ऐसा माना जाता है कि मनुष्य का जीवन ८४ लाख योनियो में विचरण करने के बाद मिलता है। मतलब कि इस जीवन के पहले हम पेड़ पौधे,पशु पक्षी,मछली मगरमच्छ और चींटी से लेकर हर तरह के कीड़े मकोड़े बनने के बाद हमे मनुष्य का जीवन मिला है। अब अगर ऐसा मानते है तो इसमें सच्चाई तो होगी ही। पर लगता है कि इंसान के जीवन का सबसे कम मूल्य है , ख़ासकर आजकल ।ऐसा लगता है कि ज़िन्दगी से सस्ता तो कुछ है ही नहीं । जब जिसे चाहा बस मार दिया । ये तक नहीं सोचते है कि उसके बाद उनका या उनके परिवार का क्या होगा। ज़रा सी बात हो फिर वो चाहे कार पार्किंग को लेकर झगड़ा हो या रोडरेज हो या चाहे जायदाद का झगड़ा हो बस फट से बिना समय गँवाये किसी की जान ले लेते है। अब अगर हम किसी को ज़िन्दगी दे नहीं सकते है तो भला भगवान की दी हुई ज़िन्दगी लेने का हक़ हमें किसने दिया। सुबह सवेरे जब अख़बार मे इस तरह की ख़बर पढने को मिलती है तो लगता है क्या वाक़ई अब लोगों में सहनशीलता ख़त्म होती जा रही है।
Comments
magar ye gaana mere aas paas baithe mere sabhi saathiyon ne sun liya.. main jo ga raha hun.. :)
और हाँ पोस्ट लिखने की मेरी मेहनत सफल हुई..धन्यवाद। :)
@ रंजू और maithily sir
दरअसल समस्या नेट की कम गति का होना है। आप प्ले करने के बाद Pause कर दें पूरा लोड होने के बाद प्ले करें, बड़ी आसानी से बजने लगेगा।
अरे हम तो अपनी ये टिप्पणी ऊपर वाली पोस्ट करने ही वाले थे की सागर जी की टिप्पणी पढ़ ली और ये जानकर अच्छा लगा की हम नाकाम नही हुए। :)
सागर जी एक बार फ़िर से शुक्रिया।
मैथली जी आशा है की अब आप गीत सुन सकेंगे।
रंजू जी और प्रशांत आप दोनों को गीत गाने के लिए धन्यवाद।
समीर जी और महक जी गीत पसंद करने के लिए शुक्रिया.
घुघूती बासूती