क्रिकेट,चीयर गर्ल, और भज्जी का चांटा
क्रिकेट जिसे अभी तक तो सभी लोग जेंतिलमैंस गेम कहते आए है पर अब क्रिकेट का रूप बदलता जा रहा है।पहले क्रिकेट मे सिर्फ़ खेल को प्राथमिकता दी जाती थी पर अब खेल को कम मनोरंजन को ज्यादा प्राथमिकता दी जा रही है।अब ६०-७० के दशक मे सिर्फ़ टेस्ट मैच जो ५ दिन तक चलते थे होता थे और सिर्फ़ सर्दियों मे ही होते थे और क्रिकेट के उन ५ दिनों मे लोग सब कुछ भूल जाते थे। धीरे-धीरे ५ दिवसीय टेस्ट मैच के साथ-साथ वन डे मैच की शुरुआत हुई। और लोगों को मजा भी आने लगा क्यूंकि वन डे मे एक ही दिन मे जीत-हार का फ़ैसला हो जाता है । और खेल मे रोमांच भी बना रहता है। क्रिकेट मे हार जीत तो होती पहले भी होती ही थी पर आजकल तो हार-जीत के साथ-साथ गाली-गलौज होना आम सी बात हो गई है।
और अब वन डे से आगे t20 मैच आ गया । जिसमे वन डे से कहीं ज्यादा रोमांच होता है।और t20 मे एक और नई शुरुआत हुई चीयर गर्ल की जिन्हें बाकायदा विदेशों से लाया गया है पर अभी तक ये समझ नही आया की ये चीयर गर्ल टीम को चीयर करती है या जनता को या वो ख़ुद अपने आप को चीयर करती है । :) क्यूंकि खिलाड़ियों को चीयर करने के लिए तो मैदान मे मौजूद जनता ही काफ़ी होती है और जनता को चीयर करने के लिए खिलाडियों को बस अपने बल्ले का कमाल दिखाना होता है। अब पवार जी क्रिकेट को भी फ़ुटबाल की तरह का खेल बनाना चाह रहे है।अभी कल ही महाराष्ट्र की सरकार और जनता को चीयर गर्ल और उनके डांस और कपडों पर ऐतराज था पर क्या उन्हें ये नही पता की इन चीयर गर्ल को लाने वाले भी पवार ही है (महराष्ट्र के )। हर मैच के शुरू मे टी.वी.वाले चीयर गर्ल से जरुर बात करते है की उन्हें कौन सा खिलाड़ी पसंद है या वो किस तरह से अपनी टीम को चीयर करेंगी। अब पवार जी इन चीयर गर्ल को क्रिकेट की शान बढ़ाने के लिए लाये है और शत्रुघ्न सिन्हा इन्हे नचानियाँ कह कर इनका अपमान कर रहे है। अरे शत्रु जी लगता है पवार जी ने आपकी ये बात नही सुनी है वरना वो आपको आपके ही अंदाज मे खामोश कह देते।
अब कल के मैच के बाद तो ये कहना ठीक होगा कि भज्जी को गुस्सा क्यों आता है। अभी तक तो भज्जी और श्रीसंत विदेशी खिलाडियों से लड़ते थेऔर उन्हें क्रिकेट बोर्ड बचाता था पर अब जब ये दोनों ही आपस मे भिड़ गए तो बोर्ड क्या करेगा। पहले भी ये लोग मैदान मे गुस्सा दिखाते थे और गाली-गलौज भी करते थे पर अब तो अपने ही खिलाड़ियों को थप्पड़ और चांटे भी मारने लगे है। जिस तरह वन डे से t20 मे तरक्की हुई उसी तरह से गाली से चांटे की तरक्की हुई है।क्या खूब उदाहरण पेश किया है भारतीय क्रिकेट टीम का। कल साईमंड और गिलक्रिस्ट और पोंटिंग को इन दोनों महान भारतीय खिलाडियों ने खुश होने का मौका दे दिया। हारना तो किसी को भी बर्दाश्त नही होता है पर हार के बाद ऐसी हरकत करना तो बस उसी कहावत जैसा है खिसियानी बिल्ली खम्भा नोचे जैसा।
अब इस IPL के बाद क्रिकेट जेंतिलमैंस गेम कहा जायेगा या नही ये देखने की बात है।
और अब वन डे से आगे t20 मैच आ गया । जिसमे वन डे से कहीं ज्यादा रोमांच होता है।और t20 मे एक और नई शुरुआत हुई चीयर गर्ल की जिन्हें बाकायदा विदेशों से लाया गया है पर अभी तक ये समझ नही आया की ये चीयर गर्ल टीम को चीयर करती है या जनता को या वो ख़ुद अपने आप को चीयर करती है । :) क्यूंकि खिलाड़ियों को चीयर करने के लिए तो मैदान मे मौजूद जनता ही काफ़ी होती है और जनता को चीयर करने के लिए खिलाडियों को बस अपने बल्ले का कमाल दिखाना होता है। अब पवार जी क्रिकेट को भी फ़ुटबाल की तरह का खेल बनाना चाह रहे है।अभी कल ही महाराष्ट्र की सरकार और जनता को चीयर गर्ल और उनके डांस और कपडों पर ऐतराज था पर क्या उन्हें ये नही पता की इन चीयर गर्ल को लाने वाले भी पवार ही है (महराष्ट्र के )। हर मैच के शुरू मे टी.वी.वाले चीयर गर्ल से जरुर बात करते है की उन्हें कौन सा खिलाड़ी पसंद है या वो किस तरह से अपनी टीम को चीयर करेंगी। अब पवार जी इन चीयर गर्ल को क्रिकेट की शान बढ़ाने के लिए लाये है और शत्रुघ्न सिन्हा इन्हे नचानियाँ कह कर इनका अपमान कर रहे है। अरे शत्रु जी लगता है पवार जी ने आपकी ये बात नही सुनी है वरना वो आपको आपके ही अंदाज मे खामोश कह देते।
अब कल के मैच के बाद तो ये कहना ठीक होगा कि भज्जी को गुस्सा क्यों आता है। अभी तक तो भज्जी और श्रीसंत विदेशी खिलाडियों से लड़ते थेऔर उन्हें क्रिकेट बोर्ड बचाता था पर अब जब ये दोनों ही आपस मे भिड़ गए तो बोर्ड क्या करेगा। पहले भी ये लोग मैदान मे गुस्सा दिखाते थे और गाली-गलौज भी करते थे पर अब तो अपने ही खिलाड़ियों को थप्पड़ और चांटे भी मारने लगे है। जिस तरह वन डे से t20 मे तरक्की हुई उसी तरह से गाली से चांटे की तरक्की हुई है।क्या खूब उदाहरण पेश किया है भारतीय क्रिकेट टीम का। कल साईमंड और गिलक्रिस्ट और पोंटिंग को इन दोनों महान भारतीय खिलाडियों ने खुश होने का मौका दे दिया। हारना तो किसी को भी बर्दाश्त नही होता है पर हार के बाद ऐसी हरकत करना तो बस उसी कहावत जैसा है खिसियानी बिल्ली खम्भा नोचे जैसा।
अब इस IPL के बाद क्रिकेट जेंतिलमैंस गेम कहा जायेगा या नही ये देखने की बात है।
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