ढेर सारे भाई-बहन का ज़माना

हमारे स्कूल के वहाटसऐप गुरुप पर हम लोगों की दोस्त ने एक लड़की ( अब हम लोग अपने गुरूप में सबको लड़की ही बोलते है 😀 ) की फ़ोटो शेयर की और कहा कि इसे पहचानो और इसका नाम बताओ । खैर हमने नाम और शक्ल तो नहीं पहचानी पर उसके दिये हुये हिंट पर ये पूछने पर कि क्या ये कई सारी बहनें है । तो हमारी दोस्त ने कहा हाँ । वैसे उस ज़माने में तो रिवाज ही ज़्यादा बच्चों का था । 😋

अब पहले के ज़माने में तो बच्चों को भगवान की देन माना जाता था और इसीलिये हर घर में ढेर सारे बच्चे होते थे । हमारी मम्मी कुल सात भाई बहन थे । और हर एक के कम से कम पाँच बच्चे या उससे ज़्यादा बच्चे ,बस हमारे दो छोटे मामा में एक मामा के दो बेटे और दूसरे मामा के दो बेटे और एक बेटी है । कुल मिलाकर ३७ भाई बहन । 😛


हमारे मोहल्ले में भी हर घर में पाँच से ज़्यादा ही बच्चे थे । एक परिवार में तो पाँच भाई और पाँच बहन है । कुल मिलाकर दस ।हर घर में लड़कियों की संख्या ज़्यादा । सबसे मज़ेदार सारी बहनें चूँकि एक ही स्कूल में पढ़ती थी तो हर उम्र की बहन के साथ दूसरी लड़की की कोई ना कोई बहन पढ़ती ही थी । वैसे हमारे स्कूल वाले वहाटसऐप गुरूप में ज़्यादातर लोगों की चार बहनें है । 😜

वो तो अच्छा हुआ कि हम लोगों के समय तक हम दो हमारे दो का चलन हो गया वरना पुराने ज़माने के हिसाब से हम पाँच भाई बहन के पच्चीस बच्चे होते । 😀

पहले हमारे पापा के पास एम्बेसडर कार होती थी जिसमें ना केवल हम पाँच बल्कि हमारी मौसी के बच्चे भी उस कार में बड़े आराम से बैठते थे । एक बार हमारी छोटी मौसी ने पापा से ये मज़ाक़ भी किया था कि जीजा अभी तो एम्बेसडर कार से काम चल रहा है पर बाद में तो बस लेनी पड़ेगी । मतलब तो समझ गये ना ,अरे वही कि पाँच के पाँच बच्चे ।

हम लोग तो दो बच्चों वाले रहे पर आजकल तो लोग दो भी नहीं बल्कि एक बच्चा ही करते है । और तो और एक नया चलन हो रहा है बच्चे ना करने का ।

एक ज़माना वो था और एक ज़माना ये है ।

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