जया बच्चन की हिन्दी और ....
कल जया बच्चन ने मुंबई मे अभिषक बच्चन की फ़िल्म द्रोणा के लॉन्च के दौरान सारी बात चीत तो इंग्लिश मे की पर एक वाक्य जो हिन्दी मे बोला उससे बवाल खड़ा हो गया है।हालाँकि अगर जया बच्चन वो एक वाक्य न बोलती तो भी कोई ख़ास फर्क नही पड़ता जिसमे जया ने कहा की क्यूंकि वो यू.पी.से है इसलिये वो हिन्दी मे बोलेगी ।और अगर हिन्दी मे बोल ही दिया था तो भी उसका इतना ज्यादा असर नही पड़ना था जितना पड़ गया है।
उनके इस एक वाक्य ने शिवसेना और एम.एन.एस.को नाराज होने का मौका दे दिया । कितनी अजीब बात है की एक तरफ़ तो हम भारतीय होने का दावा करते है कि हम सब एक है और दूसरी तरफ़ भाषा और राज्य के आधार पर एक -दूसरे से अलग होते है। कहाँ गई अनेकता मे एकता वाली बात ?
ये विडम्बना ही है कि अब अपने ही देश मे हिन्दी बोलने पर पाबंदी लगती नजर आ रही है।
उनके इस एक वाक्य ने शिवसेना और एम.एन.एस.को नाराज होने का मौका दे दिया । कितनी अजीब बात है की एक तरफ़ तो हम भारतीय होने का दावा करते है कि हम सब एक है और दूसरी तरफ़ भाषा और राज्य के आधार पर एक -दूसरे से अलग होते है। कहाँ गई अनेकता मे एकता वाली बात ?
ये विडम्बना ही है कि अब अपने ही देश मे हिन्दी बोलने पर पाबंदी लगती नजर आ रही है।
Comments
किसे परवाह है.. भारत देश की
उफ्फ ! हद है !
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राज ठाकरे के बच्चे मराठी भाषा की स्कुल मेँ पढते होँगेँ
पर वे सँकुचित मानसिकता का उदाहरण दे रहे हैँ - और
अपने प्राँत की घेराबँदी भी कर रहे हैँ !
अमरीका मेँ भी इसी तरह, स्पेनीश भाषा का कडा विरोध किया जा रहा है
एक भाषा, एक ध्वज, एक सार्वभौम राज्य का कर्ता है यही राज ठाकरे से मिलते जुलते
विचार यहाँ पर भी हैँ - भारत की इतनी सारी जीवित भाषा और क्षेत्रीय खासियत के आगे ऐसा "एकवाद " सँभव नहीँ ! "एकता मेँ अनेकता " का सूत्र ही अपनाना जरुरी है ...
अब बाल ठाकरे जी भी चुप हैँ !!
स्नेह,
- लावण्या
अपने भाषणों में राज ठाकरे चाहे जो कहते, करते हैं लेकिन "बेटा" अब मराठी नहीं पढ़ना चाहता। उसने जर्मन भाषा को चुना।