१८ जून गोवा का क्रांति दिवस (revolution day)
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जून को हर साल गोवा मे क्रांति दिवस के रूप मे मनाया जाता है। क्यूंकि १८ .६.१९४६ मे डॉक्टर राम मनोहर लोहिया ने गोवा के लोगों को पुर्तगालियों के ख़िलाफ़ आवाज उठाने के लिए प्रेरित किया।१८ जून को गोवा की आजादी की लडाई के
सरकार के अधिकारियों और जनता ने इस समारोह मे भाग लिया। इस साल ४१ स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर गवर्नर ने सबसे पहले आजादी की इस लड़ाई मे शहीद हुए सेनानियों को श्रद्धा सुमन अर्पित किए ।२१ गन से सलामी दी गई। उसके बाद मुख्यमंत्री और स्वतंत्रता सेनानियों ने भी शहीद स्मारक पर श्रद्धा सुमन अर्पित कर शहीदों को अपनी श्रधांजलि दी।
र ४०० लोग स्वस्थ्य मंत्रालय गोवा मे भरती किए गए है। पर उसमे एक भी स्वतंत्रता सेनानी के परिवार का सदस्य नही है। पूरी ख़बर यहाँ पढिये।
शहीदों की याद मे गोवा पुलिस द्वारा जो धुन बजाई जाती उसका नाम दीवाली है। और धुन के आख़िर मे दो बिगुल बजाने वाले (लोन बग्लर ) पार्क के पास बनी ईमारत की खिड़की से बिगुल बजाते है।इस सबसेऊपर वाली फोटो को जूम करके देखने पर आपको वो खिड़की मे दिख सकता है।
इन ४१ सम्मानित किए गए स्वतंत्रता सेनानी मे मिस
इस क्रांति दिवस के दौरान उनसे मिलने और बात करने का मौका मिला और तब उन्होंने बताया कि जब भारतीय सेना ने गोवा को आजाद करवा लिया था तब भारतीय सेना के प्रमुख जनरल चौधरी ने लिबिया जी से पूछा था कि अब क्या चाहती है। तो इस पर लिबिया जी ने कहा कि वो आजाद गोवा का पहला प्रसारण भी ख़ुद ही करना चाहती है और इसके लिए उन्हें प्लेन मे बैठ कर broadcast करने की इजाजत दी गई और१७ .१२.१९६१ को प्लेन से ही लिबिया जी ने गोवा के लोगों को आजादी का संदेश दिया। आजकल लिबिया जी गोवा मे वकालत कर रही है।
नोट--पंजिम के मेन मार्केट का नाम १८ जून रोड है। तो अब जब आप गोवा आए तो १८ जून पर शौपिंग जरुर करियेगा । :)
जून को हर साल गोवा मे क्रांति दिवस के रूप मे मनाया जाता है। क्यूंकि १८ .६.१९४६ मे डॉक्टर राम मनोहर लोहिया ने गोवा के लोगों को पुर्तगालियों के ख़िलाफ़ आवाज उठाने के लिए प्रेरित किया।१८ जून को गोवा की आजादी की लडाई केइतिहास मे स्वर्ण अक्षरोंसे लिखा गया है। १८ जून १९४६ को डॉक्टर राम मनोहर लोहिया जी ने गोवा के लोगों को एकजुट होने और पुर्तगाली शासन के ख़िलाफ़ लड़ने का संदेश दिया था। १८ जून को हुई इस क्रांति के जोशीले भाषण ने आजादी की लड़ाई को मजबूत किया और आगे बढाया। इस साल भी गोवा मे revolution day के दिन अलग-अलग जगहों जैसे पंजिम, मडगांव और वास्को मे समारोह का आयोजन किया गया।पंजिम के आजाद मैदान मे गोवा के गवर्नर श्री एस.सी.जमीर गोवा के मुख्यमंत्री और गोवा
सरकार के अधिकारियों और जनता ने इस समारोह मे भाग लिया। इस साल ४१ स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मानित किया गया।इस अवसर पर गवर्नर ने सबसे पहले आजादी की इस लड़ाई मे शहीद हुए सेनानियों को श्रद्धा सुमन अर्पित किए ।२१ गन से सलामी दी गई। उसके बाद मुख्यमंत्री और स्वतंत्रता सेनानियों ने भी शहीद स्मारक पर श्रद्धा सुमन अर्पित कर शहीदों को अपनी श्रधांजलि दी।
