ग़ायब होते गीत के विषय

आज सुबह सुबह मशहूर कवि और गीतकार गोपालदास नीरज के निधन की ख़बर पढ़ी , उनकी लिखी कवितायें और गीत भला कौन भुला सकता है । पहले जब दूरदर्शन पर कवि सम्मेलन होता था तो उनकी कविता पाठ से ही कवि सम्मेलन का समापन होता था । और उनका लिखा ये गीत जो एक ज़माने में विविध भारती पर खूब बजता था ।

ए भाई ज़रा देख के चलो
आगे ही नहीं पीछे भी
दायें ही नहीं बायें भी
ऊपर ही नीचे भी
ए भाई

ना केवल ये गीत बल्कि इनके लिखे अन्य गीत भी बहुत ही लोकप्रिय थे । हर गीत एक से बढ़कर एक और जीवन का फ़लसफ़ा समझाते हुये । देव आनन्द की फ़िल्मों के पसंदीदा गीतकार थे ।

कारवाँ गुज़र गया ग़ुबार देखते रहे
जैसे फूलों के रंग से ,दिल की क़लम से
रंगीला रे ,तेरे रंग में यूँ रंगा है मेरा मन
लिखे जो ख़त तुझे
मेघा छाये आधी रात
मेरा मन तेरा प्यासा


अनायास ही मन में विचार आया कि अब तो ऐसे गीत और गीतकार ही नहीं रहे । आजकल की हिन्दी फ़िल्मों से बहुत सारे गीत के विषय ग़ायब से होते जा रहे है । जैसे रक्षाबंधन,होली ,दिवाली,देशभक्ति ,भाई-बहन,दोस्ती,और मॉं और पिता ,बच्चे और बचपन पर आधारित गीत तो आजकल विरले ही सुनने को मिलते है । हाँ होली पर आधारित गीत आज की फ़िल्मों में भी होते है ।

पर एक ज़माना था जब तीन घंटे की फ़िल्म में होली ,दिवाली, भाई-बहन और मॉं- पिता और दोस्ती ,प्यार और तकरार सब तरह के गाने होते थे । कई बार तो बारह बारह गाने एक ही फ़िल्म में होते थे । तब के हिन्दी गीतकार कोई भी विषय पर गीत लिखते थे फिर वो चाहे रिश्ते हों या शराब हो रेलगाड़ी हो या मोटर कार ही क्यूँ ना हो ।

पहले की पुरानी फ़िल्मों वो चाहे ब्लैक एंड व्हाइट रही हों या बाद की फ़िल्में अस्सी के दशक तक की फ़िल्मों में तो फिर भी कुछ इन गाने होते थे पर अब तो जैसे लगता है कि हिन्दी फ़िल्मों में इन रिश्तों का कोई महत्त्व ही नहीं रह गया है । क्योंकि ना तो ऐसे रिश्ते अब फ़िल्मों में दिखते है और ना ही ऐसे गीत अब लिखे जाते है । हालांकि गुलज़ार और जावेद अख़तर जैसे गीतकार है अभी जो कुछ अर्थ पूर्ण गीत लिखते है ।

आजकल की फ़िल्मों में तो रैप का ज़माना है और बहुत बार पुराने गाने को रीमिक्स करके ही फ़िल्मों में इस्तेमाल करते है जिन्हें सुनकर बहुत बार दुख और ग़ुस्सा भी आता है कि कैसे अच्छे खासे सुरीले गाने को नया बनाने के चक्कर में बिगाड़ देते है ।

अब नीरज ,साहिर लुधियानवी ,मजरूह सुल्तानपुरी ,आनन्द बकशी ,शैलेंद्र ,हसरत जयपुरी ,शकील बदायुंनी , प्रदीप ,भरत व्यास ,योगेश कैफी आज़मी जैसे गीतकार आज के ज़माने में मिलना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है ।


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