२५ जून .१९८३ जब लॉर्ड्स मे भारत ने जीता वर्ल्ड कप
पिछले दस दिनों से हर तरफ़ १९८३ वर्ल्ड कप की धूम सी मची है । हर टी.वी.चैनल पर रोज १९८३ की विश्व विजेता टीम के किसी न किसी खिलाडी से बात करते रहते है। आख़िर
दिल्ली मे ८२ asiad games के दौरान कलर टी.वी.खूब बाजार मे आ गए थे। ८२ मे ही हम लोगों ने भी कलर टी.वी.खरीदा था।उस समय तो asiad का चस्का था पर जब १९८३ मे लन्दन मे वर्ल्ड कप शुरू हुआ तब भारत के लोगों मे जोश तो था पर ये कोई नही जानता था की भारतीय टीम जीत जायेगी।उस जमाने मे तो रेडियो पर ही कमेंट्री सुनते आए थे और टी.वी.पर क्रिकेट देखने का मजा ही कुछ और था।
और चूँकि
जब तक
खैर चाय पीते-पीते मैच शुरू हुआ । west indies जिसमे विवयन रिचर्ड ,माल्कम मार्शल,एंडी रॉबर्ट,जैसे खिलाड़ी थे। माल्कम मार्शल देखने मे बिल्कुल जाएंट जैसा लगता था और जब बौलिंग करता था तो लगता था की बल्लेबाज का मुंह ही टूट जायेगा। और जब west indies टीम बैटिंग करने आई तो हर कोई दम साधे मैच देख रहा था क्यूंकि उस समय west indies की टीम बहुत अच्छी मानी जाती थी और २ बार विश्व विजेता रह चुकी थी।और अंत का सबको थोड़ा अंदाजा भी था कि भारत हारने वाला है।
खैर मैच शुरू हुआ और
और उसके बाद सभी भारतीय खिलाड़ी लॉर्ड्स के स्टेडियम मे बनी बालकनी मे आए थे और शैम्पेन को खोल कर चारों ओर स्प्रे भी किया था। खिलाडियों और बालकनी के नीचे खड़ी जनता पर भी।वो एक अजब ही नजारा था । जब कपिल देव ने ट्रॉफी उठाई थी तो ऐसा लगा था मानो हर हिन्दुस्तानी ने लॉर्ड्स पर खेला हो और मैच जीता हो। दिल्ली मे तो पटाखे भी चलाये गए थे।और भारत के जीतने की खुशी मे उतनी रात मे ही हमने हलवा बनाया था और हम सभी दोस्तों ने खाया था और उसके बाद भी बड़ी देर तक मैच का डिस्कशन होता रहा था क्यूंकि सबकी नींद जो उड़ गई थी। :)
तो आइये एक बार फ़िर से १९८३ के वर्ल्ड कप की एक झलक देख ली जाए।
२५ साल यानी वर्ल्ड कप की सिल्वर जुबलीजो है। कल बी.सी.सी.आई. ने सभी वर्ल्ड कप विजेताओं का सम्मान किया और सभी खिलाड़ियों ने वो चाहे रोजर बिन्नी हो या रवि शास्त्री हो या फ़िर लिटिल मास्टर सुनील गावस्कर हो या मोहिंदर अमरनाथ हो और चाहे उस विजेता टीम के कप्तान कपिल देव हो सभी ने २५ साल पहले हुए उस खेल को और उस लम्हे को अपने-अपने अंदाज मे याद किया।
दिल्ली मे ८२ asiad games के दौरान कलर टी.वी.खूब बाजार मे आ गए थे। ८२ मे ही हम लोगों ने भी कलर टी.वी.खरीदा था।उस समय तो asiad का चस्का था पर जब १९८३ मे लन्दन मे वर्ल्ड कप शुरू हुआ तब भारत के लोगों मे जोश तो था पर ये कोई नही जानता था की भारतीय टीम जीत जायेगी।उस जमाने मे तो रेडियो पर ही कमेंट्री सुनते आए थे और टी.वी.पर क्रिकेट देखने का मजा ही कुछ और था।
और चूँकि
