ये कैसी सोसाइटी ....
मुम्बई मायानगरी की एक बड़ी ही दिल मे हलचल मचाने वाली न्यूज़ देखी।मुम्बई की एक ग्रुप हाऊसिंग सोसाईटी जहाँ सारे घरों मे हिंदू जैन परिवार रहते है उसी सोसाइटी मे एक मुस्लिम परिवार भी रहता है। पर सोसाइटी के लोगों ने इस मुस्लिम परिवार के घर का पानी और बिजली बंद कर रक्खी है। पिछले २ सालों से ये परिवार लालटेन और मोमबत्ती की रौशनी से अपने घर मे उजाला करता है। और मुनिस्पल्टी के नल से जरी कैन मे पानी भर-भर कर अपने घर लाता है।वो भी सीढियों के रास्ते क्यूंकि लिफ्ट मे तो उनको चलने की मनाही है। हफ्ते मे एक दिन वो अपने किसी दूसरे रिश्तेदार के घर जा कर परिवार के कपड़े धोते है।
इस मुस्लिम परिवार का कहना है कि बिजली-पानी के लिए उन्होंने १.२५ लाख का डिपॉजिट भी सोसाइटी को ९ महीने पहले दे दिया था पर आज तक ना तो पानी और ना ही बिजली उनके घर मे आई।
इस परिवार को सोसाइटी से बाहर करने के लिए भी बाकी दूसरे परिवार लगे हुए है और उन्हें उस सोसाइटी से चले जाने को कहते है।पर ये मुस्लिम परिवार सोसाइटी छोड़कर नही जाना चाहता है। क्यूंकि आख़िर उसने मकान खरीदा ही है रहने के लिए।
पिछले दो सालों से बर्दाश्त करते-करते अब इस परिवार की सहन शक्ति ख़त्म हो रही है। इस लिए इस परिवार ने माईनोर्टी कमीशन मे जाने की सोची है जिससे उन्हें उनका हक़ मिल सके।
क्या इस हाऊसिंग सोसाइटी मे रहने वालों की इंसानियत बिल्कुल ख़त्म हो गई है ।
इस मुस्लिम परिवार का कहना है कि बिजली-पानी के लिए उन्होंने १.२५ लाख का डिपॉजिट भी सोसाइटी को ९ महीने पहले दे दिया था पर आज तक ना तो पानी और ना ही बिजली उनके घर मे आई।
इस परिवार को सोसाइटी से बाहर करने के लिए भी बाकी दूसरे परिवार लगे हुए है और उन्हें उस सोसाइटी से चले जाने को कहते है।पर ये मुस्लिम परिवार सोसाइटी छोड़कर नही जाना चाहता है। क्यूंकि आख़िर उसने मकान खरीदा ही है रहने के लिए।
पिछले दो सालों से बर्दाश्त करते-करते अब इस परिवार की सहन शक्ति ख़त्म हो रही है। इस लिए इस परिवार ने माईनोर्टी कमीशन मे जाने की सोची है जिससे उन्हें उनका हक़ मिल सके।
क्या इस हाऊसिंग सोसाइटी मे रहने वालों की इंसानियत बिल्कुल ख़त्म हो गई है ।
Comments
जरुर जाना चाहिए उन्हें अल्पसंख्यक आयोग ,बल्कि अभी तक खामोश क्यों रहे वे!!
आप सही कह रही है आजकल अपनापन एकदम बदल गया है।
और दो साल तक आज के जमाने में कोई यह सब सहन कर रहा है यह तो माना जा ही नहीं सकता।