वॉरियरस ऑफ़ टैराकोटा आर्मी

आज शियान चलते है और उसके बारे मे कुछ बात करते है । शंघाई से शियान जाने में पहले तो हम लोगों ने एक - डेढ़ घंटे की हवाई यात्रा की । और शियान पहुँचकर सबसे पहले वॉरियरस ऑफ़ टैराकोटा देखने के लिये चल पड़े । ये म्यूज़ियम शियान से चालीस कि. मी. की दूरी पर है ।और बस से आराम से आधे घंटे या चालीस मिनट में पहुँच जाते है ।

इस म्यूज़ियम मे प्रवेश टिकट १५० चाइनीज़ करेंसी का होता है । सोमवार को छोड़कर पूरे हफ़्ते सुबह नौ बजे से शाम साढ़े पाँच बजे तक खुला रहता है । टिकट काउंटर से म्यूज़ियम तक जाने के लिये छोटी वाली कार्ट मिलती है क्योंकि वहाँ से म्यूज़ियम तक की दूरी तक़रीबन एक से डेढ़ कि.मी. की है ,वैसे पैदल भी जा सकते है । पर चूँकि गरमी बहुत ज़्यादा थी तो हम लोग भी कार्ट मे ही बैठकर म्यूज़ियम तक गये । वहाँ तीन बड़े बड़े म्यूज़ियम है । और एक हॉल में स्क्रीन पर वॉरियरस की मूवी दिखाई जाती है ।

सबसे पहले हम लोगों ने भी थोड़ा गरमी से राहत पाने के लिये हॉल मे चल रही मूवी को दस-पन्द्रह मिनट देखा और फिर थोड़े ठंडे होकर म्यूज़ियम देखने के लिये चल पड़े। और जैसे ही म्यूज़ियम के अन्दर दाख़िल हुये कि बस चारों ओर सिर्फ़ लोग ही लोग नज़र आये । अव्वल तो उस रेलिंग तक जहाँ से पूरा म्यूज़ियम दिखता है पहुँचना ज़रा मुश्किल था । फिर भी लोगों को थोड़ा धक्का देते हुये हम आगे तक पहुँचे । और वहाँ से जब दूर तक नज़र दौड़ाई तो उस टैराकोटा आर्मी को देखकर अचंभित रह गये और ये सोचने लगे कि मरने के बाद की सुरक्षा के लिये इतनी बड़ी आर्मी का बनाना । क्या सोच थी ।

ये टैराकोटा आर्मी टैराकोटा से बनी हुई मूर्तियाँ है जो उस समय के चीन के पहले राजा किवन शी हुआंग के साथ ही दफ़न हो गई थी । और इस आर्मी का मक़सद मरने के बाद राजा की हिफ़ाज़त करना था । इस आर्मी में तक़रीबन सात या आठ हज़ार सैनिक ,ढेरों घोड़े ,रथ सब राजा के साथ ही दफ़न थे । १९७४ में जब कुछ किसान यहाँ पर पानी के लिये खुदाई कर रहे थे तब इस वारियरस ऑफ़ टैराकोटा आर्मी का पता चला था और तब इसके चारों ओर म्यूज़ियम बनाया गया था ।

वैसे दूसरा म्यूज़ियम थोड़ा छोटा है । दूसरे म्यूज़ियम में बडे बड़े घोड़े और बड़े बड़े आदमकद सैनिक और उनकी फ़ौज देखने के बाद वहॉं निकास द्वार के पास ही इस टैराकोटा आर्मी के साथ फ़ोटो खिंचवाने के लिये लम्बी लाइन लगी रहती है ।कुछ युआन देना पड़ता है फ़ोटो खींचने या खिंचवाने के लिये । और तब टैराकोटा आर्मी के बीच में खड़े होकर या बैठकर जैसे चाहें फ़ोटो खिंचवा सकते है । और वहाँ मौजूद लड़के आपके कैमरे या फोन से फ़ोटो खींच देते है । तो भला हम कैसे पीछे रहते । हमने भी उस आर्मी के साथ फ़ोटो खिंचवाई । 😃

फ़ोटो खींचने के बाद हम लोग तीसरे म्यूज़ियम में गये जो कि बेसमेंट में था तो हम लोग मयूजियम के लिये सीढ़ियाँ उतरकर गये । यहाँ पर बड़े बड़े शीशों के फ़्रेम में रथ ,हथियार ,कपड़े,वग़ैरा रखे देखे । यहाँ हमने ज़्यादा समय नहीं बिताया और जल्दी ही बाहर आ गये क्योंकि हर हॉल में बेइंतहा भीड़ और शोर और गूँजती सी सारी आवाज़ें कि कुछ सुनना , बोलना मुश्किल । एक बार म्यूज़ियम में घुस जाये को पूरा देखना भी ज़रूरी है ।

ख़ैर चिलकती गरमी और भीड़ मे म्यूज़ियम देखने के बाद हर बार की तरह इस बार भी हम वहाँ बनी सोविनियर शॉप पर गये जहाँ सामान के अलावा खाने पीने का भी इन्तज़ाम था तो वहाँ पहले हम लोगों ने पेटपूजा की फिर शॉपिंग की और फिर वापिस शियान की ओर चल दिये । 😋










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