गोली मार भेजे मे....
ये कल्लू मामा वाला गाना आज के समय मे चारों तरफ़ दिखाई दे रहा है। क्या यू.पी.क्या बिहार,क्या मुम्बई और क्या दिल्ली। बस दो गोली और सामने वाला ढेर।गोली मारने वाले को तसल्ली की उसने अपना हिसाब चुका लिया।
पहले तो हिन्दी फिल्मों मे जितना खून-खराबा देखने को मिलता था उतना तो अब आम जिंदगी मे रोज ही देखने को मिल रहा है। यू.पी.का नोएडा तो जैसे आजकल गोली मारे जाने के लिए ही न्यूज़ मे आ रहा है।तीन दिन पहले ११ बजे रात मे एक एयर होस्टेस की तीन मोटर साइकिल सवार गोली मार कर हत्या कर देते है । अभी ये न्यूज़ ख़त्म भी नही हुई थी की दिल्ली मे गोली मारकर व्यापारी की हत्या करने की ख़बर आ गई।
अभी इन दो गोली मारे जाने की खबर आ ही रही थी की हरियाणा के दस साल के बच्चे की ख़ुद को गोली मारने की खबर आई।तभी दोपहर मे मुजफ्फर नगर मे एक कार मे एक लड़के और लड़की का मृत शरीर मिला और उन दोनों की मौत भी गोली लगने से हुई थी। अब ये हत्या थी या आत्महत्या ये तो पता नही।
कभी आर्मी के तो कभी पुलिस के जवान या तो ख़ुद को गोली मार लेते है या दूसरे को गोली मार देते है।
लगता है गन या पिस्तौल का लाईसेंस मिलना बड़ा आसान हो गया है तभी तो जिसे देखो गोली मारता फिरता है।पहले तो सुनते थे की बंदूक (गन या पिस्तौल ) का लाईसेंस बड़ी मुश्किल से मिलता था। पर आजकल तो हर किसी को लाईसेंस मिल जाता है।ऐसा लग रहा है। गन लेकर चलना भी अब स्टेट्स सिम्बल होता जा रहा है।यू.पी और एम.पी मे तो अक्सर हाई वे पर मोटर साइकिल पर सवार और बगल मे बड़ी सी राइफल लटकाए हुए लोग देखे जा सकते है।
पहले तो हिन्दी फिल्मों मे जितना खून-खराबा देखने को मिलता था उतना तो अब आम जिंदगी मे रोज ही देखने को मिल रहा है। यू.पी.का नोएडा तो जैसे आजकल गोली मारे जाने के लिए ही न्यूज़ मे आ रहा है।तीन दिन पहले ११ बजे रात मे एक एयर होस्टेस की तीन मोटर साइकिल सवार गोली मार कर हत्या कर देते है । अभी ये न्यूज़ ख़त्म भी नही हुई थी की दिल्ली मे गोली मारकर व्यापारी की हत्या करने की ख़बर आ गई।
अभी इन दो गोली मारे जाने की खबर आ ही रही थी की हरियाणा के दस साल के बच्चे की ख़ुद को गोली मारने की खबर आई।तभी दोपहर मे मुजफ्फर नगर मे एक कार मे एक लड़के और लड़की का मृत शरीर मिला और उन दोनों की मौत भी गोली लगने से हुई थी। अब ये हत्या थी या आत्महत्या ये तो पता नही।
कभी आर्मी के तो कभी पुलिस के जवान या तो ख़ुद को गोली मार लेते है या दूसरे को गोली मार देते है।
लगता है गन या पिस्तौल का लाईसेंस मिलना बड़ा आसान हो गया है तभी तो जिसे देखो गोली मारता फिरता है।पहले तो सुनते थे की बंदूक (गन या पिस्तौल ) का लाईसेंस बड़ी मुश्किल से मिलता था। पर आजकल तो हर किसी को लाईसेंस मिल जाता है।ऐसा लग रहा है। गन लेकर चलना भी अब स्टेट्स सिम्बल होता जा रहा है।यू.पी और एम.पी मे तो अक्सर हाई वे पर मोटर साइकिल पर सवार और बगल मे बड़ी सी राइफल लटकाए हुए लोग देखे जा सकते है।
Comments
कुछ जगहों मे बंदूक रखना शान माना जाता है भलाई पास मे खाने को कुछ न रहे .
kuch logo ke liye gan rakhna unke badapan ki nishani hai aor kai young ladko ke liye mard banne ki ....vaise bhi aajkal tolerence power kam hai logo ki.jara jara bat pe bhadak jate hai.
आप फिल्मों का देखकर थोडा चिंतन करें तो आपको यह अनुमान लग जायेगा कि किस तरह वह इस देश में मूर्खों और डरपोक लोगों की फौज खड़ी करना चाहते हैं.
दीपक भारतदीप