्खी है।
अच्छा एक बात बताइये क्या आप जानते है कि जायफल और जावित्री एक फल से बनते है .भई हम तो नही जानते थे पर अब जान गए है। :) चिन्मय ने ये भी बताया कीकभी -कभी कुछ पुराने पेड़ जैसे ६० साल पहले लगाए गए जायफल के एक पेड़ से उसे १-३ लाख रूपये की आमदनी होती है.(वैसे पेड़ लगाने के तीसरे साल बाद से ही फल देने लगता है ।)जैसे इस फोटो मे कच्चा और पका जावित्री और जायफल दिखा रहा है।
चिन्मय ने ये भी बताया की दालचीनी और तेजपत्ता एक ही पेड़ मे होते है।
चिन्मय अपनी माँ और छोटे भाई-बहन के साथ यहां इस २०० साल पुराने मिट्टे के बने घर मे रहता है। चिन्मय ने बी.com किया है और पिता की मृत्यु के बाद वही अपने फार्म हाउस की देख भाल करता है.चिन्मय के साथ पूरा फार्म हाउस घूमने के बाद हम लोगों ने घर देखा। बिल्कुल हम लोगों के गाँव-घर जैसा हमने अपनी चंदौली का घर मे जिक्र किया था। आँगन के बीच मे तुलसी का पौधा जिस पर सुबह नहा कर जल चढाया जाता है। आँगन के चारों और बरामदा जहाँ पर बिल्ली और उसके बच्चे बैठे थे। इस फोटो मे चिन्मय की माँ और बहन है और पीछे अलग-अलग तरह के मसालों और फलों से भरे बोरे दिख रहे है।
इस घर की रसोई मे मिटटी का चूल्हा है और गैस का भी।और रसोई मे एक तारफ भगवान् का मन्दिर भी है। dinning room की छत मे दिन मे रोशनी के लिए ऐसा इंतजाम है और रात मे तो खैर लाईट ही जलती है। और जब पैकेज टूर पर जाते है तो इस चूल्हे पर बना पारंपरिक गोअन खाना (शाकाहारी और माँसाहारी )खाने को मिलता है। जो उस दिन हमने मिस कर दिया था।:(
और हाँ यहां पर कुछ कॉटेज भी है जहाँ रुका भी जा सकता है। बिल्कुल शांत और जंगल के बीच रहने का मजा लिया जा सकता है। कॉटेज का किराया भी सीजन के हिसाब से होता है। वैसे स्पाईस फार्म देखने का सबसे अच्छा समय नवम्बर से फरवरी होता है।इसके अलावा वहां एक bubble pond भी है जिसके बारे मे अगली बार क्यूंकि आज की पोस्ट वैसे ही बहुत लम्बी हो गई है। :)
ये जो घोडा और सवार है ये १५० साल पुराना है ।
घर के बाहर मधुमक्खी भी पाल रक्खी है जिनका शहद निकल कर बाजार मे बेचते है। इसका भी विडियो २ मिनट का है पर है interesting।
पहला वीडियो honey bee का है और दूसरा वीडियो वनिला का है।
हम लोग चूँकि डेढ़ बजे पहुंचे थे इसलिए लंच हम लोगों ने नही लिया और १५० रूपये वाला टूर लिया जिसमे करीब ४५ मिनट मे उसने सब कुछ दिखाया । शुरुआत मे सबसे पहले हम लोगों ने फार्म हाउस घूमा जिसमे उसने वनिला का पेड़ दिखाया और उसके बारे मे बताया की किस तरह से वनिला प्लांटेशन किया जाता है. जिसे आप नीचे दिए विडियो मे देख सकते है। विडियो बस एक मिनट का है।
वनिला से आगे बढ़ने पर एक के बाद एक सारे मसालों के पेड़ जैसे लौंग,इलाईची,दालचीनी ,कालीमिर्च(सफ़ेद ,काली और लाल ),जावित्री और जायफल वगैरा दिखाया ।स्पाईस फार्म घुमाते हुए चिन्मय बड़ी ही रोचक बातें बताता जाता है। स्पाईस फार्म मे घूमते हुए हमने पूछा की यहां सांप नही है तो उसने बड़े मजे से कहा की ४-५ तरह के है जिसमे सिर्फ़ २ विषैले है बाकी सब दोस्त की तरह रहते है।उसने ये भी बताया की सांप इसलिए जरुरी है वरना बड़े चूहे (घूस) पेडों को नुकसान पहुँचाते है। और सांप,बिच्छू घर मे ना आए इसलिए उसने doggi और बिल्ली पाल रक्खी है।
