आजकल तरबूज कितने ज़्यादा मीठे होते है ( अनलॉक २.० ) चौथा दिन

आज सुबह तरबूज काटते हुये उसका एक टुकड़ा मुँह में डाला और उसकी मिठास से हम सोचने लगे कि पहले तरबूज इतने लाल और मीठे नहीं मिलते थे ।

और बस गरमियों में ही तरबूज मिला करते थे । पर अब तो तरबूज पूरे साल मिलता है ।


वो हल्के हरे रंग वाले तरबूज तो कम ही दिखते है । सात आठ किलो वाले तरबूज तो विरले ही मिलते है ।


अब तो ज़्यादातर गाढ़े हरे रंग वाले ( हाई ब्रीड ) दो - चार किलो वाले तरबूज ही मिलते है ।


हमें खूब अच्छे से याद है कि जब हम छोटे थे तो हमेशा मम्मी तरबूज ख़रीदने से पहले उसे थोडा सा कटवाकर देखती थी कि तरबूज अंदर से लाल है या नहीं ।

और तरबूज अगर फीका होता था तो अकसर उस छोटी कटी हुई जगह पर मम्मी चीनी डाल देती थी ताकि तरबूज मीठा हो जाये । 😋

और हमने भी बहुत सालों तक इसी तरह तरबूज का रंग चेक किया और ऐसे ही चीनी डालकर तरबूज को मीठा भी बनाया है । 😃

पर अब तरबूज को चीनी डालकर लाल और मीठा करने की ज़रूरत नहीं है ।


क्यों कि इधर पिछले कुछ सालों से तरबूज का लाल रंग और चीनी से भी अधिक मिठास बडी आम बात हो गई है । कभी कभार ही अंदर से लाल नहीं होता है ।

क्या आपको भी ऐसा लगता है ।





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