मोबाइल फोन के फ़ायदे और नुक़सान
अरे अरे हम जानते है कि आप सोच रहे है कि मोबाइल फोन के फ़ायदे भी कोई बताने वाली बात है वो तो हम सब जानते है । और ये सच भी है कि मोबाइल ने हम सबकी ज़िन्दगी बहुत आसान कर दी है। अब तो मोबाइल पर ही हम सबकी दुनिया टिक सी गई है। पहले तो सिर्फ़ इसे एक चलते फिरते फोन की तरह इस्तेमाल किया जाता था। और घर से दूर रहने वाले से कभी भी किसी भी समय बात की जा सकती थी। हालाँकि नब्बे के दशक में मोबाइल पर कॉल करना बहुत महँगा होता था क्योंकि इसमे कॉल करने वाले और कॉल रिसीव करने वाले को भी पैसा देना पड़ता था। और मोबाइल रखना बड़ी शान और स्टेटस की बात मानी जाती थी ।
पर धीरे धीरे समय बदला और मोबाइल फोन लोगों की ज़रूरत बनता गया। और कॉल रेट भी कम होते गये । पहले जहाँ सिर्फ़ एयरटेल होता था वहाँ धीरे धीरे डॉल्फ़िन ( एम टी एन एल का ) वोडाफ़ोन ,आइडिया,जैसे नेटवर्क होने लगे। पहले के मुक़ाबले अब हर किसी के पास मोबाइल होने लगा। हर कोई मोबाइल पर बात करते हुये चलता दिखता है।
अब तो मोबाइल फोन की इतनी आदत सी हो गई है कि अगर थोड़ी देर फोन ना देखो तो लगता कि हम कही पीछे तो नहीं रह गये। क्योंकि हर थोड़ी देर में पिंग की आवाज़ आती है और आवाज़ सुनकर रूक पाना ज़रा मुश्किल होता है इसलिए हम अपना सब काम छोड़कर मैसेज देखते है और सिर्फ़ देखते ही नहीं है जवाब भी देते है। 😋
मोबाइल आने से पहले कम्प्यूटर पर बहुत से काम हो जाते थे पर जब तक लैपटॉप नहीं आया था तब तक तो घर पर रह कर ही कम्प्यूटर पर काम करना पड़ता था।वो चाहे बैक का काम हो (शुरू में सारे बैंक ऑनलाइन नहीं थे ) या कोई और काम ।
पर जब से मोबाइल आया है तब से ज़िन्दगी में बहुत आराम हो गया है । क्योंकि पहले हर काम के लिये ख़ुद जाना पड़ता था जैसे बैक से पैसे निकालने या जमा कराने हो या कपड़ों की ख़रीदारी के लिये ,सब्ज़ी और राशन के लिये और तो और और जूते चप्पल के लिये तो बाज़ार जाना ही पड़ता था। अब घर बैठे सारी शॉपिंग हो जाती है और सब चीज़ें घर आ जाती है। बस मोबाइल पर सबकी ऐप होनी चाहिये । और ऐप के लिये एक स्मार्ट फोन होना चाहिये। 😀अब स्मार्ट फोन कोई नायाब चीज़ नहीं रह गया है।
फ़ोटो खींचने और विडियो बनाने के लिये अब कैमरे की ज़रूरत नहीं । जब जहाँ चाहे फ़ोटो, विडियो और सेलफी बना सकते है। और तो और मूवी देख सकते है ,रेडियो सुन सकते है ,ईमेल देख सकते है।
कभी कभी लगता है कि पहले बिना मोबाइल के कैसे हम लोग रहते थे । याद होगा कि कभी कही मार्केट जाने पर ड्राइवर को ढूँढना कितना मुश्किल होता है । कई बार अपनी कार को पहचानना पड़ता था । पर अब बस जहाँ भी रहो ड्राइवर को फोन करो और वो आ जाता है। 😊
चलिये ये तो कुछ मोबाइल के फ़ायदे की बात हुई अब कुछ इसके नुक़सान के बारे में भी बात कर ली जाये। सबसे बड़ा नुक़सान ये है कि अब किसी को किसी का नम्बर याद नहीं रहता है क्योंकि मोबाइल में नाम लिखो और झट से फोन मिला लो। बहुत लोगों को पुराने काले रंग वाले फोन याद होगे जिनमें नम्बर मिलाने पर घरररररर सी आवाज़ आती थी जितने नम्बर मिलाओ उतनी बार घररररररर की आवाज़ आती थी। पर इस आवाज़ का फ़ायदा था कि इतनी बार नम्बर मिलाने से सब नम्बर याद रहते थे। हमें तो अब बस दो-तीन नम्बर के अलावा किसी का भी नम्बर याद नहीं है जबकि पहले ज़बानी नम्बर याद रहते थे। खुदा ना खासता अगर फोन खो जाता है या ख़राब हो जाता है तो सारे नम्बर ग़ायब ।
