डी -एडिक्शन (कोई शराब क्यों पीता है )
हमने कुछ समय पहले डी-एडिक्शन के बारे मे लिखा था की हम किस तरह से इस डी-एडिक्शन कैंप से जुडे थे।जिस तरह हर संस्था का कोई नाम होता है ठीक उसी तरह इस संस्था का नाम साथी रक्खा गया था । और अंडमान मे पोर्ट ब्लेयर के जी.बी.पंत हॉस्पिटल के कमरा नम्बर ४७ मे ओ.पी.डी.शुरू की गयी थी ।
जिस तरह किसी भी काम को शुरू करने के लिए सबसे पहले उसकी तह तक पहुँचना बहुत जरुरी होता है ठीक उसी तरह डी-एडिक्शन मे सबसे पहले ये जानना होता है की आख़िर व्यक्ति को शराब के नशे की आदत कैसे पड़ी। यूं तो शराब पीने के लिए कोई बहाने के जरुरत नही होती है पर फिर भी कुछ ऐसे कारण होते है जिन्हे लोग समझते है कि उन कारणों की वजह से ही उन लोगों ने शराब पीना शुरू किया ।यूं तो पीने के लिए कोई भी कारण नही होता है पर फिर भी लोग ढेरों कारण ढूँढ लेते है। और ऐसे ही कुछ कारण यहां पर हम लिख रहे है जो हमे ओ.पी.डी.मे आये हुए लोगों ने बताये थे।
१ )ख़ुशी मनाने के लिए।
२ )दोस्तो का साथ देने के लिए।
३)दुःख भुलाने के लिए।
४)बाप शराबी है।
५)बीबी से पटती नही है।
६)पारिवारिक कलह के कारण।
७)ऑफिस मे अधिक काम होना।
८ )थकान मिटाने के लिए। (ये अक्सर लेबर क्लास कहता है )
९ )मजे के लिए।
१० )शराब के बिना रह नही सकते है। (हर नशा करने वाला ऐसा ही कहता है )
११)और तो और सुनामी के बाद तो लोगों ने डर की वजह से भी पीना शुरू कर दिया था।
ऐसे ही और ना जाने कितने कारण लोग ढूँढ लेते है शराब पीने के लिए। वो एक गाना भी है ना कि
पीने वालों को पीने का बहाना चाहिऐ। बिल्कुल सही है।
किसी भी नशे की शुरुआत वो चाहे सिगरेट का हो या शराब का हो उसका जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ उसका सेवन करने वाला या पीने वाला ही होता है। और इसके लिए किसी भी हालात या व्यक्ति को दोष देना बिल्कुल गलत है।क्यूंकि अगर व्यक्ति नशे का आदी होता है तो उसका कारण वो खुद ही होता है।और नशा करना किसी भी समस्या का हल नही है बल्कि नशा करने से समस्याएं बढ़ती है। जब तक व्यक्ति इस बात को नही समझता है तब तक ना तो वो नशे की आदत छोड़ सकता है और ना ही उसे कुछ समझाने का कोई फायदा होता है।
शराब पीने वालों को कुछ इस तरह से इन श्रेणियों मे बाँट कर रख सकते है।
१ ) वो लोग जो कभी-कभार किसी अवसर या किसी पार्टी मे पीते है।
२) पहले से ही पीने के लिए दिन सोच कर रखते है। (जैसे वो लोग जो हर शनिवार या रविवार को पीते है या इसी तरह कोई भी दिन )
३)रोज का कोटा निश्चित रखते है।
४)जिनका कुछ निश्चित नही है ।
५)लगातार पीने वाले।
पहले से पाँचवे नम्बर तक पहुँचना व्यक्ति पर निर्भर करता है क्यूंकि बहुत से लोग सिर्फ पहली श्रेणी मे ही रहते है जबकि बहुत से लोग पहली श्रेणी से पांचवी श्रेणी तक पहुँच जाते है। अक्सर देखा गया है कि लोग शुरुआत तो पहली श्रेणी से ही करते है मतलब कभी किसी पार्टी मे या कभी किसी दोस्त के कहने पर पीते है पर फिर धीरे-धीरे वो अपने लिए अपनी सहूलियत से दिन निश्चित करते है और फिर निश्चित दिन से आगे बढ़कर अपने लिए पीने का कोटा निर्धारित करते है।और इस तरह फिर वो कभी पीना छोड़ देते है तो कभी पीने लगते है।अर्थात चौथी श्रेणी मे आ जाते है जहाँ कुछ भी निश्चित नही है। और फिर शराब के इतने आधीन हो जाते है कि लगातार ही पीना शुरू कर देते है।क्यूंकि दोस्तो और मजे के लिए पी गयी शराब कब आदत बन जाती है ये पीने वाले को पता ही नही चलता है।
यूं तो पहली और दूसरी श्रेणी मे आने वाले लोगों को इलाज से ज्यादा समझने की जरुरत होती है पर फिर भी ये खतरा हमेशा रहता है कि वो पांचवी श्रेणी तक कभी भी पहुँच सकते है। तीसरी श्रेणी को counselling की जरुरत होती है तो चौथी और पांचवी श्रेणी को counselling के साथ-साथ इलाज की जरुरत होती है। क्यूंकि नशा करना दूसरी बीमारियों की तरह ही एक बीमारी है।
