उच्चारण का फर्क
कई बार हमारे उच्चारण शब्द को बदल या तोड़ देते है और हमे पता ही नही चलता है। और उच्चारण का ये फर्क हमने यहां गोवा आकर ही जाना है। पहले तो सिर्फ़ सुनते थे की champagne को शैम्पेन कहा जाता है फ्रेंच मे । पर यहां आकर तो हम इस तरह के उच्चारण से रूबरू भी हुए ।जैसे यहां पर एम (M) ज्यादातर शब्दोंमे नाम के आख़िर मे होते है पर साथ ही M ज्यादातर शब्दों मे मूक होता है । टी (t) को त बोलते है ।यूं तो स को श और श को स तो बोलते सुना है च को स बोलते सुना है गोवा से पहले अंडमान मे जो हमारा कुक था वो च को श बोलता था मसलन शाय,शीनी वगैरा। पर यहां तो स को च और च को स बोलते है। ना को ण आदि। हो सकता है इनके शब्दों के ऐसे उच्चारण का कारण शायद पुर्तगीज के यहां बहुत समय तक रहने की वजह हो ।
गोवा मे इंग्लिश मे अधिकतर शब्दों के अंत मे एम (M) लगता है पर एम साइलेंट होता है। जैसे panjim,,bicholim,siolim,morjim, इत्यादी। अब आम हिन्दी भाषी होने के नाते हम लोग इनका उच्चारण पंजिम,बिचोलिम,सिओलिम,मोरजिम ही करते थे पर जब किसी लोकल goan से कहते सिओलिम तो वो कहते अच्छा सिओली। sanguem इसे यहां सांगे कहते है। इसी तरह nuvem को नेवे,quepem को केपे,velim को वेली,thivim को थीवी और भी बहुत से ऐसे शब्द है।
ये तो रहते-रहते अब कुछ-कुछ समझ आ गया है पर अभी भी बहुत से ऐसे शब्द है जिन्हें इंग्लिश,हिन्दी और कोंकणी मे अलग-अलग तरह से बोला जाता है।उच्चारण के फ़र्क की वजह से कई बार लोगों को समझाने मे बड़ी दिक्कत होती है।
पंजिम मे ही एक कालोनी है जिसका नाम fontainhas है । जब नए-नए थे तो ड्राईवर को कहा की फोंटेनास जाना है तो उसने पलट कर हमे पूछ ये कहाँ है ।
जब हमने कहा चलो रास्ता बताते है तो थोडी दूर जाने पर जैसे ही फोंटेनास के लिए मुड़े तो बोला ओह तो आप फोंतेना कह रही थी।
बड़ी जोर से गुस्सा भी आया और खीज भी हुई पर फ़िर समझते देर नही लगी कि उच्चारण का फर्क है।
गोवा मे ऊँची पहाड़ी जगह को altinho कहते है।शुरू मे हम लोग altinho को अल्टिनो बोलते तो यहां वाले फट से सुधार करके कहते अल्तीन । अब अल्तीन और अल्टिनो मे त और ट का फर्क है ना इसलिए तो लोगों को समझने मे दिक्कत होती थी बाद मे पता चला कि यहां टी शब्द तो है ही नही बल्कि टी को त बोलते है।
इसी तरह ना शब्द को कहीं-कहीं ण बोलते है। जैसे concona अब इसे हम जैसे लोग तो कनकोना बोलेंगे पर यहां कणकोण बोलते है।
फ्रेंच की तरह यहां भी चा को कुछ लोग चा तो कुछ शा बोलते है। अब यहां पर एक फोर्ट है chapora फोर्ट। अब इस फोर्ट तक जाने का जब रास्ता पूछने के लिए हम जिससे भी चपोरा बोलते वो हमे रास्ता दिखाते हुए कहते शपोरा बस थोडी दूर है।
चा को सा और सा को च का एक और उदाहरण हमारे घर मे भी है इंदुमती जो खाना बनाती है वो भी उल्टा ही बोलती है यानी स को च बोलती है। ऐसे ही एक दिन हम अपनी पोस्ट लिख रहे थे कि वो आई और बोली कुर्ची आई है। उसे कहाँ रक्खे। तो हमे समझ ही नही आया कि कुर्ची क्या बला है।अब हमारा ध्यान तो अपनी पोस्ट लिखने मे था इस लिए २-३ बार पूछने पर जब हमे नही समझ आया तो हमने कहा कि क्या कहाँ रखने को कह रही दिखाओ तो उसने कुर्सी की ओर इशारा किया । और ये सुनकर हम समझ नही पाये की हँसे या क्या करें।वो तो बाद मे पता चला की वो चा को सा और सा को चा बोलती है। चावल वो सावल औए इंग्लिश के rice को राईच कहती है।