फाइनल मैच का प्रसारण लन्दन के लॉर्ड्स स्टेडियमसे दूरदर्शन कर रहा था और हम लोग अपने कुछ दोस्तों के साथ घर पर इस मैच को देख रहे थे।जब भारत ने पहले बल्लेबाजी करना शुरू किया और एक के बाद एक विकेट गिरने लगे थे। तब जब भी कोई विकेट गिरता तो पहले तो हर कोई जोर से आह भरता (की अब तो मैच हारे) और जब तक दूसरा बल्लेबाज आता तब तक हर आदमी आउट होने वाले खिलाड़ी के लिए दसियों तरह की बातें करने लगता की उसने ये शॉट ठीक नही खेला या उसे ऐसे घुमा कर मारना चाहिए थे।और west indies के बॉलर की भी बुराई की जाती की जान बूझ कर ऐसी बॉलिंग कर रहा है जिस से रन न बने सके। और खिलाड़ियों को एक तरह से गरियाया भी जाता रहा । और जब ६० ओवर के गेम मे ५४.४ ओवर मे केवल १८३ रन बना कर भारतीय टीम आउट हो गई तब तो हम सबकी रही-सही आशा भी जाती रही थी क्यूंकि १८३ रन मैच जीतने के लिए काफ़ी नही थे।और वो भी २ बार वर्ल्ड चैम्पियन रही west indies टीम से।
जब तक
west indies की टीमखेलने के लिए आती तय हुआ कि एक-एक चाय पिया जाए क्यूंकि लन्दन और भारत के समय मे अन्तर जो था कुछ तो रात का असर और कुछ भारत का खेल देख कर हर कोई सुस्त सा हो गया था।
खैर चाय पीते-पीते मैच शुरू हुआ । west indies जिसमे विवयन रिचर्ड ,माल्कम मार्शल,एंडी रॉबर्ट,जैसे खिलाड़ी थे। माल्कम मार्शल देखने मे बिल्कुल जाएंट जैसा लगता था और जब बौलिंग करता था तो लगता था की बल्लेबाज का मुंह ही टूट जायेगा। और जब west indies टीम बैटिंग करने आई तो हर कोई दम साधे मैच देख रहा था क्यूंकि उस समय west indies की टीम बहुत अच्छी मानी जाती थी और २ बार विश्व विजेता रह चुकी थी।और अंत का सबको थोड़ा अंदाजा भी था कि भारत हारने वाला है।
खैर मैच शुरू हुआ और
जैसे-जैसे मैच आगे बढ़ा मैच रोमांचक होता गया। जब west indies का खिलाडी आउट होता तो अंपायर की उंगली उठने के साथ ही सारे लोग जोर से चिल्लाते आउट। और ये शोर जिस-जिस घर मे टी.वी.था वहां से सुना जा सकता था।और एक तरह का डिस्कशन शुरू हो जाता पर जैसे ही मैच शुरू होता हर कोई बस अपनी आँख गडा देता टी.वी.पर। और जब भारत के मोहिंदर अमरनाथ ने आखिरी west indies खिलाडी को आउट किया उस समय तो हमारे घर मे जैसे जश्न का माहौल हो गया था ।क्यूंकि भारतीय टीम जीत गई थी और वो भी ४३ रन से west indies जैसी टीम को हराकर।
और उसके बाद सभी भारतीय खिलाड़ी लॉर्ड्स के स्टेडियम मे बनी बालकनी मे आए थे और शैम्पेन को खोल कर चारों ओर स्प्रे भी किया था। खिलाडियों और बालकनी के नीचे खड़ी जनता पर भी।वो एक अजब ही नजारा था । जब कपिल देव ने ट्रॉफी उठाई थी तो ऐसा लगा था मानो हर हिन्दुस्तानी ने लॉर्ड्स पर खेला हो और मैच जीता हो। दिल्ली मे तो पटाखे भी चलाये गए थे।और भारत के जीतने की खुशी मे उतनी रात मे ही हमने हलवा बनाया था और हम सभी दोस्तों ने खाया था और उसके बाद भी बड़ी देर तक मैच का डिस्कशन होता रहा था क्यूंकि सबकी नींद जो उड़ गई थी। :)
तो आइये एक बार फ़िर से १९८३ के वर्ल्ड कप की एक झलक देख ली जाए।
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आलोक सिंह "साहिल"