लावण्या जी ख़ास आपके लिए निमोना

हमारी एक पोस्ट मे निमोना पढ़कर लावण्या जी ने अपनी टिप्पणी मे निमोना के बारे मे पूछा था तो आज ख़ास लावण्या जी के लिए हम निमोना बनाने जा रहे है । निमोना उत्तर भारत मे जाड़े के दिनों मे बनने वाली हरी मटर की ऐसी डिश है जिसके बिना बने या खाए जाड़ा आने का पता ही नही चलता है । तो चलिये तैयार है न निमोना बनाने के लिए ।

सामग्री--
छिली हुई हरी मटर - १/२ किलो
कद्दूकस किया हुआ प्याज --२-३
कद्दूकस किया हुआ लहसुन --४-५
पिसा धनिया --१ चम्मच
पिसी हल्दी- १/४ चम्मच
पिसी लाल मिर्च- १/४ चम्मच (वैसे आप चाहें तो ज्यादा भी डाल सकते है । )
पिसा गरम मसाला- १/२ चम्मच
उरद दाल की बड़ी- ७-८
नमक -स्वादानुसार
सरसों का तेल या रिफाईंड - २ या ३ बड़े चम्मच
बारीक कटा हुआ हरा धनिया --थोड़ा सा
हींग- चुटकी भर
मेथी दाना -- १५-२०
आलू-- २ या ३ (टुकड़े कटे हुए )

विधि--
सबसे पहले छिली हुई हरी मटर को पीस लीजिये पर बहुत महीन नही पीसना है । अब एक कढाई मे सरसों का तेल डालकर पहले उसमे उरद डाल की बड़ी को १ मिनट फ्राई करके निकाल लीजिये और उसी तेल मे हींग और मेथी दाना डाले और फ़िर उसमे कद्दूकस किया हुआ प्याज और लहसुन डालिए और इसे अच्छे से लाल होने तक भूने अब इसमे सारे पिसे मसाले डाल कर और थोड़ा पानी डालकर फ़िर से भूनिए और जब ये मसाला तेल छोड़ने लगे तो इसमे पिसी हुई मटर डाल कर खूब अच्छे से भूनिए ।

मटर को भुनने मे थोड़ा समय लगता है और मटर कढाई मे चिपकती भी है तो इसके लिए आंच को धीमा और तेज करते रहना पड़ता है जिससे मटर भुन भी जाए और जले भी नही । और जब मटर खूब अच्छे से मसाले मे मिल जाए और तेल छोड़ने लगे तो उसमे आलू के कटे हुए टुकड़े डाल कर थोड़ा और १-२ मिनट भून लीजिये और अब इसमे फ्राई की हुई बड़ी ,पानी और नमक डाल कर ढक कर धीमी आंच पर पका लीजिये और बीच-बीच मे चलाते रहिये तब तक जब तक की तेल ऊपर न आ जाए ।(आप चाहें तो कुकर मे - सीटी लगा कर भी बना सकते है क्यूंकि कढाई मे पकने मे समय लगता है ) और पकने के बाद सर्व करने के पहले ऊपर से हरा धनिया भी डाल दीजिये और गरमागरम चावल के साथ सर्व करिए और खाइए । और हाँ इसके साथ मूली का सलाद बहुत मजा देता है ।

वैसे आप चाहे तो मसाला अलग से तेल मे भून सकते है और मटर को अलग से देसी घी मे और इस तरह बने निमोने का स्वाद भी लाजवाब होता है । इस तरह का निमोना हमारी ससुराल मे बनता है और हम दोनों तरह का निमोना बनाते है । :)

Comments

वाह यह आज ही पढ़ा हमने ,,आज ही बनाते हैं इसको ..शुक्रिया ममता जी
annapurna said…
आज से पहले कभी नाम भी नहीं सुना था। हम भी बनाएगें इसे।
आज रात का प्रोग्राम कड़क तंदूरी रोटी के साथ (सामने होटेल से). आभार.
हरी मटर की डिश बहुत बढ़िया लगा ममता जी ,,
Shiv said…
निमोना मुझे भी बहुत पसंद है. जब गाँव में रहते थे तब भी खूब खाते थे. और आज भी. अम्मा बहुत बढ़िया निमोना बनाती है. पढ़कर खुशी हुई.
Nimona to meri favourite dish hai, sardi me hafte me 1 baar to ban hi jaata hai
sardi beet gayi..hum bhuuley rahe..aapney yaad dilaya to humey yaad aayaa...:)aaj hi banegaa ...
@ शिवकुमार मिश्र - हां, बिल्कुल! बुआ निमोना बहुत अच्छा बनाती हैं। खास बात यह है कि वे सारा मसाला रेडीमेड नहीं, सिल पर पीसती हैं। निमोना ही नहीं, सब प्रकार का भोजन बहुत बढ़िया होता है उनका।
---- रीता पाण्डेय।
बनबा कर फ़िर खाते है, ओर् फ़िर आप को बतायेगे, केसा लगा.
धन्यवाद
ममताजी,निमोने का स्वाद भी लाजवाब होता है । इन्ह शब्दो से ही निमोने को बना कर खाने कि ईच्छा जागृत हुई है। मेने यह रेसिपि मेरी श्रीमतीजी को दिखाई है और जब भी वो बनायेगी खाने के बाद जरुर आपका शुक्रिया अदा करुगा।
आमतौर पर व्यंजनों की विधियाँ मुझे आकर्षित नही करतीं पर निमोना बहुत आकर्षक जान पड़ा। मै तो अवश्य ट्राई करना चाहूंगी।
Anonymous said…
kyaasth smaaj mae yae dish bahut bantee haen aur khaas mauko par banaayee jaatee haen
mamta said…
आप सभी का शुक्रिया की आप लोगों को निमोना पसंद आया ।
रीता जी हमारे मायके मे तो आज भी निमोना के लिए हरी मटर और उसका मसाला सिल पर ही pista है ।

शिव जी माँ के हाथ के बने खाने का तो स्वाद निराला ही होता है ।

सुजाता आपको निमोना पसंद आया ये जानकर अच्छा लगा ।

रचना और कंचन आपने सही कहा है ।

अरे पारुल अभी जाड़ा बीता कहाँ है क्यूंकि अभी हरी मटर मिल रही है । :)

इतनी ज़ल्दी शुक्रिया..
मैंने भी निमोना दा मज़ा लेना वास्ते आया सी !
चलो, अब अगले सीज़न में आवेंगे, जी !
ममता जी मेरी फरमाईश पर "निमोना " की विधि बतलाने के लिये आपको बहुत बहुत धन्यवाद !
और मूली का सलाद आप किस तरह बनातीँ हैँ वो भी बतला दीजियेगा :)
अब हरी मटर की इत्ती लज़ीज़ डीश हमने इस तरह कभी पहले बनाई नहीँ - अब जरुर बनायेँगे और आपको बहुत याद करेँगेँ
हाँ शिव भाई की माँ जी के हाथोँ बने निमोना को खाने का सौभाग्य कब मिले, क्या पता ?
बहुत स्नेह सहित,
- लावण्या

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