जिस तरह किसी भी काम को शुरू करने के लिए सबसे पहले उसकी तह तक पहुँचना बहुत जरुरी होता है ठीक उसी तरह डी-एडिक्शन मे सबसे पहले ये जानना होता है की आख़िर व्यक्ति को शराब के नशे की आदत कैसे पड़ी। यूं तो शराब पीने के लिए कोई बहाने के जरुरत नही होती है पर फिर भी कुछ ऐसे कारण होते है जिन्हे लोग समझते है कि उन कारणों की वजह से ही उन लोगों ने शराब पीना शुरू किया ।यूं तो पीने के लिए कोई भी कारण नही होता है पर फिर भी लोग ढेरों कारण ढूँढ लेते है। और ऐसे ही कुछ कारण यहां पर हम लिख रहे है जो हमे ओ.पी.डी.मे आये हुए लोगों ने बताये थे।
१ )ख़ुशी मनाने के लिए।
२ )दोस्तो का साथ देने के लिए।
३)दुःख भुलाने के लिए।
४)बाप शराबी है।
५)बीबी से पटती नही है।
६)पारिवारिक कलह के कारण।
७)ऑफिस मे अधिक काम होना।
८ )थकान मिटाने के लिए। (ये अक्सर लेबर क्लास कहता है )
९ )मजे के लिए।
१० )शराब के बिना रह नही सकते है। (हर नशा करने वाला ऐसा ही कहता है )
११)और तो और सुनामी के बाद तो लोगों ने डर की वजह से भी पीना शुरू कर दिया था।
ऐसे ही और ना जाने कितने कारण लोग ढूँढ लेते है शराब पीने के लिए। वो एक गाना भी है ना कि
पीने वालों को पीने का बहाना चाहिऐ। बिल्कुल सही है।
किसी भी नशे की शुरुआत वो चाहे सिगरेट का हो या शराब का हो उसका जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ उसका सेवन करने वाला या पीने वाला ही होता है। और इसके लिए किसी भी हालात या व्यक्ति को दोष देना बिल्कुल गलत है।क्यूंकि अगर व्यक्ति नशे का आदी होता है तो उसका कारण वो खुद ही होता है।और नशा करना किसी भी समस्या का हल नही है बल्कि नशा करने से समस्याएं बढ़ती है। जब तक व्यक्ति इस बात को नही समझता है तब तक ना तो वो नशे की आदत छोड़ सकता है और ना ही उसे कुछ समझाने का कोई फायदा होता है।
शराब पीने वालों को कुछ इस तरह से इन श्रेणियों मे बाँट कर रख सकते है।
१ ) वो लोग जो कभी-कभार किसी अवसर या किसी पार्टी मे पीते है।
२) पहले से ही पीने के लिए दिन सोच कर रखते है। (जैसे वो लोग जो हर शनिवार या रविवार को पीते है या इसी तरह कोई भी दिन )
३)रोज का कोटा निश्चित रखते है।
४)जिनका कुछ निश्चित नही है ।
५)लगातार पीने वाले।
पहले से पाँचवे नम्बर तक पहुँचना व्यक्ति पर निर्भर करता है क्यूंकि बहुत से लोग सिर्फ पहली श्रेणी मे ही रहते है जबकि बहुत से लोग पहली श्रेणी से पांचवी श्रेणी तक पहुँच जाते है। अक्सर देखा गया है कि लोग शुरुआत तो पहली श्रेणी से ही करते है मतलब कभी किसी पार्टी मे या कभी किसी दोस्त के कहने पर पीते है पर फिर धीरे-धीरे वो अपने लिए अपनी सहूलियत से दिन निश्चित करते है और फिर निश्चित दिन से आगे बढ़कर अपने लिए पीने का कोटा निर्धारित करते है।और इस तरह फिर वो कभी पीना छोड़ देते है तो कभी पीने लगते है।अर्थात चौथी श्रेणी मे आ जाते है जहाँ कुछ भी निश्चित नही है। और फिर शराब के इतने आधीन हो जाते है कि लगातार ही पीना शुरू कर देते है।क्यूंकि दोस्तो और मजे के लिए पी गयी शराब कब आदत बन जाती है ये पीने वाले को पता ही नही चलता है।
यूं तो पहली और दूसरी श्रेणी मे आने वाले लोगों को इलाज से ज्यादा समझने की जरुरत होती है पर फिर भी ये खतरा हमेशा रहता है कि वो पांचवी श्रेणी तक कभी भी पहुँच सकते है। तीसरी श्रेणी को counselling की जरुरत होती है तो चौथी और पांचवी श्रेणी को counselling के साथ-साथ इलाज की जरुरत होती है। क्यूंकि नशा करना दूसरी बीमारियों की तरह ही एक बीमारी है।
Comments
भईया अपना तो साधारण सा नियम है, शराब को कभी हाथ ही न लगाएँ तो कभी बोतल की गुलामी नहीं करनी पड़ेगी। :)
जब चाँद गगन में होता है
या तारे नभ में छाते हैं
जब मौसम की घुमड़ाई से
बादल भी पसरे जाते हैं
जब मौसम ठंडा होता है
या मुझको गर्मी लगती है
जब बारिश की ठंडी बूंदें
कुछ गीली गीली लगती हैं
तब ऐसे में बेबस होकर
मैं किसी तरह जी लेता हूँ
वैसे तो मुझको पसंद नहीं
बस ऐसे में पी लेता हूँ.
