सबका साथी रेडियो

कल अपनी एक दोस्त की फ़ोटो पर हमने कमेंट किया था बिनाका समाइल और उसी से ये पोस्ट बनी है।

रेडियो एक ऐसा साथी जिसने हर किसी का हर समय साथ निभाया । साठ सत्तर के दशक मे तो रेडियो ही एकमात्र मनोरंजन का साधन था । अख़बार के अलावा यहीं पर समाचार सुनने को मिलते थे। शुरू मे तो विविध भारती और रेडियो सिलोन और एक शायद रीजिनल स्टेशन होता था।

पहले पूरे दिन रेडियो भी नहीं आता था। उसका समय निर्धारित था । विविध भारती सुबह छ: बजे शुरू होता था सात बजे पुरानी फ़िल्मों के गाने बजते और नौ बजे उस समय के नये गाने बजते साढ़े नौ बजे ख़त्म हो जाता था ,फिर बारह बजे शुरू होकर तीन बजे ग़ैर फ़िल्मी गानों के साथ ख़त्म हो जाता था और फिर शाम छ: बजे से शुरू होकर सात बजे फ़ौजी भाइयों के लिये कार्यक्रम , रात नौ बजे हवा महल, रात दस बजे छाया गीत से समाप्त होता था । वैसे बाद मे ग्यारह बजे रात मे आपकी फ़रमाइश कार्यक्रम भी आने लगा था । रविवार को सुबह बच्चों का कार्यक्रम भइया और दीदी का , दोपहर मे किसी फ़िल्म की कहानी आती थी और गीतों भरी कहानी और अन्य कार्यक्रम आते थे।

रेडियो सिलोन की बिनाका गीत माला कौन भूल सकता है। अमीन सयानी की वो आवाज़ और अंदाज और अकसर जब पहली और दूसरी पायदान के गाने का नम्बर आता तो बीच बीच मे जब स्टेशन गड़बड़ हो जाता था तो ऐसे मे कई बार रेडियो को ठोंका जाता या उसको घुमाया जाता । ताकि गाना सुनाई दे जाये ,बहुत बार पहली पायदान का गाना सुन ही नहीं पाते थे । ☺️

पहले क्रिकेट सारे साल नहीं आता था बस सर्दी के मौसम मे क्रिकेट खेला जाता था और चूँकि तब टी.वी. नहीं था तो हर कोई ट्रांजिसटर पर कमेंट्री सुनता रहता था फिर चाहे दुकान हो या घर हो ,यहां तक की लोग पैदल चलते हुये भी कान मे ट्रांजिसटर लगाये कमेंट्री सुनते रहते थे ।

हमारी एक दीदी तो बिना रेडियो पर गाना सुने पढ़ाई ही नहीं करती थी । हम लोग उनको छेड़ते भी थे कि तुम गाना सुन रही हो या पढ़ाई कर रही हो । पर उनका रेडियो सुनते हुए पढ़ाई करना हमेशा जारी रहा । 😜

नब्बे के दशक मे रेडियो एफ. एम. आने के बाद तो जैसे रेडियो मे क्रान्ति सी आ गई । रेडियो एनाउनसर अब आर . जे यानि रेडियो जॉकी कहलाये जाने लगे। और आजकल एम . जे. यानि म्यूज़िक जॉकी कहे जाते है । 😀

ख़ैर अब तो टी. वी. की तरह ही रेडियो पर भी कार्यक्रम चौबीस घंटे आने लगे है। औंर ढेर सारे स्टेशन भी हो गये है । जैसे रेडियो मिर्ची ,रेडियो सिटी ,एफ.एम. गोल्ड ,अनेक रीजनल स्टेशन हो गये है। हर तरह के श्रोता के हिसाब से कार्यक्रम आते है। पर आजकल एनाउनसर इतना ज़्यादा बोलते है कि कई बार तो गाने आधे ही सुनाते है। 😙

हालाँकि एफ.एम गोल्ड पर काफ़ी अच्छे और मनोरंजक कार्यक्रम आते है और हम कार मे हमेशा इसी स्टेशन को सुनते है ।


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