ठक-ठक कौन है --ठाकरे

ठाकरे अब वो चाहे राज ठाकरे हो यस उद्धव ठाकरे हो या फ़िर बाला साहेब ठाकरे हो रोज ही इन तीनों मे से कोई ना कोई उत्तर भारतीयों के ख़िलाफ़ कुछ ना कुछ बोलता या लिखता रहता है। फरवरी मे जो राज ठाकरे ने उत्तर भारतीयों के ख़िलाफ़ अपना भाषण दिया उसके बाद मुम्बई मे जितनी तोड़-फोड़ और मार पीट हुई वो हम सभी जानते है।उस दिन से आज तक ठाकरे का उत्तर भारतीयों के ख़िलाफ़ बोलना जारी है।

राज ठाकर अमिताभ बच्चन को कहते है कि वो यू.पी को अपना मानते है तो इसमे ग़लत क्या है. कोई भी इंसान जहाँ वो पैदा हुआ और बड़ा हुआ है क्या उस जगह को कभी भूल सकता है। कभी नही। वो हमेशा अपनी मिटटी से जुडा रहता है।आप चाहे मुम्बई मे रहे या विदेश मे अपनी जगह को भूल नही सकते है। ठाकरे अपने आप को महाराष्ट्र और मराठियों का बचाने वाला कहते है पर क्या कभी किसी ने ने ये सोचा कि क्या सारे मराठी मानुष भी वही सोचते है जैसा कि राज ठाकरे सोचते है।अब राज की तरह अमिताभ बच्चन कम से कम यू.पी के लोगों को भड़कानेका काम नही कर रहे है। राज अपनी मुम्बई से प्यार करते है ये बहुत अच्छी बात है ।


जब राज ठाकरे ने अमिताभ बच्चन को मुम्बई से ज्यादा यू .पी को महत्त्व देने की बात कही थी तब राज ठाकरे शायद ये भूल गए थे कि अमिताभ बच्चन अपना करोड़ों का इन्कम टैक्स मुम्बई मे भरते है ना कि यू.पी .मे।राज ठाकरे का कहना है की उत्तर भारतीयों के आने की वजह से ही मुम्बई और मुम्बई वासियों की हालत इतनी ख़राब हैउत्तर भारतीयों ने मुंबई वासियों के काम-काज पर भी असर डाला हैक्यूंकि जहाँ देखो वहां ये नजर जाते है beach हो जुहू चौपाटी हो बाजार-हाट हो या फ़िर बोलीवुड होअगर ये लोग वहां नही होते तो मुंबई का रूप-रंग ही कुछ और होता


पहले तो राज ठाकरे ही थे पर बाद मे उद्धव ठाकरे ने भी उत्तर भारतीय लोगों पर अपना निशाना साधा । उद्धव का कहना है कि मुम्बई मे उत्तर भारतीयों के नौकरी करने से मुम्बई के रहने वाले मराठी लोगों को नौकरी नही मिलती है। उद्धव ने तो ये तक कह दिया कि कम्पनियाँ पहले मराठी लोगों को नौकरी पर रक्खे ।

ठाकरे को लेबर क्लास से परेशानी है कि यू.पी और बिहार के लेबर ही हर जगह काम करते है ।अरे तो इसमे परेशानी किस बात की है।माना की यू.पी.और बिहार मे गरीबी ज्यादा है और काम की तलाश मे ये लोग मुम्बई और अन्य शहरों मे जाते है पर क्या ये कोई गुनाह है। जब लोग विदेशों मे नौकरी कर सकते है तो अपने भारत के किसी शहर मे क्यों नही

अब जब राज और उद्धव बोलेंगे तो भला बाला साहेब कैसे उत्तर भारतीयों के ख़िलाफ़ नही बोलते । जब बाल ठाकर को लगा की राज ठाकरे कहीं महाराष्ट्र के लोगों का भरोसा जीत कर कहीं अगले चुनाव मे उनकी शिवसेना को कड़ी टक्कर ना दे दे और कहीं महाराष्ट्र का मराठी मानुष राज के समर्थन मे ना हो जाए तो बाल ठाकरे ने भी इस उत्तर भारतीय रूपी बहती गंगा मे हाथ धोने की सोची और बस शुरू कर दिया बिहार के ख़िलाफ़ अपने अखबार सामना मे लिखना जिससे महाराष्ट वालों को लगे की बाल ठाकरे उनके साथ है।बाल ठाकरे बिहार के खिलाफ लिखते है और लालू यादव ठाकरे के ख़िलाफ़ बोलते है।