जब मिलन कोई अनोखा हो
या प्यार में मुझको धोखा हो
जब सन्नाटे का राज यहाँ
और कुत्ता कोई भौंका हो
जब साथ सखा कुछ मिल जायें
या एकाकी मन घबराये
जब उत्सव कोई मनता हो
या मातम कहीं भी छा जाये
तब ऐसे में मैं द्रवित हुआ
रो रो कर सिसिकी लेता हूँ
वैसे तो मुझको पसंद नहीं
बस ऐसे में पी लेता हूँ.
जब शोर गुल से सर फटता
या काटे समय नहीं कटता
जब मेरी कविता को सुनकर
खूब दाद उठाता हो श्रोता
जब भाव निकल कर आते हैं
और गीतों में ढल जाते हैं
जब उनकी धुन में बजने से
ये साज सभी घबराते हैं
तब ऐसे में मैं शरमा कर
बस होठों को सी लेता हूँ
वैसे तो मुझको पसंद नहीं
बस ऐसे में पी लेता हूँ.
जब पंछी सारे सोते हैं
या उल्लू बाग में रोते हैं
जब फूलों की खूशबू वाले
ये हवा के झोंके होते हैं
जब बिजली गुल हो जाती है
और नींद नहीं आ पाती है
जब दूर देश की कुछ यादें
इस दिल में घर कर जाती हैं
तब ऐसे में मैं क्या करता
रख लम्बी चुप्पी लेता हूँ
वैसे तो मुझको पसंद नहीं
बस ऐसे में पी लेता हूँ.
चिट्ठाकारी विशेष:
जब ढेरों टिप्पणी मिलती हैं
या मुश्किल उनकी गिनती है
जब कोई कहे अब मत लिखना
बस आपसे इतनी विनती है
जब माहौल कहीं गरमाता हो
या कोई मिलने आता हो
जब ब्लॉगर मीट में कोई हमें
ईमेल भेज बुलवाता हो.
तब ऐसे में मैं खुश होकर
बस प्यार की झप्पी लेता हूँ
वैसे तो मुझको पसंद नहीं
बस ऐसे में पी लेता हूँ.
--समीर लाल 'समीर'
कृप्या अन्यथा न लें. बस मौज मजे में बतायें.
श्रीश जी की बात भी बिलकुल ठीक है !
ये दो खेमे हैँ ममता जी,
वैसे ये गाना सुनकर
हमारे एक मित्र बडे खुश होते थे
" सावन के महीने मेँ, एक आग सी सीने मेँ,
लगती है तो , पी लेता हूँ,
२, ४ घडी, जी लेता हूँ "
परँतु, अफसोस,
उस की अकाल मृत्यु,
सिर्फ वह जब २६ साल के थे हुई थी ~
वो भी इतनी दारुण व करुण कि,
एक अलग पोस्ट लिखनी होगी :-(
स्नेह सहित
--लावण्या
समीर जी की कविता तो उनकी तरह ही लाजवाब है ।
लावान्या जी और मनीष जी अब जब ये कैंप शुरू किया है तो इसी जारी ही रक्खेंगे। :)
हां एक बात और उम्मीद करते हैं कि जैसे हम अंडा नहीं देते पर आमलेट के बारे में मुर्गी से बहुते ज्यादा जानकारी रखते हैं शराब के बारे में आपकी जानकारी भी वैसी ही होगी. सही गैसियाये हैं न.
लिखने में तो आप गजबाइजेशन करती ही है सो उस पर का कहें
पीने वाले केवल पीने के लिये पीते हैं, इसके पीने की नतीजों को वही जानते हैं जो इसे छोड चुके हैं।
हिंदी दिवस पर मेरी बधाई स्वीकार करें
दीपक भारतदीप्
khuda का sukra है warna guzarti कैसे शाम
sharaab जिसने बनाई उससे हमारा salaam ...
sameer ji ne to gazal likh k jaan hi daal di hai ...