अभी तो फिलहाल इतने ही शब्दों का पता चला है आगे अगर कुछ और नए शब्द और उच्चारण पता चलेंगे तो जरुर लिखेंगे।
नोट-- और हाँ अब तो हम भी अल्तीनो ,फोंतेना,सांगे,थीवी,शापोरा, और सियोली बोलने लगे है।
गोवा मे इंग्लिश मे अधिकतर शब्दों के अंत मे एम (M) लगता है पर एम साइलेंट होता है। जैसे panjim,,bicholim,siolim,morjim, इत्यादी। अब आम हिन्दी भाषी होने के नाते हम लोग इनका उच्चारण पंजिम,बिचोलिम,सिओलिम,मोरजिम ही करते थे पर जब किसी लोकल goan से कहते सिओलिम तो वो कहते अच्छा सिओली। sanguem इसे यहां सांगे कहते है। इसी तरह nuvem को नेवे,quepem को केपे,velim को वेली,thivim को थीवी और भी बहुत से ऐसे शब्द है।
ये तो रहते-रहते अब कुछ-कुछ समझ आ गया है पर अभी भी बहुत से ऐसे शब्द है जिन्हें इंग्लिश,हिन्दी और कोंकणी मे अलग-अलग तरह से बोला जाता है।उच्चारण के फ़र्क की वजह से कई बार लोगों को समझाने मे बड़ी दिक्कत होती है।
पंजिम मे ही एक कालोनी है जिसका नाम fontainhas है । जब नए-नए थे तो ड्राईवर को कहा की फोंटेनास जाना है तो उसने पलट कर हमे पूछ ये कहाँ है ।
जब हमने कहा चलो रास्ता बताते है तो थोडी दूर जाने पर जैसे ही फोंटेनास के लिए मुड़े तो बोला ओह तो आप फोंतेना कह रही थी।
बड़ी जोर से गुस्सा भी आया और खीज भी हुई पर फ़िर समझते देर नही लगी कि उच्चारण का फर्क है।
गोवा मे ऊँची पहाड़ी जगह को altinho कहते है।शुरू मे हम लोग altinho को अल्टिनो बोलते तो यहां वाले फट से सुधार करके कहते अल्तीन । अब अल्तीन और अल्टिनो मे त और ट का फर्क है ना इसलिए तो लोगों को समझने मे दिक्कत होती थी बाद मे पता चला कि यहां टी शब्द तो है ही नही बल्कि टी को त बोलते है।
इसी तरह ना शब्द को कहीं-कहीं ण बोलते है। जैसे concona अब इसे हम जैसे लोग तो कनकोना बोलेंगे पर यहां कणकोण बोलते है।
फ्रेंच की तरह यहां भी चा को कुछ लोग चा तो कुछ शा बोलते है। अब यहां पर एक फोर्ट है chapora फोर्ट। अब इस फोर्ट तक जाने का जब रास्ता पूछने के लिए हम जिससे भी चपोरा बोलते वो हमे रास्ता दिखाते हुए कहते शपोरा बस थोडी दूर है।
चा को सा और सा को च का एक और उदाहरण हमारे घर मे भी है इंदुमती जो खाना बनाती है वो भी उल्टा ही बोलती है यानी स को च बोलती है। ऐसे ही एक दिन हम अपनी पोस्ट लिख रहे थे कि वो आई और बोली कुर्ची आई है। उसे कहाँ रक्खे। तो हमे समझ ही नही आया कि कुर्ची क्या बला है।अब हमारा ध्यान तो अपनी पोस्ट लिखने मे था इस लिए २-३ बार पूछने पर जब हमे नही समझ आया तो हमने कहा कि क्या कहाँ रखने को कह रही दिखाओ तो उसने कुर्सी की ओर इशारा किया । और ये सुनकर हम समझ नही पाये की हँसे या क्या करें।वो तो बाद मे पता चला की वो चा को सा और सा को चा बोलती है। चावल वो सावल औए इंग्लिश के rice को राईच कहती है।
अभी तो फिलहाल इतने ही शब्दों का पता चला है आगे अगर कुछ और नए शब्द और उच्चारण पता चलेंगे तो जरुर लिखेंगे।
नोट-- और हाँ अब तो हम भी अल्तीनो ,फोंतेना,सांगे,थीवी,शापोरा, और सियोली बोलने लगे है।
Comments
गोवा घूमने आएंगे तो काम आएगी
शुक्रिया
ममता जी जितनी बार स्थान बदलेंगी उच्चारण का फर्क तो मिल ही जाएगा और शब्दों का भी। न समझने पर झुंझलाहट भी होगी और मजा भी आएगा। कुछ हास्य भी होगा।