और कितने पोस्ट मार्टम होंगे ?

पिछले एक हफ्ते से हर जगह सिर्फ़ और सिर्फ़ आरुषी के मर्डर की ही खबरें देखने को मिल रही है। एक बच्ची जिसका इतनी निर्ममता से मर्डर हुआ हो उसका और कितना पोस्ट मार्टम होगा । एक पोस्ट मार्टम तो अस्पताल के डॉक्टरों ने किया पर उसके बाद से रोज ही कोई ना कोई नया सुराग लेकर न्यूज़ चैनल वाले पोस्ट मार्टम शुरू कर देते है।

कभी उस छोटी सी बच्ची का नाम उसके नौकर के साथ तो कभी उसके किसी दोस्त के साथ जोड़ कर तो कभी उसके मोबाइल मे मिली काल्स का पोस्ट मार्टम शुरू कर देते है ।

पुलिस की बात माने तो आरुषी का मर्डर उसके पिता ने किया क्यूंकि आरुषी को अपने पिता और उनकी दोस्त अनिता दुर्रानी की दोस्ती पसंद नही थी। पर क्या सिर्फ़ इतनी सी बात के लिए कोई पिता अपनी बेटी का इतनी निर्ममता से खून कर सकता है।क्या उस पिता के हाथ ऐसा करते हुए नही काँपे होंगे. जैसा कि पुलिस ने कहा कि आरुषी को मारने से पहले उसके पिता ने शराब पी थी , तो क्या पिता नशे मे इतना अँधा हो गया कि उसने अपनी ही इकलौती बेटी को मार दिया।

कल पुलिस ने अपनी प्रेस कांफ्रेंस मे कहा कि आरुषी और उसके नौकर हेमराज को उसके पिता ने कोम्प्रोमाईसिंग पोजीशन मे देखा था और उसी समय पुलिस ने ये भी कहा कि कोम्प्रोमाईसिंग का मतलब यहां objectional position मे देखा था पर आज तक ने कोम्प्रोमाईसिंग शब्द लेकर अपने चैनल पर पोस्ट मार्टम शुरू कर दिया।

पहले आरुषी की माँ कुछ नही बोल रही थी तो सब परेशान थे और जब आज उसने बोला तब फ़िर उसकी कही बातों का पोस्ट मार्टम शुरू हो गया।

ndtv नुपुर से बात कर रहा है तो ज़ी दुर्रानी से तो स्टार प्लस नौकरानी से।

ये सारे चैनल वाले तब तक आरुषी का पोस्ट मार्टम करते रहेंगे जब तक कि इन्हे कोई और नई ख़बर नही मिल जाती है।


Comments

Anonymous said…
आइये आरुशी की आत्मा की शान्ति की प्रार्थना करे । जिन परस्थितियों मे आरुशी की मृत्यु हुई हैं और जिन लोगो ने इस दुष्कर्म को किया हैं उन परस्थितियों मे शायद ही आरुशी का कोई अपना उसके लिये प्रार्थना कर रहा होगा । सो हम सब को उस बच्ची के लिये सच्चे मन से अपनी श्रद्धांजली अर्पित करनी चाहिए । बच्चे तो सबके होते हैं । इस समय हमे सिर्फ़ उस बच्ची के लिये सोचना होगा और मन से प्राथना करनी होगी की वह हम सब को माफ़ करे और जिस नयी दुनिया मे जाए उसमे उसे प्यार करने वाले लोग मिले।
सही कहा आपने. इन्हे किसी आरुशी के दर्द से कोई मतलब नही सिर्फ़ किसी के दर्द किसी के दुःख पर सवार होकर अपनी टी आर पी बढानी है.
सही कहा सिर्फ़ जैसे इस खबर को कितना कौन चीड़ फाड़ कर सकता है जैसे होड़ लगी है ..
जब तक कोई दूसरी ब्रेकिंग न्यूज़ नही मिल जाती.....
हम आप सब से सहमत हैं। ये लोग पुलिस, चैनल सब स्त्रित्व और उस के सम्मान की ह्त्या कर रहे हैं। यहां तक कि कुछ चिट्ठाकार साथी भी नासमझी में यही कर रहे हैं।
Kath Pingal said…
भड़ास के मॉडरेटर यशवंत ने जेल में काटी रात
दोस्‍त की बेटी से बलात्‍कार की कोशिश

