ब्लोगिंग के तीन महीने

आज पूरे तीन महीने हो गए है हमे ब्लोगिंग करते हुए ,हो सकता है आप लोगों को लगे कि भाई ये भी कोई इतनी बड़ी बात है की इस पर एक पोस्ट ही लिख दी जाये। तो जनाब हमारे जैसे इन्सान के लिए तो ये बहुत ही बड़ी बात है क्यूंकि ब्लोगिंग करने से पहले हमे कंप्यूटर पर काम करना बिल्कुल भी पसंद नही था या यूं कह लीजिये की हम बिल्कुल भी कंप्यूटर सेवी नही थे। हमारे घर मे बेटे और पतिदेव तो हमेशा ही कंप्यूटर पर काम करते थे। बेटे तो जब देखो तो कंप्यूटर पर और कुछ पूछो तो एक ही जवाब की नेट पर है कभी download चल रहा है तो कभी कोई पिक्चर देख रहे है । और तो और हमे भी कहते मम्मी आप भी नेट किया करिये इससे आप कोई भी जानकारी ले सकती है कुछ भी पढ़ सकती है।


१० साल पहले हमने ई.ग.न.उ। मे कंप्यूटर कोर्स भी ज्वाइन किया था पर कुछ दिन जाने के बाद छोड़ दिया क्यूंकि एक तो उसमे क्लास शनिवार और रविवार होती थी और वो दिन छुट्टी का होता था इसलिये ४-५ क्लास के बाद उसे छोड़ दिया था।और दुसरे हम बहुत देर तक कंप्यूटर पर काम नही कर पाते थे क्यूंकि आंखों पर जोर सा पड़ता था ,वैसे ये मात्र एक बहाना ही था ।

फिर कुछ साल बाद बेटों और पतिदेव के बहुत कहने पर हमने मेल करना सीखा और धीरे-धीरे लोगों को मेल भेजने लगे पर ये भी ज्यादा दिन नही चला और फिर हमने सबसे फ़ोन पर ही बात करना बेहतर समझा। क्यूंकि कई बार जब हम अपने आप कंप्यूटर पर कुछ भी सर्च करने की कोशिश करते तो हर बार कुछ ना कुछ गड़बड़ हो जाती मतलब हम कोई साईट खोलना चाहते तो कोई और साईट खुल जाती और हम खीज कर ग़ुस्से मे कंप्यूटर बंद कर देते थे।और ऐसा नही है की हम अब बिल्कुल expert हो गए है ,अभी भी कभी-कभी कुछ ना कुछ गड़बड़ हो ही जाती

गोवा मे भी पतिदेव और बेटे जब देखो नेट पर लगे रहते । और कई बार हमारे बेटे हमे बताते की फलां ब्लोग पर हमने ये पढा फलां ब्लोग पर ये देखा और कई बार हमे भी पढ़ाते थे। पर हम अपनी आदत से मजबूर थोडा सा ही पढ़कर कह देते की हां पढ़ लिया है।

एक दिन पतिदेव ने बताया की उन्हें एक महीने के लिए बाहर जाना है और वो चले भी गए। और फिर हम लोगों का बाहर घूमना -फिरना कम हो गया तो फिर हम बोरे होने लगे क्यूंकि बेटे तो हमेशा कि तरह कंप्यूटर पर ही व्यस्त रहते थे । ऐसे ही एक दिन हमने बेटों से पूछा कि हम क्या करें बडे बोर हो रहे है।

तो यूं ही हमारे बडे बेटे ने कहा की आप ब्लोग लिखना क्यों नही शुरू कर देती है।
हमने कहा कि हम और ब्लोग ?
तो बेटा बोला की इसमे क्या है । आप जो भी चाहे लिख सकती है। और आप तो टी.वी. बहुत देखती है उसी पर लिखना शुरू कर दीजिए।

फिर हमारे बेटों के कहने पर ही हमने ब्लोग लिखना शुरू किया। पर हमे लगता था कि ये भी हम कुछ दिन बाद छोड़ देंगे पर इस बार हम खुद ही गलत साबित हो गए. हालांकि शुरू के दिन बडे कठिन थे हम रोज कहते थे कि हम अब नही लिखेंगे तो बेटे कहते थे कि बस आप लिखती रहिए । फिर करीब बीस- पचीस दिन बाद पहली तिप्पडी उन्मुक्त जी की आयी जिससे कुछ हौसला बढ़ा फिर कुछ दिन बाद जीतू जी ने नारद पर और प्रतीक जी ने हिंदी ब्लोग पर रजिस्टर करवाने को कहा।

और धीरे-धीरे हम भी ब्लोगिंग के इस परिवार मे शामिल हो गए। हमे कभी भी नही लगता था कि हम इतना कुछ लिख पायेंगे पर आप सभी के कमेंट्स हमे लिखने के लिए प्रोत्साहित करते है।और हम तहेदिल से आप सबका शुक्रिया अदा करते है । ब्लोगिंग की बदौलत ही हम आप सब लोगों को और आप के विचारों को जान पाए है।

हमारे घर वालों और दोस्तो सबको आश्चर्य होता है कि ममता और ब्लोगिंग ? पर अब उन्हें कौन समझाए कि भाई ये तो एक नशा है या यूं कहे कि ये वो लड्डू है जो खाये वो भी खुश जो ना खाये वो भी खुशअब तो जब तक एक पोस्ट ना लिख ले तब तक लगता है कि कुछ मिस्सिंग है। और जब कुछ कमेंट्स आ जाते है तो सोने पर सुहागा वाली बात हो जाती है।

