ऐसी बारिश जैसे सियार का ब्याह हो रहा हो
आजकल बारिश हर जगह जोरों पर है और गोवा मे तो बारिश एक बार शुरू हो जाए तो फ़िर सूरज देवता कहाँ है ढूँढने से भी पता नही चलता है। और जब सूरज देवता दिख जाते है तब जरा राहत महसूस होती है । बारिश मे क्या अच्छा घर और क्या ख़राब घर हर घर मे सीलन और खपरैल की छतों से पानी का चूना आम बात हो जाती है।जब यहाँ लगातार बारिश होने लगती है तो लगता है कि बारिश कुछ देर रुक जाए।वैसे जब से बारिश दिल्ली और बंगाल की तरफ़ हो रही है तब से यहाँ गोवा मे बारिश कुछ कम हो रही है ।
आजकल गोवा मे ऐसी बारिश हो रही है जैसे सियार का ब्याह हो रहा हो। भई हमने तो अपने बचपन ये जुमला खूब सुना है। जब हम लोग छोटे थे और जब धूप होते हुए बारिश होती थी तो लोगों को यही कहते सुना था।और उसके बाद इन्द्रधनुष भी दिखता था। (तब अक्सर इन्द्रधनुष दिख जाता था ) अब ऐसा क्यूँ कहा जाता था ये पता नही है।अरे आप लोगों ने नही सुना है । कमाल है जब सूरज देवता दिख रहे हो और बादल कम दिख रहे हो और खिली धूप मे बस थोडी देर के लिए जोर दार बारिश हो तो उसे सियार का ब्याह होना कहते है। तो यहाँ गोवा मे ऐसी ही बारिश हो रही है। जो फॉर ऐ चेंज अच्छी लग रही है । :)
बारिश मे जहाँ गोवा बेहद खुबसूरत नजर आता है वहीं बारिश अपने साथ ढेरों तरह के कीडे-मकोडे भी लेकर आती है। हमारे घर मे ही snail (घोंघा) centipede लाल और काले रंग के होते है और इन्हे यहाँ राम जी की सवारी कहा जाता है) हर समय घूमते नजर आ जाते है ।वैसे गोवा मे snail छोटे-छोटे ही दिखते है अंडमान की तुलना मे। और तो और दीवार पर दरवाजे पर भी मजे से ये snail घूमते रहते है. और बाकी तो घर के बाहर ही रहते है जैसे जोंक,साँप,मेढक,बिच्छू वगैरा।(गनीमत है अभी तक इन सबके ज्यादा दर्शन नही हुए है )
snail से याद आया यहाँ पर snail फ़िर भी छोटे होते है पर अंडमान मे तो बहुत बड़े-बड़े snail होते थे जो की रात भर मे किसी भी पेड़ पर एक तरह से अटैक करके पूरा पेड़ ही साफ (खा) कर जाते थे। अंडमान मे हमारे घर मे पपीते के कई पेड़ थे और हर पेड़ पर जितने पपीते होते थे उससे कहीं ज्यादा snail होते थे।खैर बाद मे इन snails को दवा डाल कर मारना पड़ा क्यूंकि एक के बाद एक पेड़ वो खाते जो जा रहे थे।अंडमान मे snail के लिए कहते थे की जब जापानी लोग अंडमान आए थे तब जापानी लोग ही snail लाये थे खाने के लिए क्यूंकि snail से उन्हें प्रोटीन मिलता था।और उसके बाद जापानी तो चले गए मगर snail वही अंडमान मे रह गए थे।देखिये किस तरह ये सारे snail एकसाथ दीवार पर चढ़ रहे है।
snail और कीडे ही नही बल्कि बारिश मे यहाँ पर दीवारों पर सड़क पर और तो और कपडों पर भी खूब फंगस लगता है।पिछले साल तो बारिश के साथ हमारा तजुर्बा यही रहा था । घर की दीवार और छत तक कुछ हरी-हरी सी हो गई थी । अब इस बार देखें क्या होता है।
वैसे एक बात है बारिश मे ड्राइव पर जाने और गोवा मे घूमने का जो मजा है उसका कोई जवाब नही है। :)