अच्छा एक बात बताइये क्या आप जानते है कि जायफल और जावित्री एक फल से बनते है .भई हम तो नही जानते थे पर अब जान गए है। :) चिन्मय ने ये भी बताया कीकभी -कभी कुछ पुराने पेड़ जैसे ६० साल पहले लगाए गए जायफल के एक पेड़ से उसे १-३ लाख रूपये की आमदनी होती है.(वैसे पेड़ लगाने के तीसरे साल बाद से ही फल देने लगता है ।)जैसे इस फोटो मे कच्चा और पका जावित्री और जायफल दिखा रहा है।
चिन्मय ने ये भी बताया की दालचीनी और तेजपत्ता एक ही पेड़ मे होते है।
चिन्मय अपनी माँ और छोटे भाई-बहन के साथ यहां इस २०० साल पुराने मिट्टे के बने घर मे रहता है। चिन्मय ने बी.com किया है और पिता की मृत्यु के बाद वही अपने फार्म हाउस की देख भाल करता है.चिन्मय के साथ पूरा फार्म हाउस घूमने के बाद हम लोगों ने घर देखा। बिल्कुल हम लोगों के गाँव-घर जैसा हमने अपनी चंदौली का घर मे जिक्र किया था। आँगन के बीच मे तुलसी का पौधा जिस पर सुबह नहा कर जल चढाया जाता है। आँगन के चारों और बरामदा जहाँ पर बिल्ली और उसके बच्चे बैठे थे। इस फोटो मे चिन्मय की माँ और बहन है और पीछे अलग-अलग तरह के मसालों और फलों से भरे बोरे दिख रहे है।
इस घर की रसोई मे मिटटी का चूल्हा है और गैस का भी।और रसोई मे एक तारफ भगवान् का मन्दिर भी है। dinning room की छत मे दिन मे रोशनी के लिए ऐसा इंतजाम है और रात मे तो खैर लाईट ही जलती है। और जब पैकेज टूर पर जाते है तो इस चूल्हे पर बना पारंपरिक गोअन खाना (शाकाहारी और माँसाहारी )खाने को मिलता है। जो उस दिन हमने मिस कर दिया था।:(
और हाँ यहां पर कुछ कॉटेज भी है जहाँ रुका भी जा सकता है। बिल्कुल शांत और जंगल के बीच रहने का मजा लिया जा सकता है। कॉटेज का किराया भी सीजन के हिसाब से होता है। वैसे स्पाईस फार्म देखने का सबसे अच्छा समय नवम्बर से फरवरी होता है।इसके अलावा वहां एक bubble pond भी है जिसके बारे मे अगली बार क्यूंकि आज की पोस्ट वैसे ही बहुत लम्बी हो गई है। :)
ये जो घोडा और सवार है ये १५० साल पुराना है ।
घर के बाहर मधुमक्खी भी पाल रक्खी है जिनका शहद निकल कर बाजार मे बेचते है। इसका भी विडियो २ मिनट का है पर है interesting।
पहला वीडियो honey bee का है और दूसरा वीडियो वनिला का है।
Comments
अन्नपूर्णा
और जगह का वर्णन पढ़ ललचा रहे हैं हम!
गोआनीज शाकाहारी व्यंजन कौन से होते हैं?
ससुराल मेँ चाय का मसाला घर पर बनाते थे -जिसमेँ जायफल और जावँत्री भी डालते थे -सो पता था वे दोनोँ एक ही फल हैँ जैसे दालचीनी और तेजपत्ता - वहाँ वेनीला, इलाउअची, काली मिर्च इत्यादी के क्या भाव थे ? पता है ? बहुत अच्छा लगा सब देखकर और पढकर -
गोवा की नैसर्गिक सुँदरता मनभावन है -
शुक्रिया इन जानकारियोँ के लिये --
स्नेह
-लावण्या