समीर लाल जी,नाहर जी , मनीश जी, घुघुती जी ,जीतू जी , प्रतीक जी ,रत्ना जी, रंजू जी ,संजीव जी , संजीत जी , ज्ञानदत जी, अमित जी, अरुण जी ,अतुल जी,अनुराग जी,उन्मुक्त जी , तरुण जी,रवि जी,पुनीत जी,संजय जी, पंकज जी,धुरविरोधी जी,सुरेश जी ,शिरीष जी,देबाशीष जी , चंद्र्भूष्ण जी,सुनील जी,महाशक्ति जी ,प्रभाकर जी,रिंकू जी,चितरंजन जी,परमजीत जी,यूनुस जी,हरिराम जी,राजीव जी,अभय जी,आलोक जी,अनूप जी,मोहिंदर जी,शुहैब जी,सूचक जी,divine india ,बेनाम जी, विशेष जी ,आप सभी का बहुत-बहुत शुक्रिया हमारी हौसला अफजाई का

Comments

dhurvirodhi said…
This comment has been removed by the author.
काकेश said…
बहुत खूब ममता जी ...बस ऎसे ही लिखते रहें... ढेरों शुभकामनाऎं...
आपको लिखते हुए मात्र तीन महीने हुए हैं और आप लिखने में यूं पारंगत हो गई है मानों बरसों से लिख रही हों। और हाँ तीन महीने में सत्तर पोस्ट !!!!!
हमें एक बरस लग गया था यह काम करने में।

आपको चिट्ठाकारी में तीन महीने पूरे करने पर हार्दिक बधाई।
Srijan Shilpi said…
अच्छा लगा ब्लॉगिंग के आपके तीन महीने सफर के अनुभव को जानकर।

आप इन दिनों दिल्ली में हैं तो क्यों न एक छोटी सी ब्लॉगर्स मीट इस सप्ताहांत आयोजित कर ली जाए? कुछ अन्य नए साथी भी ऐसा चाह रहे हैं।
Udan Tashtari said…
बधाई, ३ माह-अब संकट का समय खत्म हुआ, अब नहीं छूट पायेंगी यहाँ से.

वैसे आपने जो बेनाम जी का आभार प्रकट किया-यह गागर में सागर वाली बात है, साधुवाद!!!
ईश्वर करे आप हमेशा चिट्टा लिखती रहें।
मुझे तो आप, अंतरजाल पर विचरण करते समय, अचानक ही मिल गयीं। पहले तो लगा कि आप टीवी के लिये काम करती हैं क्योंकि आप टीवी प्रोग्राम के बारे में लिखती थी फिर लगा कि नहीं मेरी सोच गलत है।
मुझे तो प्रसन्नता है कि कहीं तो मैं पहले नंबर पर पहुंचा चाहे वह आपके चिट्ठे पर टिप्पणी करना ही क्यों न हो।
Manish Kumar said…
तीन महिने पूरे करने के लिए बधाई । यूं ही लिखती रहें
ममता जी,आप की लिखी यह पोस्ट भी कईयों को लिखने की प्रेरणा देगी। आप अच्छा लिखती हैं लिखती रहिए।
आप मुझसे ब्लॉगिंग की दुनिया में दो महीने सीनियर हैं,
इस हेतु इस जूनियर का
नमस्कार,
करें स्वीकार।
mamta said…
धुरविरोधी जी ,नाहर जी ,समीर जी , काकेश जी,उन्मुक्त जी,संतोष जी ,परमजीत जी,मनीष जी आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद।

सृजन शिल्पी जी ब्लोगेर्स मीट की बात सुनकर अच्छा लगा । कौन-कौन यहाँ दिल्ली मे है और कहॉ पर मीटिंग होगी ये बतायें । वैसे शनिवार को रखे तो शायद हम आ पायेंगे क्यूंकि शाम को हम इलाहबाद जा रहे है।
Mohinder56 said…
सुन्दर लिखा है जी....अगला पोस्ट कब आ रहा है... हम इन्तजार में हैं
लिखती रहिये. इसी बहाने हिन्दी जीवित रहेगी. आप इलाहाबाद की हैं तो ये पढ़िये (बल्कि सारे इलाहाबादी लोगों के लिये): http://www.chowk.com/show_article.cgi?aid=00004269&channel=leafyglade inn
ePandit said…
बधाई ममता जी अब तो आप हमारे चिट्ठाजगत परिवार में शामिल हो गई हैं, चाह कर भी न छोड़ पाएंगी। ये बीमारी ही ऐसी है एक बार लग जाए तो छोड़ती नहीं।

आपके पति और पुत्र का ब्लॉग पता बताइए। जरुर वे भी ब्लॉग लिखते होंगे तभी तो उन्होंने आपको इस काम के लिए प्रेरित किया। एक बात और बताइए कि हिन्दी ब्लॉगिंग के बारे कैसे पता चला, क्या पति या पुत्र हिन्दी में लिखते हैं, यदि नहीं तो कहाँ से ?
ePandit said…
ब्लोग --> ब्लॉग
ब्लोगिंग --> ब्लॉगिंग
mamta said…
शिरीष जी बधाई के लिए शुक्रिया , हमारे पतिदेव और बेटे ब्लॉग तो नही लिखते है पर नेट की बहुत जानकारी रखते है और हिंदी ब्लॉगिंग का आईडिया भी इन्ही लोगों का था । वो तो अब हिंदी लिखना आसान हो गया है वरना तो हम कब के भाग चुके होते। गलती सुधारने का धन्यवाद ।
लिखती रहिये अबकी समय से टिप्‍पणी दूँगा :)

Popular posts from this blog

जीवन का कोई मूल्य नहीं

क्या चमगादड़ सिर के बाल नोच सकता है ?

सूर्य ग्रहण तब और आज ( अनलॉक २.० ) चौदहवाँ दिन