अब बारिश मे सियार का ब्याह हो या न हो हम तो कहेंगे की बारिश अच्छी भी है और बुरी भी है।आपका क्या ख़्याल है बारिश के बारे मे।
आजकल गोवा मे ऐसी बारिश हो रही है जैसे सियार का ब्याह हो रहा हो। भई हमने तो अपने बचपन ये जुमला खूब सुना है। जब हम लोग छोटे थे और जब धूप होते हुए बारिश होती थी तो लोगों को यही कहते सुना था।और उसके बाद इन्द्रधनुष भी दिखता था। (तब अक्सर इन्द्रधनुष दिख जाता था ) अब ऐसा क्यूँ कहा जाता था ये पता नही है।अरे आप लोगों ने नही सुना है । कमाल है जब सूरज देवता दिख रहे हो और बादल कम दिख रहे हो और खिली धूप मे बस थोडी देर के लिए जोर दार बारिश हो तो उसे सियार का ब्याह होना कहते है। तो यहाँ गोवा मे ऐसी ही बारिश हो रही है। जो फॉर ऐ चेंज अच्छी लग रही है । :)
बारिश मे जहाँ गोवा बेहद खुबसूरत नजर आता है वहीं बारिश अपने साथ ढेरों तरह के कीडे-मकोडे भी लेकर आती है। हमारे घर मे ही snail (घोंघा) centipede लाल और काले रंग के होते है और इन्हे यहाँ राम जी की सवारी कहा जाता है) हर समय घूमते नजर आ जाते है ।वैसे गोवा मे snail छोटे-छोटे ही दिखते है अंडमान की तुलना मे। और तो और दीवार पर दरवाजे पर भी मजे से ये snail घूमते रहते है. और बाकी तो घर के बाहर ही रहते है जैसे जोंक,साँप,मेढक,बिच्छू वगैरा।(गनीमत है अभी तक इन सबके ज्यादा दर्शन नही हुए है )
snail से याद आया यहाँ पर snail फ़िर भी छोटे होते है पर अंडमान मे तो बहुत बड़े-बड़े snail होते थे जो की रात भर मे किसी भी पेड़ पर एक तरह से अटैक करके पूरा पेड़ ही साफ (खा) कर जाते थे। अंडमान मे हमारे घर मे पपीते के कई पेड़ थे और हर पेड़ पर जितने पपीते होते थे उससे कहीं ज्यादा snail होते थे।खैर बाद मे इन snails को दवा डाल कर मारना पड़ा क्यूंकि एक के बाद एक पेड़ वो खाते जो जा रहे थे।अंडमान मे snail के लिए कहते थे की जब जापानी लोग अंडमान आए थे तब जापानी लोग ही snail लाये थे खाने के लिए क्यूंकि snail से उन्हें प्रोटीन मिलता था।और उसके बाद जापानी तो चले गए मगर snail वही अंडमान मे रह गए थे।देखिये किस तरह ये सारे snail एकसाथ दीवार पर चढ़ रहे है।
snail और कीडे ही नही बल्कि बारिश मे यहाँ पर दीवारों पर सड़क पर और तो और कपडों पर भी खूब फंगस लगता है।पिछले साल तो बारिश के साथ हमारा तजुर्बा यही रहा था । घर की दीवार और छत तक कुछ हरी-हरी सी हो गई थी । अब इस बार देखें क्या होता है।
वैसे एक बात है बारिश मे ड्राइव पर जाने और गोवा मे घूमने का जो मजा है उसका कोई जवाब नही है। :)
अब बारिश मे सियार का ब्याह हो या न हो हम तो कहेंगे की बारिश अच्छी भी है और बुरी भी है।आपका क्या ख़्याल है बारिश के बारे मे।
Comments
snail ki jankari bahut achhi lagi.
बाकी उस सियार के कभी दर्शन नहीं हुये विवाह करते। :)
शायद समूह मेँ ब्याह करते होँगेँ?
और ये भी खूब रही ..
चिडा चिडिया ,
शेर शेरनी,
और
राधा कृष्ण की शादियाँ
भी शादी का जश्न मना लिया गया !!
बहुत अच्छी रही पोस्ट..
स्नेल के बार मेँ भी जान लिया ~~
--लावण्या
आप सभी का शुक्रिया।