गवर्नर ने अपने भाषण मे कहा की आजादी का सबसे बड़ा फायदा है की किसी भी व्यक्ति को अपनी बात कहने की आजादी होती है।और गवर्नर के भाषण का बिल्कुल सही उपयोग गोवा दमन और दियू स्वतंत्रता सेनानी एसोसिअशन के अध्यक्ष जयद्रथ शोदंकर ने किया और उन्होंने एक के बाद एक अपनी शिकायतें बतानी शुरू की कि किस तरह से स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों suffer करना पड़ रहा है। स्वतंत्रता सेनानी जो इस समरोह मे भाग लेने आए थे उन्होंने अपने भाषण मे बहुत नाराजगी दिखाई और कहा क्यूंकि न तो उनके परिवार और बच्चों को सरकारी नौकरी मिली है और न ही उन्हें और किसी तरह का बेनिफिट मिला है। जबकि हाल ही मे ५०० लोग पंचायती राज मे औ
र ४०० लोग स्वस्थ्य मंत्रालय गोवा मे भरती किए गए है। पर उसमे एक भी स्वतंत्रता सेनानी के परिवार का सदस्य नही है। पूरी ख़बर यहाँ पढिये।शहीदों की याद मे गोवा पुलिस द्वारा जो धुन बजाई जाती उसका नाम दीवाली है। और धुन के आख़िर मे दो बिगुल बजाने वाले (लोन बग्लर ) पार्क के पास बनी ईमारत की खिड़की से बिगुल बजाते है।इस सबसेऊपर वाली फोटो को जूम करके देखने पर आपको वो खिड़की मे दिख सकता है।
इन ४१ सम्मानित किए गए स्वतंत्रता सेनानी मे मिस
लिबिया लोबो सरदेसाईभी थी ।लिबिया जी १९४९-५० गोवा यूथ लीग की मेंबर थी और १९५५ -६१ तक कैसल रॉक (जो आज का बेलगाम है ) से अंडर ग्राउंड रेडियो स्टेशन voice of freedom के नाम से चलाती थी । उस समय गोवा के आखिरी गवर्नर जनरल को आत्म समर्पण करने को कहा और चेतावनी दी कि अगर ऐसा नही किया तो लिबरेशन फोर्स (भारतीय सेना) गोवा मे प्रवेश कर जायेगी।ये संदेश हर १० मिनट के अंतराल पर लिबिया जी के द्वारा उनके रेडियो स्टेशन से प्रसारित किया जाता रहा था।१७.१२.११९६१ मे गुलाम गोवा के लिए उनके रेडियो स्टेशन का ये आखिरी प्रसारण था।
इस क्रांति दिवस के दौरान उनसे मिलने और बात करने का मौका मिला और तब उन्होंने बताया कि जब भारतीय सेना ने गोवा को आजाद करवा लिया था तब भारतीय सेना के प्रमुख जनरल चौधरी ने लिबिया जी से पूछा था कि अब क्या चाहती है। तो इस पर लिबिया जी ने कहा कि वो आजाद गोवा का पहला प्रसारण भी ख़ुद ही करना चाहती है और इसके लिए उन्हें प्लेन मे बैठ कर broadcast करने की इजाजत दी गई और१७ .१२.१९६१ को प्लेन से ही लिबिया जी ने गोवा के लोगों को आजादी का संदेश दिया। आजकल लिबिया जी गोवा मे वकालत कर रही है।
नोट--पंजिम के मेन मार्केट का नाम १८ जून रोड है। तो अब जब आप गोवा आए तो १८ जून पर शौपिंग जरुर करियेगा । :)
Comments
इस जानकारी के लिए बहुत धन्यवाद |
लाजवाब गाने, आई एस जौहर, महमूद, सिम्मी (जिनकी यह पहली फ़िल्म थी) और सोनिया साहनी का शानदार अभिनय। इसी फ़िल्म से हमने गोवा क्रान्ति को जाना था और बाकी किताबों में पढा था पर आज आपकी पोस्ट पढ कर और अच्छी जानकारी मिली।
इस प्रविष्टी को रेडियोनामा पे भी रख दीजिये - बहुत अच्चा लगा लीबीया लोबो जी जैसी निडर रेडियो ऐन्कर स्त्री के बारे मेँ और गोवा की आज़ादी के बारे मेँ ये रीपोर्ट - मार्केट का नाम बडा अजीब है - १८ जून !!
वाह जी वाह !!
-- क्योँ ना किसी स्वतँत्रता सेनानी का नाम दिया जाये इसे ? :)
- लिखती रहीये ऐसे ही ,
हमेँ पढना अच्छा लगता है आपको -
स्नेह,
- लावण्या
जानकारी के लिए शुक्रिया।
इस जानकारी के लिए बहुत धन्यवाद। इस पोस्ट से
बहुत कुछ नई बातें मिली। नवहिन्द टाईम्ज़ का लिंक देख कर
बहुत अच्छा लगा जिससे बहुत कुछ पता लगा।