वेलकम टू सज्जनपुर -- एक फ़िल्म समीक्षा
कल हमने ये फ़िल्म देखी और हमे अच्छी भी बहुत लगी तो सोचा कि आज इसी के बारे मे बात कर ली जाए । श्याम बेनेगल ने इस फ़िल्म को बनाया है । अब श्याम बेनेगल को तो आम तौर पर लोग बहुत ही संजीदा सिनेमा के लिए जानते है जैसे मंथन ,अंकुर,भूमिका जैसी फिल्में उन्होंने बनाई है । पर ये वेलकम टू सज्जनपुर उन सभी फिल्मों से अलग फ़िल्म है । इस फ़िल्म को कॉमेडी फ़िल्म कहना ग़लत है बल्कि इस फ़िल्म को सटायर विथ कॉमेडी कहना ज्यादा उचित होगा ।
इस फ़िल्म की कहानी एक छोटे से गाँव सज्जनपुर की है । और यहाँ रहने वाले लोगों जैसे महादेव कुशवाहा जो की एक पढालिखा नवजवान है और जो लेखक बनते-बनते गाँव वालों की चिट्ठी लिखने वाला बन जाता है । तो वहीं कमला है जो अपने पति का इंतजार कर रही है । और इसी गाँव की एक मौसी है जो अपनी बेटी की शादी के लिए परेशान है (किस तरह वो हम नही बता रहे है )तो इसी गाँव का गुंडा अपनी बीबी को चुनाव मे खड़ा करना चाहता है । इसके अलावा भी बहुत कुछ है श्याम बेनेगल ने अपने देश मे हो रही कई ताजा घटनाओं को बड़े ही दिलचस्प अंदाज मे दिखाया है ।
इस फ़िल्म के सभी कलाकारों जैसे श्रेयस तलपदे अमृता राव ,इला अरुण,दिव्या दत्ता ,ने तो बहुत ही अच्छी एक्टिंग की है पर साथ ही हर एक छोटे से छोटे कलाकार ने भी बहुत ही अच्छी एक्टिंग की है । वैसे आज के समय को देखते हुए श्याम बेनेगल ने इस फ़िल्म मे कुल ४ गीत डाले है वैसे गानों की कोई ख़ास जरुरत नही है पर इसका सीताराम सीताराम गाना तो हमें बहुत ही अधिक अच्छा लगा ।और हाँ इस फ़िल्म मे बोली गई भाषा बहुत ही मीठी है ।
वैसे इस फ़िल्म के लिए हमारा तो ये कहना है की जो लोग फ़िल्म नही देखते है या फिल्मों देखना ज्यादा पसंद नही करते है वो भी ये फ़िल्म अवश्य देखे . वो इसलिए कि एक तो इस फ़िल्म को देखने के बाद मन ख़राब नही होता है और दूसरे ये एक बहुत अच्छी फ़िल्म है । और सबसे बड़ी बात की फ़िल्म कही पर भी बोर नही करती है और फ़िल्म देखने के बाद सर मे कोई दर्द भी नही होता है । :)
लो इतनी बड़ी समीक्षा लिख दी और अभी भी सोच रहे है कि फ़िल्म देखे या न देखे । :)
इस फ़िल्म की कहानी एक छोटे से गाँव सज्जनपुर की है । और यहाँ रहने वाले लोगों जैसे महादेव कुशवाहा जो की एक पढालिखा नवजवान है और जो लेखक बनते-बनते गाँव वालों की चिट्ठी लिखने वाला बन जाता है । तो वहीं कमला है जो अपने पति का इंतजार कर रही है । और इसी गाँव की एक मौसी है जो अपनी बेटी की शादी के लिए परेशान है (किस तरह वो हम नही बता रहे है )तो इसी गाँव का गुंडा अपनी बीबी को चुनाव मे खड़ा करना चाहता है । इसके अलावा भी बहुत कुछ है श्याम बेनेगल ने अपने देश मे हो रही कई ताजा घटनाओं को बड़े ही दिलचस्प अंदाज मे दिखाया है ।
इस फ़िल्म के सभी कलाकारों जैसे श्रेयस तलपदे अमृता राव ,इला अरुण,दिव्या दत्ता ,ने तो बहुत ही अच्छी एक्टिंग की है पर साथ ही हर एक छोटे से छोटे कलाकार ने भी बहुत ही अच्छी एक्टिंग की है । वैसे आज के समय को देखते हुए श्याम बेनेगल ने इस फ़िल्म मे कुल ४ गीत डाले है वैसे गानों की कोई ख़ास जरुरत नही है पर इसका सीताराम सीताराम गाना तो हमें बहुत ही अधिक अच्छा लगा ।और हाँ इस फ़िल्म मे बोली गई भाषा बहुत ही मीठी है ।
वैसे इस फ़िल्म के लिए हमारा तो ये कहना है की जो लोग फ़िल्म नही देखते है या फिल्मों देखना ज्यादा पसंद नही करते है वो भी ये फ़िल्म अवश्य देखे . वो इसलिए कि एक तो इस फ़िल्म को देखने के बाद मन ख़राब नही होता है और दूसरे ये एक बहुत अच्छी फ़िल्म है । और सबसे बड़ी बात की फ़िल्म कही पर भी बोर नही करती है और फ़िल्म देखने के बाद सर मे कोई दर्द भी नही होता है । :)
लो इतनी बड़ी समीक्षा लिख दी और अभी भी सोच रहे है कि फ़िल्म देखे या न देखे । :)
Comments
http://chavannichap.blogspot.com/2008/09/blog-post_29.html
ise dekhen aur chavannichap@gmail.com par bhej den.
आ रहा था. अब यही देखती हूँ,
http://shuruwat.blogspot.com/2008/09/blog-post_26.html
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वास्तव में; तब तो उद्यम करना पड़ेगा देखने को।
Thanx 4 a positive review Mamtaji
धन्यवाद
नीरज
देखेंगे, हमारे इस छोटे शहर में भी सज़्ज़नपुर इंतज़ार है !