अपने भीतर की बुराइयों को दिलेरी से सार्वजनिक करने वाले ब्‍लॉग भड़ास में इतनी हिम्‍मत नहीं थी कि वो इस ख़बर को अपने साथियों से बांटता। ऐसा तब भी नहीं हुआ था, जब यशवंत को उनकी कंपनी ने थोड़े दिनों पहले अपने यहां से धक्‍के देकर बाहर निकाल दिया था। जी हां, जागरण के बाद इंडिकस ने उन्‍हें अपने यहां से निकाल बाहर किया है - क्‍योंकि यशवंत की जोड़-तोड़ की आदत से वे परेशान हो चुके थे।

ताज़ा ख़बर ये है कि नौकरी से निकाले जाने के बाद यशवंत नयी कंपनी बनाने में जुटे थे। उन्‍होंने भाकपा माले के एक साथी को इसके लिए अपने घर बुलाया। ग्रामीण कार्यकर्ता का भोला मन - अपनी बेटी के साथ वो दिल्‍ली आ गये। सोचा यशवंत का परिवार है - घर ही तो है। लेकिन यशवंत ने हर बार की तरह नौकरी खोने के बाद अपने परिवार को गांव भेज दिया था। ख़ैर, शाम को वे सज्‍जन वापसी का टिकट लेने रेलवे जंक्‍शन गये, इधर यशवंत ने उनकी बेटी से मज़ाक शुरू किया। मज़ाक धीरे-धीरे अश्‍लील हरक़तों की तरफ़ बढ़ने लगा। दोस्‍त की बेटी डर गयी। उसने यशवंत से गुज़ारिश की कि वे उसे छोड़ दें। लेकिन यशवंत पर जैसे सनक और वासना सवार थी।

यशवंत ने दोस्‍त की बेटी के कपड़े फाड़ डाले और उससे बलात्‍कार की कोशिश की। लेकिन दोस्‍त की बहादुर बेटी यशवंत को धक्‍के देकर सड़क की ओर भागी और रास्‍ते के पीसीओ बूथ से भाकपा माले के दफ़्तर फोन करके मदद की गुहार लगायी। भाकपा माले से कविता कृष्‍णन पहुंची और उसे अपने साथ थाने ले गयी। थाने में मामला दर्ज हुआ और पुलिस ने यशवंत के घर पर छापा मारा।

यशवंत घर से भागने की फिराक में थे, लेकिन धर लिये गये। ख़ैर पत्रकारिता की पहुंच और भड़ास के सामाजिक रूप से ग़ैरज़‍िम्‍मेदार और अपराधी प्रवृत्ति के उनके दोस्‍तों ने भाग-दौड़ करके उनके लिए ज़मानत का इंतज़ाम किया।

अब फिर यशवंत आज़ाद हैं और किसी दूसरे शिकार की तलाश में घात लगाये बैठे हैं।
Udan Tashtari said…
बस, इन्तजार करिये अगली ब्रेकिंग न्यूज तक. तब तक यही नगाड़ा बजेगा.
L.Goswami said…
rachana jee ne sahi kaha आरुशी की आत्मा की शान्ति की प्रार्थना करे ।
तो फिर यह चैनल वालें क्या करें ,
क्या अगले बलात्कार या हत्या,
स्कैम, स्कैन्डल की प्रतीक्षा में
हाथ पर हाथ रख चैनल बन्द करके
बैठे रहें ?

इनकी नज़र अभी इतनी स्वस्थ नहीं
हुई है कि यह अस्वस्थ समाज को
हाशिये पर रख कर कुछ कर सकें ।

क्या तुम्हारे पास टी०वी० का रिमोट नहीं है ?
बस, एक अगली सनसनीखेज खबर तक चलेगा यह। फिर वह चलेगी।
आपकी अभिव्यक्ति से सहमत हूँ धन्यवाद
bilkul yahi baatmai soch rahi thi.... ek baap ne apni iklauti beti khoi...kitna kashta...aur fir us pe iljaam kikatla usne hio kiya hai....! ham kitne vyavsayik ho gaye hai.n

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