क्या आप जानते है की गौरईया चिडिया (sparrow)खत्म हो रही है.
अभी तक तो हम लोग शेर और चीते की प्रजाति के ख़त्म होने की बात सुन रहे थे पर अब तो चिडियों के भी लुप्त होने की ख़बर आ रही है। अभी हाल मे जो नई आउटलुक मैगजीन आई है उसमे गौरईया चिडिया के बारे मे लिखा है की अब गौरईया भी धीरे-धीरे ख़त्म हो रही है। ये पढ़ कर बहुत ही अजीब सा लगा क्यूंकि गौरईया चिडिया का घर-आँगन मे फुदकना, उड़ना,चहकना क्या हम लोग भूल सकते है।पहले जहाँ सुबह हुई कि चिडिया चूं-चूं करती आँगन मे आ जाती थी.जब भी मम्मी आँगन या छत पर कुछ धुप मे सुखाने के लिए डालती तो एक नौकर बैठाया जाता की कहीं चिडिया-कौवा मुंह ना मार दे।कहने का मतलब की उस समय इतनी ज्यादा चिडिया हुआ करती थी।
ये तो हम सभी जानते है कि गौरईया चिडिया को कमरे के पंखों मे घोसला बनाने मे बड़ा मजा आता था।बचपन से
गौरईया को कमरे के पंखों मे घोसला बनाते देखते हुए बड़े हुए है। जहाँ गर्मी आती थी की चिडिया कमरे मे घुसने की कोशिश करने लगती थी। मम्मी हम लोगों को कमरे का जाली का दरवाजा बंद करने के लिए कहती थी क्यूंकि उन्हें लगता था की अगर चिडिया अंदर आएगी तो पंखे से कट जायेगी।पर ना तो चिडिया मानती और ना ही हम लोग हर समय दरवाजा बंद रख पाते थे। और जब भी गौरिया कमरे मे घुसती तो पहला काम होता की पंखा बंद कर दिया जाता। और फ़िर शुरू होता चिडिया को बाहर उडाने और निकालने का काम। कोई उड़-उड़ तो कोई हुश-हुश करता और चिडिया रानी इधर से उधर उड़ती रहती। और तब हम लोगों को मम्मी की डांट पड़ती थी। पर गौरईया भी कम नही थी जहाँ मौका मिलता पंखे मे घोंसला बना लेती और अंडे भी दे देती थी।
अंडमान मे हम लोगों के घर मे बहुत सारी गौरईया आती थी। शुरू-शुरू मे एक-दो और फ़िर जब पतिदेव के कहने पर इन चिडियों के लिए दाना-पानी रखने लगे तो बहुत सारी चिडिया आने लगी थी। और बाद मे ये हाल हो गया था की सब चिडिया दरवाजे पर आकर बैठ जाती थी। और ची-ची-करके शोर मचाया करती थी। पर सारी चिडिया कैमरा कोंशस थी जैसे ही हम कैमरा ले कर आते की सब फुर्र से उड़ जाती थी। अंडमान मे एक दिन बारिश के बाद चिडिया दाना खाने आई थी पर जैसे ही हमारे हाथ मे कैमरा देखा कि खाना-पीना छोड़कर फुर्र से उड़कर तार पर जा बैठी । :)
यहां गोवा मे अभी तक तो ध्यान नही दिया था की गौरईया आती है या नही क्यूंकि यहां पर भी सुबह से चिडियां बोलने लग जाती है। और बहुत तरह की चिडियां दिखती है . पर अब इस लेख को पढने के बाद हम इस बात पर जरुर गौर करेंगे की यहां गौरईया चिडिया आती है या नही।
चलते-चलते एक छोटा सा चिडियों का विडियो भी देख लीजिये हालांकि इसमे बस २-३ गौरईया चिडियां और मैना ही है।
ये तो हम सभी जानते है कि गौरईया चिडिया को कमरे के पंखों मे घोसला बनाने मे बड़ा मजा आता था।बचपन से
गौरईया को कमरे के पंखों मे घोसला बनाते देखते हुए बड़े हुए है। जहाँ गर्मी आती थी की चिडिया कमरे मे घुसने की कोशिश करने लगती थी। मम्मी हम लोगों को कमरे का जाली का दरवाजा बंद करने के लिए कहती थी क्यूंकि उन्हें लगता था की अगर चिडिया अंदर आएगी तो पंखे से कट जायेगी।पर ना तो चिडिया मानती और ना ही हम लोग हर समय दरवाजा बंद रख पाते थे। और जब भी गौरिया कमरे मे घुसती तो पहला काम होता की पंखा बंद कर दिया जाता। और फ़िर शुरू होता चिडिया को बाहर उडाने और निकालने का काम। कोई उड़-उड़ तो कोई हुश-हुश करता और चिडिया रानी इधर से उधर उड़ती रहती। और तब हम लोगों को मम्मी की डांट पड़ती थी। पर गौरईया भी कम नही थी जहाँ मौका मिलता पंखे मे घोंसला बना लेती और अंडे भी दे देती थी।
अंडमान मे हम लोगों के घर मे बहुत सारी गौरईया आती थी। शुरू-शुरू मे एक-दो और फ़िर जब पतिदेव के कहने पर इन चिडियों के लिए दाना-पानी रखने लगे तो बहुत सारी चिडिया आने लगी थी। और बाद मे ये हाल हो गया था की सब चिडिया दरवाजे पर आकर बैठ जाती थी। और ची-ची-करके शोर मचाया करती थी। पर सारी चिडिया कैमरा कोंशस थी जैसे ही हम कैमरा ले कर आते की सब फुर्र से उड़ जाती थी। अंडमान मे एक दिन बारिश के बाद चिडिया दाना खाने आई थी पर जैसे ही हमारे हाथ मे कैमरा देखा कि खाना-पीना छोड़कर फुर्र से उड़कर तार पर जा बैठी । :)
यहां गोवा मे अभी तक तो ध्यान नही दिया था की गौरईया आती है या नही क्यूंकि यहां पर भी सुबह से चिडियां बोलने लग जाती है। और बहुत तरह की चिडियां दिखती है . पर अब इस लेख को पढने के बाद हम इस बात पर जरुर गौर करेंगे की यहां गौरईया चिडिया आती है या नही।
चलते-चलते एक छोटा सा चिडियों का विडियो भी देख लीजिये हालांकि इसमे बस २-३ गौरईया चिडियां और मैना ही है।
Comments
हमारे यहाँ कौवे बहुत कम हो गये है। लोग कहते है कि राजधानी बनने के बाद ऐसा हुआ है। उनसे बडे कौवे आ गये तो उन्होने भागने मे ही भलाई समझी। :)
गौरैया के लिये जो कारण गिनाये गये है वे सभी पंछियो पर लागू होते है। कुछ समय पहले जब मैने गौरैया को गाजर घास के पास देखा तो दुखी हो गया। इस पोस्ट को पढने के बाद अब मै अपने आस-पास इस पंछी पर और नजर रखने की कोशिश करुंगा।
क्या इस तरह इन्सान सभी प्राणियों को खत्म कर ही चैन लेगा?