हो गई ओलम्पिक मशाल की दौड़
ओलम्पिक मशाल और तिब्बतियों के विरोध के बीच मे ओलम्पिक मशाल का भारत मे आना और सही सलामत ओलम्पिक दौड़ का आयोजन हो जाना भारत सरकार इसे एक बड़ी उपलब्धि के तौर पर मान रही है।पर क्या वाकई ये ओलम्पिक दौड़ का आयोजन सफ़ल रहा है ।अब ये तो जानकार लोग ही बता पायेंगे। ओलम्पिक मशाल की दौड़ के बराबर ही तिब्बतियों ने भी एक मशाल रैली निकाली थी।
कल जिस दौड़ को दोपहर एक बजे शुरू होना था वो शाम को ४ बजे शुरू हुई। और उसपर भी इतनी सुरक्षा जितनी तो शायद देश के प्रधान मंत्री या राष्ट्रपति की भी नही होती ।तकरीबन १७००० सुरक्षा कर्मी लगाए गए थे। खैर मशाल की दौड़ जब शुरू हुई और जो देखने को मिला उसमें ना तो खेल भावना दिखी और ना ही लोगों या जनता मे इस ओलम्पिक मशाल की दौड़ को देखने के लिए कोई उत्साह दिखा।वैसे लोगों मे अगर उत्साह होता भी तो बेचारे सिर्फ़ सुरक्षा कर्मी को ही देख पाते क्यूंकि मशाल को देख पाना तो नामुमकिन ही था।तीन तरह का सुरक्षा घेरा था। लाल और काले रंग के कपड़े मे सुरक्षा कर्मी तो सफ़ेद और नीले रंग के कपडों मे चीनी और बिल्कुल सफ़ेद कपडों मे तीसरे घेरे के रूप मे भी सुरक्षा कर्मी। तीन-तीन सुरक्षा घेरे और उस पर चीनी (chinese ) लोग तो किसी को मशाल के आस-पास भी फटकने नही देते।
कितने गर्व की बात है जिस तरह से चीनी लोग मशाल लेकर दौड़ने वालों को instruction दे रहे थे ।कि किस तरह से मशाल को जलाना है और किस तरह से मशाल को पकड़ कर दौड़ना है। और कैसे सीधी लाइन मे दौड़ना है।जब भी कोई मशाल लेकर दौड़ता था तो वो अपने हाथ हिलाते हुए (wave करते हुए )दौड़ता था पर उन लोगों को चीयर करने वाला कोई नही था। पूरी दौड़ के दौरान चीनी लोग धावक के साथ-साथ ही दौड़ते रहे।
ओलम्पिक मशाल की दौड़ के दौरान ज्यादा फोकस इस बात पर था की इसमे सैफ और आमिर खान दौड़ रहें है।यूं तो सारे न्यूज़ चैनल इस दौड़ को दिखा रहे थे पर ज्यादातर खिलाडियों के नाम चैनल वालों को पता नही थे। कुछ के ही नाम वो बताते थे बाकि सारा ध्यान उनका फिल्मी हस्तियों पर था।सभी चैनल कह रहे थे कि किसी भी क्रिकेट खिलाडी ने इस दौड़ मे भाग नही लिया पर बिशन सिंह बेदी को भी दौड़ते हुए दिखाया गया था। पर न्यूज़ वालों को सैफ,आमिर,और संगीता (चक दे )ही दिखाई दे रहे थे. सबसे ज्यादा दूरी आमिर खान ने तय की भाई आख़िर वो सबसे बड़े अभिनेता और सबसे बड़े सोशल एक्टिविस्ट है ना।
और आख़िर मे जहाँ पेस और भूपति को मशाल को लेकर दौड़ना था वहां कन्फ्युजुन हो गया था। चीनियों को देख कर लग रहा था की वो लोग शायद पेस और भूपति को दौड़ने की नही देंगे।पर खैर २-३ मिनट मे ही उन चीनियों ने पेस और भूपति को दौड़ने की परमीशन दे दी और वो कहते है ना की अंत भला तो सब भला तो पेस और भूपति की जोड़ी ने ओलम्पिक ज्योति इस दौड़ का समापन किया ।
कल जिस दौड़ को दोपहर एक बजे शुरू होना था वो शाम को ४ बजे शुरू हुई। और उसपर भी इतनी सुरक्षा जितनी तो शायद देश के प्रधान मंत्री या राष्ट्रपति की भी नही होती ।तकरीबन १७००० सुरक्षा कर्मी लगाए गए थे। खैर मशाल की दौड़ जब शुरू हुई और जो देखने को मिला उसमें ना तो खेल भावना दिखी और ना ही लोगों या जनता मे इस ओलम्पिक मशाल की दौड़ को देखने के लिए कोई उत्साह दिखा।वैसे लोगों मे अगर उत्साह होता भी तो बेचारे सिर्फ़ सुरक्षा कर्मी को ही देख पाते क्यूंकि मशाल को देख पाना तो नामुमकिन ही था।तीन तरह का सुरक्षा घेरा था। लाल और काले रंग के कपड़े मे सुरक्षा कर्मी तो सफ़ेद और नीले रंग के कपडों मे चीनी और बिल्कुल सफ़ेद कपडों मे तीसरे घेरे के रूप मे भी सुरक्षा कर्मी। तीन-तीन सुरक्षा घेरे और उस पर चीनी (chinese ) लोग तो किसी को मशाल के आस-पास भी फटकने नही देते।
कितने गर्व की बात है जिस तरह से चीनी लोग मशाल लेकर दौड़ने वालों को instruction दे रहे थे ।कि किस तरह से मशाल को जलाना है और किस तरह से मशाल को पकड़ कर दौड़ना है। और कैसे सीधी लाइन मे दौड़ना है।जब भी कोई मशाल लेकर दौड़ता था तो वो अपने हाथ हिलाते हुए (wave करते हुए )दौड़ता था पर उन लोगों को चीयर करने वाला कोई नही था। पूरी दौड़ के दौरान चीनी लोग धावक के साथ-साथ ही दौड़ते रहे।
ओलम्पिक मशाल की दौड़ के दौरान ज्यादा फोकस इस बात पर था की इसमे सैफ और आमिर खान दौड़ रहें है।यूं तो सारे न्यूज़ चैनल इस दौड़ को दिखा रहे थे पर ज्यादातर खिलाडियों के नाम चैनल वालों को पता नही थे। कुछ के ही नाम वो बताते थे बाकि सारा ध्यान उनका फिल्मी हस्तियों पर था।सभी चैनल कह रहे थे कि किसी भी क्रिकेट खिलाडी ने इस दौड़ मे भाग नही लिया पर बिशन सिंह बेदी को भी दौड़ते हुए दिखाया गया था। पर न्यूज़ वालों को सैफ,आमिर,और संगीता (चक दे )ही दिखाई दे रहे थे. सबसे ज्यादा दूरी आमिर खान ने तय की भाई आख़िर वो सबसे बड़े अभिनेता और सबसे बड़े सोशल एक्टिविस्ट है ना।
और आख़िर मे जहाँ पेस और भूपति को मशाल को लेकर दौड़ना था वहां कन्फ्युजुन हो गया था। चीनियों को देख कर लग रहा था की वो लोग शायद पेस और भूपति को दौड़ने की नही देंगे।पर खैर २-३ मिनट मे ही उन चीनियों ने पेस और भूपति को दौड़ने की परमीशन दे दी और वो कहते है ना की अंत भला तो सब भला तो पेस और भूपति की जोड़ी ने ओलम्पिक ज्योति इस दौड़ का समापन किया ।
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