राहुल त्यागी ...
कल जब कैबिनेट के मंत्रियों के मंत्रालयों का फेर बदल किया गया तो कुछ नए लोगों को मौका दिया गया है। अब पहले तो ये सुनने मे आ रहा था कि यंग लोगों यानी नवजवान पीढ़ी के नेताओं को मौका मिलेगा पर बाद मे सिर्फ़ दो ज्योतिरादित्य सिंधिया और जतिन प्रसाद को ही मंत्री पद मिला । सचिन पाइलेट का नाम भी सुनाई दे रहा था पर बाद मे सचिन को मंत्री पद नही मिला।और इससे गुर्जर लोग दुखी हो गए है। और फ़िर वही सब बड़े-बुजुर्गों को यानी ६० साल के ऊपर वालों को ही मंत्री बना दिया गया ।
एम.एस.गिल का नाम सुनकर तो एक बार को लगा की हॉकी की नईया डुबाने वाले को कैसे मंत्री बना दिया गया पर बाद मे याद आया कि वो तो के.पी.एस.गिल है।
अब जब नवजवान पीढ़ी के नेता को मौका दिया जा रहा था तो भला राहुल भइया के नाम पर विचार-विमर्श कैसे ना होता। अब मंत्री तो सोनिया अम्मा की मर्जी से ही लोग बनते है ना।पर राहुल ने भी साबित कर दिया की वो सोनिया अम्मा के पुत्र है अरे वही त्याग करके । यानी की राहुल ने मंत्री बनने से इनकार कर दिया।लो भाई अब मंत्री बनते तो काम नही करना पड़ता क्या। :) अभी-अभी तो राहुल भइया भारत की खोज पर निकले और खोज पूरी किए बिना कैसे वो मंत्री बन जाए।अभी तो उनके खेलने -खाने के दिन है। :) लगता है तारे जमीं पर नही देखी है।
अब मंत्री बनने पर कुछ लोग खुश होते है तो कुछ दुखी भी होते है।अब मणि शंकर ऐय्यर को खेल मंत्रालय जाने का दुःख है या कुछ और पर कुछ खीजे से टी.वी.पर दिख रहे थे। पर जब ऐय्यर साब ने अपने एक इंटरव्यू मे कहा था की उन्हें खेल मे ज्यादा दिलचस्पी नही है तो उन्हें तो खुश होना चाहिए की अब उन्हें खेल मंत्रालय का काम नही देखना पड़ेगा।
अब केवल ऐय्यर साब ही नही दुखी है यहां गोवा की असेम्बली के नेता भी दुखी है कि गोवा से किसी को भी मंत्री पद नही दिया गया। अब वो क्या है ना की यहां गोवा मे सिर्फ़ १० लोग ही मंत्री बन सकते है पर उम्मीदवार १२ है (वैसे तो पूरे के पूरे इक्कीस लोग मंत्री बनना चाहते है ) और इसीलिए रोज ही यहां की सरकार अब गिरी कि तब गिरी वाली हालत मे रहती है।और शायद इसीलिए कांग्रेस अध्यक्ष ने इन नेताओं को शायद ये आश्वासन दिया था की यहां से दो लोगों को केन्द्र सरकार मे मंत्री पद दिया जायेगा।जिससे यहां की सरकार का खतरा टल जाए।पर लगता है गोवा सरकार पर से खतरे के बादल अभी हटे नही है।
एम.एस.गिल का नाम सुनकर तो एक बार को लगा की हॉकी की नईया डुबाने वाले को कैसे मंत्री बना दिया गया पर बाद मे याद आया कि वो तो के.पी.एस.गिल है।
अब जब नवजवान पीढ़ी के नेता को मौका दिया जा रहा था तो भला राहुल भइया के नाम पर विचार-विमर्श कैसे ना होता। अब मंत्री तो सोनिया अम्मा की मर्जी से ही लोग बनते है ना।पर राहुल ने भी साबित कर दिया की वो सोनिया अम्मा के पुत्र है अरे वही त्याग करके । यानी की राहुल ने मंत्री बनने से इनकार कर दिया।लो भाई अब मंत्री बनते तो काम नही करना पड़ता क्या। :) अभी-अभी तो राहुल भइया भारत की खोज पर निकले और खोज पूरी किए बिना कैसे वो मंत्री बन जाए।अभी तो उनके खेलने -खाने के दिन है। :) लगता है तारे जमीं पर नही देखी है।
अब मंत्री बनने पर कुछ लोग खुश होते है तो कुछ दुखी भी होते है।अब मणि शंकर ऐय्यर को खेल मंत्रालय जाने का दुःख है या कुछ और पर कुछ खीजे से टी.वी.पर दिख रहे थे। पर जब ऐय्यर साब ने अपने एक इंटरव्यू मे कहा था की उन्हें खेल मे ज्यादा दिलचस्पी नही है तो उन्हें तो खुश होना चाहिए की अब उन्हें खेल मंत्रालय का काम नही देखना पड़ेगा।
अब केवल ऐय्यर साब ही नही दुखी है यहां गोवा की असेम्बली के नेता भी दुखी है कि गोवा से किसी को भी मंत्री पद नही दिया गया। अब वो क्या है ना की यहां गोवा मे सिर्फ़ १० लोग ही मंत्री बन सकते है पर उम्मीदवार १२ है (वैसे तो पूरे के पूरे इक्कीस लोग मंत्री बनना चाहते है ) और इसीलिए रोज ही यहां की सरकार अब गिरी कि तब गिरी वाली हालत मे रहती है।और शायद इसीलिए कांग्रेस अध्यक्ष ने इन नेताओं को शायद ये आश्वासन दिया था की यहां से दो लोगों को केन्द्र सरकार मे मंत्री पद दिया जायेगा।जिससे यहां की सरकार का खतरा टल जाए।पर लगता है गोवा सरकार पर से खतरे के बादल अभी हटे नही है।
Comments
rakhshanda जी को अच्छा नही लगे गा,लेकिन आप के लिखने का अंदाज बहुत प्यारा हे.
जय हो सोनिया मैय्या की...
--हमारा कांग्रेसी नारा.... :)