मैं चोर हूँ.
ये कोई पिक्चर का टाइटिल नही है और ना ही अमिताभ बच्चन की पिक्चर से लिया गया है ,ये तो कल रात आज तक न्यूज़ चैनल पर एक खबर दिखाई गयी थी जो उत्तर प्रदेश के लखीमपुर जिले की थी जिसमे दो दस और बारह साल के बच्चों के पेट पर मैं चोर हूँ लिखा गया और उनके कपडे उतार कर सड़कों पर घुमाया जा रहा था । पर उन बच्चों को किसी ने भी बचाने की कोशिश नही की। हां कुछ लोग और शायद रिपोर्टर्स उन बच्चों की फोटो खीचते हुए दिख रहे थे पर क्या सिर्फ फोटो खींच कर अखबार या टी.वी.पर दिखाना ही उनका मकसद होता है?
क्या वो लोग उन बच्चों को इस तरह घुमाये जाने से रोक नही सकते थे?
कोई बी.एस.पी.के कोर्पोरेटर को दिखाया गया था ताम्बे के तार चोरी करने की ये सजा उन दो बच्चों को दी गयी थी। जैसा की न्यूज़ मे दिखाया गया की पहले उन बच्चों को करंट लगाया गया और फिर उनके कपडे उतार कर उनके पेट पर मैं चोर हूँ ये लिख दिया गया और फिर उतनी तपती धूप मे उन्हें सड़कों पर घुमाया जा रहा था। पर मजाल है की कोई उन्हें बचा लेता ।हां भीड़ ये तमाशा जरुर देख रही थी ।
वैसे उस कोर्पोरेटर को पुलिस ने गिरफ्तार तो कर लिया है पर वो तो यही कह रहे है की उस समय वो वहां मौजूद ही नही थे।पर क्या उन्हें इसकी सजा मिलेगी।
आज हम एक तरफ तो बच्चों को देश का भविष्य कहते है और दूसरी तरफ मासूम बच्चों के साथ ऐसा व्यवहार करते है।
अगर बच्चों ने चोरी की है तो उसकी सजा उन्हें जरुर मिलनी चाहिऐ पर क्या इस तरह ?
क्या वो लोग उन बच्चों को इस तरह घुमाये जाने से रोक नही सकते थे?
कोई बी.एस.पी.के कोर्पोरेटर को दिखाया गया था ताम्बे के तार चोरी करने की ये सजा उन दो बच्चों को दी गयी थी। जैसा की न्यूज़ मे दिखाया गया की पहले उन बच्चों को करंट लगाया गया और फिर उनके कपडे उतार कर उनके पेट पर मैं चोर हूँ ये लिख दिया गया और फिर उतनी तपती धूप मे उन्हें सड़कों पर घुमाया जा रहा था। पर मजाल है की कोई उन्हें बचा लेता ।हां भीड़ ये तमाशा जरुर देख रही थी ।
वैसे उस कोर्पोरेटर को पुलिस ने गिरफ्तार तो कर लिया है पर वो तो यही कह रहे है की उस समय वो वहां मौजूद ही नही थे।पर क्या उन्हें इसकी सजा मिलेगी।
आज हम एक तरफ तो बच्चों को देश का भविष्य कहते है और दूसरी तरफ मासूम बच्चों के साथ ऐसा व्यवहार करते है।
अगर बच्चों ने चोरी की है तो उसकी सजा उन्हें जरुर मिलनी चाहिऐ पर क्या इस तरह ?
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