पेट टोंनवा आएगा

अब बचपन की बातें घूम - फिर कर याद आ ही जाती है।उस समय हम छोटे थे पर खाने के बड़े चोर थे। शाम को खेल कर घर आते तो कई बार खाना खाकर और कई बार बिना खाना खाए ही सो जाते। और जाड़े मे तो ऐसा हम अक्सर करते थे.जहाँ रजाई मे घुसे कि बस पुट से सो गए। मम्मी उठाती तो उठने का नाम ही नही लेते बिल्कुल कुम्भकरण की तरह गहरी नींद मे सो जाते थे।हम तो मजे से सो जाते और मम्मी बेचारी हमे उठाने मे लगी रहती और परेशान भी होती रहती थी।

तो एक दिन शाम को खेल कर आने के बाद हम जैसे ही आंगन मे पडी चारपाई पर सोने के लिए लेटे कि मम्मी आई और प्यार से हमारा सिर पर अपना हाथ फिराते हुए बोली कि कल तुम जब सो गई थी तो पापा ने बताया कि रात मे एक पेट टोंनवा आया था ।
पेट टोंनवा वो क्या होता है।हमने पूछा।
तो मम्मी ने बताया कि ये पेट टोंनवा रात मे आता है और सबके पेट छूकर देखता है कि किसने खाना खाया है और किसने खाना नही खाया है।और जिसने खाना नही खाया होता है उसे वो अपने साथ ले जाता है
और कल तुमने खाना नही खाया था । इसलिए उसने जब तुम्हारा पेट छुआ तो ये उसे पता चल गया था
मम्मी के ऐसा कहने पर हमने थोड़ा डर कर फ़िर पूछा कि तो हमे अपने साथ नही ले गया
मम्मी ने इस पर कहा कि वो तो तुम्हे भी ले जाने को कह रहा था पर पापा ने उसे रोक दिया और कहा कि अब से तुम रोज खाना खाकर के सोओगी
इसलिए आज से तुम बिना खाना खाए मत सोना वरना रात मे फ़िर से पेट टोंनवा आएगा। और उसे पता चल जायेगा कि तुमने खाना नही खाया है।
बस उसके बाद से तो हमने रात मे बिना खाने खाए सोना करीब-करीब छोड़ ही दिया था । अरे भाई पेट टोंनवा से डर लगता था ना।


Comments

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वाह भई पेट टोनवा । मेरे बड़े भाई जब रसोई में हाथ साफ़ करते थे तो मुझे रिश्वत मिलती थी।
PD said…
बचपन कि कहानी ऐसी ही होती है.. दिल लुभाने वाली..
हम तो कभी खाली पेट सोए नहीं। नीन्द ही नहीं आती थी।
रात को खाले पेट कभी सोना भी नहीं चाहिऐ
दीपक भारतदीप
pyaari post..
aaj ke bacchey bahut smart hain..is baat pe itni daleeley dengey ki kya kahuun...mai bhuktbhogi huun..
mamta said…
पारुल आपने सही कहा अरे हम लोग उस ज़माने मे डर जाते थे पर हमारे बच्चे नही डरते थे।

भाई भूखे पेट तो हमे बड़ी अच्छी नींद आती थी ।

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