उफ़ ! टशन (फ़िल्म समीक्षा)
२-३- महीने से टी.वी.पर और हर अखबार और मैगजीन मे टशन फ़िल्म के बारे मे पढ़ पढ़ कर कल हम भी चले गए टशन देखने। और टशन देखने के बाद सोचने लगे की क्या यश राज का स्टैंडर्ड इतना गिर गया है की अब फ़िल्म का हिट होना ना होना उनकी फ़िल्म की हेरोइन के कपड़े और फिगर पर निर्भर होगा। पूरी फ़िल्म मे टशन -टशन सुनते रहे पर ना तो टशन का मतलब समझ आया और ना ही इस शब्द की कोई अहमियत समझ आई। लो जी यही तो टशन है। :)
फ़िल्म मे कहानी नाम की तो खैर कोई चीज ही नही थी और उस पर करीना कपूर ,सैफ और अनिल कपूर की कमाल की एक्टिंग सोने पर सुहागा का काम कर रही थी। कौन क्या कह रहा है और क्या कर रहा है और फेस ऍक्स्प्रॅशन उफ़। इन सबको एक बार pune film institue भेजना चाहिए एक्टिंग सीखने के लिए।ले दे कर अक्षय कुमार बचे पर इसमे वो भी बस बाकियों के रंग मे रंगते हुए से लगे। सब के over acting कर रहे थे. अब जैसे रावण वाला सीन था की चलता ही जा रहा था और end होने का नाम ही नही ले रहा था। आम तौर पर करीना बहुत अच्छी लगती है पर film के फर्स्ट हाफ मे क्लोज -अप मे कुछ ज्यादा ही मेक -अप किए हुए लगी।पहले जो करीना कपडों के लिए जानी जाती थी अब तो उसने भी कम कपड़े का फंडा अपना लिया लगता है।
इस film मे यूं तो फ़िल्म को याद रखने लायक कुछ भी नही था पर कुछ ऐसी बातें है जिनसे लगता है कि निर्माता-निर्देशक जनता को बेवकूफ समझते है।अब जैसे फ़िल्म के एक सीन मे सैफ और अक्षय जिस लाल कार मे जा रहे होते है उस कार मे सामने की नंबर प्लेट पर u.s.g. यानी यू.पी का नंबर लिखा दिखाया पर जब कार से सैफ और अक्षय निकलते है तो कार की पीछे की नम्बर प्लेट पर महाराष्ट्र का नंबर (mh-२३ कुछ ऐसा ) लिखा दिखाया गया। और इतना ही नही बाद मे अचानक ही करीना कपूर भी पानी मे इन दोनों के साथ अवतरित हो गई।ना तो इस फ़िल्म का कोई गाना याद रखने लायक था और ना ही इस का music कानों को अच्छा लगा है ।
इस फ़िल्म के फाईट सीन बड़े ही रोमांचकारी है। एक -एक सीन १५-२० मिनट तक चलता है और सबसे कमाल की बात की जिस जगह सैफ,करीना,और अक्षय गाड़ी मे छुपते है उसे अनिल कपूर बम से उड़ देता है । वो जगह पूरी उड़ जाती है पर इन तीनो को कुछ नही होता है। और ये तीनो तो बाकायदा चलते हुए गाड़ी मे सही-सलामत बाहर आते है।
इससे पहले तो यश चोपडा की फिल्मों मे हिरोइन जो फर्स्ट हाफ मे फुल सलीव्स कपड़े पहनती थी और सेकंड हाफ मे स्लीवलेस कपड़े पहनती थी जैसे सिलसिला और चाँदनी मे । पर अब तो यश चोपडा अपनी हिरोइन के कपड़े ही गायब कर देते है वो चाहे ऐश्वर्या हो या चाहे करीना।
इतनी बड़ी समीक्षा पढ़ते-पढ़ते तो आप लोग भी कह उठेंगे ----टशन :)
फ़िल्म मे कहानी नाम की तो खैर कोई चीज ही नही थी और उस पर करीना कपूर ,सैफ और अनिल कपूर की कमाल की एक्टिंग सोने पर सुहागा का काम कर रही थी। कौन क्या कह रहा है और क्या कर रहा है और फेस ऍक्स्प्रॅशन उफ़। इन सबको एक बार pune film institue भेजना चाहिए एक्टिंग सीखने के लिए।ले दे कर अक्षय कुमार बचे पर इसमे वो भी बस बाकियों के रंग मे रंगते हुए से लगे। सब के over acting कर रहे थे. अब जैसे रावण वाला सीन था की चलता ही जा रहा था और end होने का नाम ही नही ले रहा था। आम तौर पर करीना बहुत अच्छी लगती है पर film के फर्स्ट हाफ मे क्लोज -अप मे कुछ ज्यादा ही मेक -अप किए हुए लगी।पहले जो करीना कपडों के लिए जानी जाती थी अब तो उसने भी कम कपड़े का फंडा अपना लिया लगता है।
इस film मे यूं तो फ़िल्म को याद रखने लायक कुछ भी नही था पर कुछ ऐसी बातें है जिनसे लगता है कि निर्माता-निर्देशक जनता को बेवकूफ समझते है।अब जैसे फ़िल्म के एक सीन मे सैफ और अक्षय जिस लाल कार मे जा रहे होते है उस कार मे सामने की नंबर प्लेट पर u.s.g. यानी यू.पी का नंबर लिखा दिखाया पर जब कार से सैफ और अक्षय निकलते है तो कार की पीछे की नम्बर प्लेट पर महाराष्ट्र का नंबर (mh-२३ कुछ ऐसा ) लिखा दिखाया गया। और इतना ही नही बाद मे अचानक ही करीना कपूर भी पानी मे इन दोनों के साथ अवतरित हो गई।ना तो इस फ़िल्म का कोई गाना याद रखने लायक था और ना ही इस का music कानों को अच्छा लगा है ।
इस फ़िल्म के फाईट सीन बड़े ही रोमांचकारी है। एक -एक सीन १५-२० मिनट तक चलता है और सबसे कमाल की बात की जिस जगह सैफ,करीना,और अक्षय गाड़ी मे छुपते है उसे अनिल कपूर बम से उड़ देता है । वो जगह पूरी उड़ जाती है पर इन तीनो को कुछ नही होता है। और ये तीनो तो बाकायदा चलते हुए गाड़ी मे सही-सलामत बाहर आते है।
इससे पहले तो यश चोपडा की फिल्मों मे हिरोइन जो फर्स्ट हाफ मे फुल सलीव्स कपड़े पहनती थी और सेकंड हाफ मे स्लीवलेस कपड़े पहनती थी जैसे सिलसिला और चाँदनी मे । पर अब तो यश चोपडा अपनी हिरोइन के कपड़े ही गायब कर देते है वो चाहे ऐश्वर्या हो या चाहे करीना।
इतनी बड़ी समीक्षा पढ़ते-पढ़ते तो आप लोग भी कह उठेंगे ----टशन :)
Comments
कभी पता ये चल न सका है निर्माता क्या, किसे बेचता
कभी शेढ़ सौ से दो सौ मिनटों का वक्त गंवाया जाये
इतना समय काल का पहिया मेरे पथ पर नहीं भेजता
मनीषा
hindibaat.blogspot.com
मनीषा जी की टिपण्णी वाकई बहुत मज़ेदार है. ऐसा उन्हें बताया जाए प्लीज़ .