लोग ऐसे कैसे होते है

हमारे पड़ोस में एक परिवार रहता है ,पति पत्नी दोनों आर्मी में डाक्टर है । परिवार छोटा है मतलब पति पत्नी और एक डेढ़ साल की बेटी ।

अब चूँकि बच्ची छोटी है इसलिये वो सुबह सुबह सात बजे ही कूड़ा घर के बाहर रख देती है और समझाने पर कि जब कचरे वाला आये तो कूड़ा डालना चाहिये तो उनका कहना है कि बेटी सोती है और घंटी की आवाज़ से वो डिस्टर्ब्ड हो जायेगी और इसलिये वो सुबह सबेरे कचरा बाहर रख देती है । हालाँकि अब बच्ची सुबह खेलती हुई भी दिखती है ।

हमने तो उनसे ये भी कहा कि आप तो डाक्टर हो फिर भी ऐसा काम करती हो तो उसका ये कहना था कि कचरे वाले के आने का समय निश्चित नहीं है इसलिये वो कचरा घर के बाहर रख देती है । जबकि आम तौर पर कचरे वाला सुबह नौ से दस के बीच में आता है । अब उन्हें कौन समझाये कि इस कचरे की वजह से कभी कभी बिल्ली भी आ जाती है और सब कचरा फैला जाती है ।

ऐसा लगता है मानो आजकल के लोग ही सिर्फ़ बच्चा पालना जानते हों ।बच्चा सो रहा है तो कोई चूँ भी ना करे । कोई घंटी ना बजाये । ऐसा लगता है मानो हमने तो बच्चे ही नहीं पाले है । अरे हम ने भी दो बच्चे पाले पर कभी भी उनके सोने या जागने को लेकर इतना ज़्यादा नहीं किया और हमारे घर मे तो हमेशा बहुत घंटी बजती थी और है ।

अब ऐसे लोगों को क्या कहा जाये ये ढीठपना नहीं है तो क्या है ।

कोई सुझाव ।

Comments

Popular posts from this blog

जीवन का कोई मूल्य नहीं

क्या चमगादड़ सिर के बाल नोच सकता है ?

सूर्य ग्रहण तब और आज ( अनलॉक २.० ) चौदहवाँ दिन