आजादी एक्सप्रेस एक झलक
आजादी एक्सप्रेस जो दिल्ली से सितम्बर मे चली थी और कई राज्यों से होती हुई २३ दिसम्बर को गोवा के वास्को-डी-गामा स्टेशन पर तीन दिन के लिए आई थी। तो चलिए हमारे साथ आजादी एक्सप्रेस देखने।इस ट्रेन मे १८५७ से लेकर २००७ तक का भारत दिखाया गया है।किस तरह भारत आजाद हुआ और किस तरह भारत ने हर क्षेत्र मे तरक्की की है।
आजादी एक्सप्रेस मे चढ़ने के पहले स्टेशन पर गोवा की आजादी की भी एक छोटी सी फोटो प्रदर्शनी लगाई गयी थी कि किस तरह गोवा १९६१ मे पुर्तगाल से मुक्त होकर भारत का हिस्सा बना था।
अनिता जी और संजीत जी ने इसके बारे मे बहुत कुछ लिखा था। जिसने इस ट्रेन को देखने की चाहत जगा दी थी। सो जब ट्रेन गोवा आई तो हम पहुंच गए आजादी एक्सप्रेस देखने के लिए। अनिता जी की पोस्ट पढ़ने के बाद मन मे डर जरुर था की अगर कहीं मुम्बई की तरह यहां भी बहुत भीड़-भाड़ हुई तब तो देखना मुश्किल हो जाएगा। पर हमारी एक पोस्ट पर संजीत जी ने फाये जी का जिक्र किया था जिसके लिए हम संजीत जी का शुक्रिया करते है। खैर गोवा मे मुम्बई जैसी भीड़ नही थी और हमने बडे ही आराम से पूरी ट्रेन देखी और खूब सारी फोटो खींची । जिनमे से हम कुछ फोटो यहां लगा रहे है।(बाक़ी बाद मे हम फ्लीकर पर लगायेंगे। ) कोशिश की है कि फोटो के जरिये हम आजादी एक्सप्रेस आप लोगों तक पहुंचा सकें।
सबसे पहले डिब्बे मे घुसते ही अशोक स्तंभ दिखता है।( अशोक स्तंभ को हाथ से नही पकडा हुआ है बल्कि दरवाजे से आने वाले आदमी को रोकने के लिए हाथ दिखा रहा है । :) )
कहने की जरुरत नही है कि ये फोटो इस बात को दिखाती है की आजादी के लिए देश भक्तों ने कैसे कुर्बानी दी थी।
यहीं पर खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली रानी थी की पंक्तियाँ भी लिखी हुई थी।
पहली संसद के मंत्री गण ।
आजादी के बाद १९४७ मे भारत के पहले प्रधान मंत्री और राष्ट्रपति से लेकर २००७ तक के राष्ट्रपति और प्रधान मंत्रियों की फोटो है।इस फोटो मे सभी राष्ट्रपति दिखाई दे रहे है।
ये आजादी एक्सप्रेस मई २००८ को मेरठ होती हुई वापिस दिल्ली जायेगी।
Comments
वैसे सबने फाय जी के बारे मे लिखा पर उनकी फोटो नही ली। ऐसा क्यो? :)
पंकज भईया की बात से मैं भी सहमत हूं, अरे फाये जी इस पूरे आजादी एक्सप्रेस के पोस्टों में छाये रहे हैं, उनका फोटो तो होना ही चाहिए । संभव है हम तो संजीत जी के सहारे उनसे मिल लें पर सभी के लिए यह उत्सुकता बनी रहेगी कि कौन हैं ये फाये ?
अंतिम निर्णय हमेशा धर्म में लिया जाता है विज्ञान में नहीं । विज्ञान में हमेशा अन्तरित निर्णय लिया जाता है । पढें छ.ग.के डी.जी.के विचार
वैसे आजादी एक्स्प्रेस के सभी 12 बोगियों में इतनी तस्वीरें ली जा सकती हैं कि आराम से पंद्र्ह दिन की पोस्ट बन सकती है फोटो ही फोटो की!!
प्रतीक्षारत रहें सब, फाये जी ने वादा किया है कि जनवरी में रायपुर वापस लौटने पर वह "आवारा-बंजारा" के लिए अपने यात्रा संस्मरण लिखेंगे।
तब उनका चित्र भी रहेगा!