आख़िर क्यूँ ?

मन बड़ा विचलित है ये सोचकर कि आख़िर हम लोग कहाँ जा रहे है। क्यूँ हम लोग इतने निर्मम और क्रूर होते जा रहे है।

आठ साल की बच्ची के साथ जैसी निर्ममता और बर्बरता की गई है जिसे पढ़ और सुनकर ही दिल दहल जाता है । क्या उनका मन एक बार भी नहीं पसीजा ।

ऐसे हैवानो को रोकने लिए बिना विलम्ब सजा देने का प्रावधान होना चाहिए क्यूँ कि हमारे देश में न्याय और इन्साफ़ मिलने में बहुत अधिक समय लग जाता है और इस तरह के हैवानो के मन में क़ानून का कोई डर या ख़ौफ़ नहीं होता है । जब तक जल्द और कड़ी सज़ा का क़ानून नहीं होगा तब तक इस तरह की मानसिकता रखने वाले लोगों को डर नही होगा ।

बलात्कार की सज़ा एक ही होनी चाहिये फिर वो चाहे बारह साल से कम की बच्ची का हुआ हो या कोई भी उम्र की लड़की या महिला का हो ।
क्या लड़की होना गुनाह है ।
आख़िर क्यूँ ?


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