ठाकरे लोगों ने एक ऐसी राज्यों के बीच जंग शुरू करवा दी है जो आगे चल कर भयंकर रूप भी ले सकती है। क्यूंकि जब एक राज्य ऐसी बात शुरू करता है तो दूसरे राज्य भी शुरू हो जाते है। अब इस हिसाब से तो एक राज्य का आदमी दूसरे राज्य मे ना तो नौकरी कर सकता है और ना ही रह सकता है। अब तो भारत सरकार को नए नियम और कानून बनाने पड़ेंगे अरे मतलब वीजा और पासपोर्ट जिसके जरिये ही लोग एक राज्य से दूसरे राज्ये मे जा सकेंगे। :)




Comments

Abhishek Ojha said…
समस्या ये है कि दिक्कत उन्ही को होती है जिनके लिए बाकी सारे विकल्प बंद होते हैं, यानी मजदूरों और निम्न वर्ग के लोगों को, बाकी लोगो का न तो ठाकरे कुछ बिगाड़ सकते हैं न ही उनकी राजनीती.
ममता जी,

दु:ख इस बात का है कि इन झुनझुनों से वोत मिल भी जाते हैं "कम्बखतों को" इसी से इन्हे लगता है कि महाराष्ट्र इनकी जागीर है। नयी युग के मीर-जाफर और जयचंद कम खतरनाक नहीं...

***राजीव रंजन प्रसाद
शोभा said…
ममता जी
आपने अपनी कलम से सत्य को उजागर किया है। जाने देश ऐसे देश द्रोहियों से कब मुक्त होगा ।
Manish Kumar said…
बढ़िया लेख ! दिल की बात कह दी आपने।
rakhshanda said…
और कितनी अजीब बात है ना कि ऐसे लोग बड़ी कमियाबी के साथ मौज कर रहे हैं,दिलों को बांटने वाले,कभी राज्य के नाम पर कभी मज़हब के नाम पर,आराम से अपनी रोटियाँ सेंकते हैं और पब्लिक फिर भी उन पर विश्वास करती है,इनके नापाक मनसूबे इसी लिए सफल भी होते हैं क्योंकि हम इन्हें ऐसा करने की इजाज़त जो देते हैं...हमें ख़ुद सोचना होगा कि इन बांटने की साजिश करने वालों ने कब किस का भला किया है? क्या दिया है इस देश को,इन्हें इनकी गन्दी साजिशों में सफल हम ने बनाया है ,तो अब इनकी नाकामी की ज़िम्मेदारी भी हमारी होनी चाहिए....लेकिन हम कैसे और क्यों ऐसा सोचें,हम तो ख़ुद हर तरह से जाने कितने हिस्सों में बँटे हुए हैं....
इस बारे मेँ ध्यान खीँचने के लिये ममता जी आपको शाबाशी देती हूँ
खैर, देखा जाये तो,
अक्साइस ड्यूटी = Excise Duty ,
एक राज्य से दूस्रे प्र्रँत मेँ जाने पर सरकार क्यूँ लगाती है ?
ये भी सोचना जरुरी है ..
पहले गुजरातीयोँ को भी
महाराष्ट्र से खदेडा गया था
वो मुझे याद है.
- लावण्या
पता नही ठाकरे को ये मालूम है की नही की अभी ब्रिटन मी डोक्टारो ने कानूनी लड़ाई जीती है ,हिन्दुस्तान से बाहर कितने लोग है ...अगर हर देश ऐसे ही हिन्दुस्तानियों को बाहर निकाले तो...राज ठाकरे ..जैसे लोगो को तव्वाजो नही देनी चाहिए.....
सब जानते हैं राज की हरकतों का राज, वक्त पर जवाब भी दे देंगे।
मुझे समझ नही आता हमारी केन्द्र सरकार क्यो सो रही हे, क्या उन्के हार्थो मे मेहंदी लगी हे, या फ़िर उन्हे देश से ज्यादा अपनी फ़िकर हे की कही कुर्सी ना खिसक जाये, फ़िर जनता कितनी पगाल हे, जुते खा कर फ़िर इन्हे ही जिता देती हे, मुझे तो लगता हे सब गोल माल हे, आम आदमी की समझ से बाहिर.
Udan Tashtari said…
अच्छा प्रसंग लिया है-बड़ा दुखी करता है जब जब इस बारे में कुछ पढ़ता हूँ.
Ashish said…
कृपया देखें http://aam-hindustani.blogspot.com/

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