बदलते हम और हमारी फ़ोटो

दो- तीन दिन पहले हमारे पतिदेव ने हमारी एक कुछ साल पुरानी फ़ोटो को फ़ेसबुक पर शेयर किया था और जिस पर हमारी एक दोस्त ने कमेंट किया कि हम पतले और प्यारे लग रहे है । जिसे पढ़कर हमने भी लिखा कि पर हम तब भी मोटे ही कहे जाते थे। 😀

जब भी हम पुरानी फ़ोटो देखते है ,भले ही वो एक या दो साल पुरानी हो या चाहे चार साल पुरानी हो तो ऐसा लगता है कि अरे तब तो हम कुछ पतले थे पर उस समय भी हम मोटे वाली कैटेगरी में ही आते थे। खाते पीते घर की । 😃

वैसे फ़ोटो बहुत ही प्यारी होती है। हर फ़ोटो के साथ कितनी यादें जुड़ी होती है। पहले के समय में ब्लैक एंड व्हाइट फ़ोटो होती थी। क्लिक कैमरा होता था जिसमें रील भरी जाती थी और फ़ोटो खींचने के बाद फिर फ़ोटोग्राफ़र से उसे बनवाया जाता था। हम लोग जहाँ कही भी घूमने जाते थे कैमरा साथ होता था। चाहे नैनीताल हो या चाहे आगरा या बनारस या फ़ैज़ाबाद या कही और।

गरमी की छुट्टियों में जब सब कज़िन लोग इकट्ठा होते थे तो हम सब मममी की साड़ी पहनकर घर के आँगन में फ़ोटो खिंचवाते थे। पहले पापा और भइया फ़ोटो खींचा करते थे । बाद में धीरे धीरे सबने फ़ोटो खींचनी शुरू की। हमसे बड़ी दीदी तो इतना ज़्यादा फ़ोटो खींचने की शौक़ीन हो गई थी कि कभी कभी सुबह सोकर उठते ही हमें छत पर ले जाकर फ़ोटो खींचती और जब फ़ोटो बनकर आती तो कई बार हम ग़ुस्सा होते कि कितनी ख़राब और सोई सोई फ़ोटो आई है। और वो हंस कर कहती अरे नहीं देखो कितनी अच्छी लग रही हो। पर आज उस फ़ोटो को देखकर बहुत प्यारी सी ख़ुशी मिलती है और वो पूरा समय एक मीठी याद मन पर छोड़ देता है।

धीरे धीरे ब्लैक एंड व्हाइट की जगह कलर फ़ोटो ने ली । पर फ़ोटो खींचने का शौक़ भी जारी रहा । हमारी दीदी ने ख़ासकर हमें कोडैक कैमरा लंदन से लाकर दिया और फिर तो हमने भी ख़ूब फ़ोटो खींचना शुरू किया । ( क्योंकि घर में छोटे होने के कारण कैमरा हमें कम ही मिलता था । )और वो सिलसिला आज तक क़ायम है। कैमरे बदलते गये और फ़ोटो खींचने का शौक़ भी बढ़ता गया। पिछले साल हम लोगों ने सारी पुरानी फ़ोटो को स्कैन करके हार्ड डिस्क पर सेव किया क्योंकि कुछ बहुत पुरानी फ़ोटो ख़राब सी हो रही थी। और सकैन करते हुए वो हर लम्हा याद आता गया । कभी साड़ी पहनकर यूनिवर्सिटी जाते हुए मममी ने फ़ोटो ली थी तो होली की फ़ोटो जब सारे मोहल्ले के बच्चे रंगे हुए एकसाथ फ़ोटो खिंचवाते हुए।

शादी के बाद पता चला कि पतिदेव को भी फोटो का बहुत शौक़ है बस फिर तो कहना ही क्या । बच्चों का हर महीने बर्थडे मनाते और केक काटते और फ़ोटो खींचते। हर ट्रिप की में एक या दो एल्बम बन जाते । हमें पक्का यक़ीन है कि आप लोगों के साथ भी ऐसा ही होता रहा होगा। 😋

अब तो फ़ोटो खींचना और देखना और दिखाना बहुत ही आसान हो गया है डिजिटल कैमरों सोनी फिर कैनन जैसे कैमरों की वजह से । इसमें सबसे आराम ये था कि हमें फ़ोटोग्राफ़र के पास फिलम बनवाने के लिए नहीं जाना पड़ता था। और मज़ेदार बात कि इसमें रील भरने और ख़त्म होने का झंझट नहीं। जितनी मर्ज़ी फ़ोटो खींचो और फटाफट फेसबुक और वहाटसऐप पर लगा दो।डिजिटल कैमरे का एक फ़ायदा है कि इसमें विडियो भी बना सकते है पहले की तरह अलग से विडियो कैमरा रखने की ज़रूरत नहीं। और हार्ड डिस्क पर सेव कर लो। हॉ अगर चाहे तो फ़ोटो बनवा भी सकते है।

अब तो फोन से फ़ोटो खींचने की वजह से ये और भी आराम हो गया है । जब जहाँ चाहो बस फट से फ़ोटो ले लो। तुरन्त देखो अच्छी ना आई हो तो दुबारा खींच लो। सेलरी भी ले सकते है। पिछले साल हम स्कूल फ़्रेड चालीस साल बाद मिले तो हम सब ने मोबाइल से सबकी ख़ूब फ़ोटो खींची और विडियो बनाये और ये फ़ोटो ,विडियो किसी ख़ज़ाने से कम नहीं है । हम सब अकसर इन फ़ोटो को अपने स्कूल के वहाटसऐप ग्रुप पर लगाते रहते है और उन साथ बिताये दिनों को बार बार देखते है और ख़ुश होते है। वैसे स्मार्ट फोन आने के बाद कैमरे का भी चलन कुछ कम हो रहा है पर फिर भी कैमरे की बात कुछ और ही है ।


हर बार जब हम अपनी कोई पुरानी फ़ोटो देखते है तो यही सोचते है कि अरे हम कितना बदल गये है। क्या आपके साथ भी ऐसा होता है।




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