कई बार घर के लोग एकसाथ होकर भी एकसाथ नहीं होते है क्योंकि कोई फेसबुक पर तो कोई वहाटसऐप पर तो कोई गूगल पर कुछ पढ़ रहा होता है। और कोई किसी को टोक भी नहीं सकता है क्योंकि इस गुनाह में सब बराबर के भागीदार है। 🙂
यू तो मोबाइल के फ़ायदे और नुक़सान दोनों है पर अब मोबाइल के बिना ज़िन्दगी सोची नहीं जा सकती है ये भी हक़ीक़त है। आपका क्या कहना है । ☺️
पर धीरे धीरे समय बदला और मोबाइल फोन लोगों की ज़रूरत बनता गया। और कॉल रेट भी कम होते गये । पहले जहाँ सिर्फ़ एयरटेल होता था वहाँ धीरे धीरे डॉल्फ़िन ( एम टी एन एल का ) वोडाफ़ोन ,आइडिया,जैसे नेटवर्क होने लगे। पहले के मुक़ाबले अब हर किसी के पास मोबाइल होने लगा। हर कोई मोबाइल पर बात करते हुये चलता दिखता है।
अब तो मोबाइल फोन की इतनी आदत सी हो गई है कि अगर थोड़ी देर फोन ना देखो तो लगता कि हम कही पीछे तो नहीं रह गये। क्योंकि हर थोड़ी देर में पिंग की आवाज़ आती है और आवाज़ सुनकर रूक पाना ज़रा मुश्किल होता है इसलिए हम अपना सब काम छोड़कर मैसेज देखते है और सिर्फ़ देखते ही नहीं है जवाब भी देते है। 😋
मोबाइल आने से पहले कम्प्यूटर पर बहुत से काम हो जाते थे पर जब तक लैपटॉप नहीं आया था तब तक तो घर पर रह कर ही कम्प्यूटर पर काम करना पड़ता था।वो चाहे बैक का काम हो (शुरू में सारे बैंक ऑनलाइन नहीं थे ) या कोई और काम ।
पर जब से मोबाइल आया है तब से ज़िन्दगी में बहुत आराम हो गया है । क्योंकि पहले हर काम के लिये ख़ुद जाना पड़ता था जैसे बैक से पैसे निकालने या जमा कराने हो या कपड़ों की ख़रीदारी के लिये ,सब्ज़ी और राशन के लिये और तो और और जूते चप्पल के लिये तो बाज़ार जाना ही पड़ता था। अब घर बैठे सारी शॉपिंग हो जाती है और सब चीज़ें घर आ जाती है। बस मोबाइल पर सबकी ऐप होनी चाहिये । और ऐप के लिये एक स्मार्ट फोन होना चाहिये। 😀अब स्मार्ट फोन कोई नायाब चीज़ नहीं रह गया है।
फ़ोटो खींचने और विडियो बनाने के लिये अब कैमरे की ज़रूरत नहीं । जब जहाँ चाहे फ़ोटो, विडियो और सेलफी बना सकते है। और तो और मूवी देख सकते है ,रेडियो सुन सकते है ,ईमेल देख सकते है।
कभी कभी लगता है कि पहले बिना मोबाइल के कैसे हम लोग रहते थे । याद होगा कि कभी कही मार्केट जाने पर ड्राइवर को ढूँढना कितना मुश्किल होता है । कई बार अपनी कार को पहचानना पड़ता था । पर अब बस जहाँ भी रहो ड्राइवर को फोन करो और वो आ जाता है। 😊
चलिये ये तो कुछ मोबाइल के फ़ायदे की बात हुई अब कुछ इसके नुक़सान के बारे में भी बात कर ली जाये। सबसे बड़ा नुक़सान ये है कि अब किसी को किसी का नम्बर याद नहीं रहता है क्योंकि मोबाइल में नाम लिखो और झट से फोन मिला लो। बहुत लोगों को पुराने काले रंग वाले फोन याद होगे जिनमें नम्बर मिलाने पर घरररररर सी आवाज़ आती थी जितने नम्बर मिलाओ उतनी बार घररररररर की आवाज़ आती थी। पर इस आवाज़ का फ़ायदा था कि इतनी बार नम्बर मिलाने से सब नम्बर याद रहते थे। हमें तो अब बस दो-तीन नम्बर के अलावा किसी का भी नम्बर याद नहीं है जबकि पहले ज़बानी नम्बर याद रहते थे। खुदा ना खासता अगर फोन खो जाता है या ख़राब हो जाता है तो सारे नम्बर ग़ायब ।
कई बार घर के लोग एकसाथ होकर भी एकसाथ नहीं होते है क्योंकि कोई फेसबुक पर तो कोई वहाटसऐप पर तो कोई गूगल पर कुछ पढ़ रहा होता है। और कोई किसी को टोक भी नहीं सकता है क्योंकि इस गुनाह में सब बराबर के भागीदार है। 🙂
यू तो मोबाइल के फ़ायदे और नुक़सान दोनों है पर अब मोबाइल के बिना ज़िन्दगी सोची नहीं जा सकती है ये भी हक़ीक़त है। आपका क्या कहना है । ☺️
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