गोवा की दिवाली कुछ अलग सी .....
गोवा मे आज दिवाली मनाई जा रही है जबकि शायद बाक़ी सारे देश मे दिवाली कल यानी ९ नवम्बर को मनाई जायेगी। अब चूँकि हम यू.पी.के है तो जाहिर तौर पर आज हम छोटी दिवाली और कल यानी ९ को हम भी बड़ी दिवाली मनाएंगे। यहां गोवा मे दिवाली मनाने का अंदाज उत्तर भारत से बिल्कुल भिन्न है। जैसे उत्तर भारत मे दिवाली भगवान राम के वनवास से अयोध्या वापिस आने की ख़ुशी मे मनाई जाती है पर यहां भगवान कृष्ण द्वारा नरकासुर राक्षस के वध की ख़ुशी मे मनाई जाती है। हम लोग राम की पूजा करते है तो यहां पर कृष्ण की पूजा होती है।
जिस तरह दशहरे मे रावण को जलाया जाता है ठीक उसी तरह यहां गोवा मे दिवाली मे नरकासुर को जलाया जाता है।नरकासुर जलाने का चलन तो हमने यहीं पर देखा है। बडे-बडे नरकासुर बनाए जाते है और भोर मे यानी की सुबह ४ बजे इन्हें जलाया जाता है।नरकासुर जलाने का कारण है बुराई पर अच्छाई की जीत या अँधेरे पर रौशनी की जीत। चलिए थोडी इसकी कहानी भी बता देते है। जैसा की नाम से ही पता लग रहा है कि नरकासुर नरक के असुरों का राजा था।और इस नरकासुर ने १६ हजार गन्धर्व रानियों को कैद कर रखा था ।इन रानियों ने भगवान कृष्ण की पूजा की और उनसे प्रार्थना की कि नरकासुर की कैद से भगवान उन्हें मुक्ति दिलाएं। तब भगवान कृष्ण ने नरकासुर से युद्ध किया और युद्ध मे कृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र से नरकासुर का सिर धड़ से अलग करके औरतों को नरकासुर की कैद से मुक्ति दिलाई ।नरकासुर की कैद से मुक्त होने की ख़ुशी मे इन औरतों ने अपने घर के बाहर मिटटी के दिए जलाये जो ये दर्शाते है की किस तरह अँधेरे पर रौशनी की जीत होती है।और इसीलिए यहां गोवा मे नरकासुर को जलाते है। और जलाने के बाद घर मे प्रवेश करने से पहले एक जंगली फल कर्री (karrit)को आदमी पैरों से कुचलते है और फिर गुड खाते है तब घर मे प्रवेश करते है। और तो और यहां पर नरकासुर बनाने की प्रतियोगिता भी होती है। हर ताल्लुके मे ये प्रतियोगिता होती है। वैसे कल शाम यहां पर जबरदस्त बारिश होने से थोडा रंग मे भंग जरुर हो गया है पर लोगों के उत्साह मे कोई कमी नही आई है।
जैसे उत्तर भारत मे गणेश -लक्ष्मी दोनो की पूजा दिवाली के दिन की जाती है यहां पर सिर्फ लक्ष्मी की पूजा करते है। और इसीलिए यहां मिटटी के गणेश -लक्ष्मी एक तरह के नही मिलते है।और गणेश- लक्ष्मी ढूंढ़ना किसी खजाने को ढूंढ़ना से कम नही होता है और उस पर भी या तो लकडी के या फिर मैटल के मिलते है। अब ये मत कहिये कि चांदी के गणेश -लक्ष्मी की पूजा क्यों नही करते है। तो वो क्या है ना कि हमेशा से मिटटी के ही गणेश -लक्ष्मी की पूजा जो करते आये है।
और हाँ यहां पर बडे-बडे कंडील लगाने का भी खूब चलन है । सड़कों पर दुकानों के बाहर और घरों मे तरह-तरह के कंडील लगे हुए दिखते है।जो रात मे बडे ही खूबसूरत लगते है। कंडील से याद आया की हमे शॉपिंग करने जाना है । अच्छा तो अब हम जा रहे है अपनी बाक़ी बची हुई शॉपिंग करने अरे भाई कल दिवाली जो है।
आप सभी को दीपावली की शुभकामनाएं।
Comments
परंपराएं कैसी भी हो पर मूल भाव यही रहेगा कि बुराई पे अच्छाई की, रोशनी की अंधेरे पर विजय का त्यौहार है दीपावली!!
दीपावली की शुभकामनाएं आपको भी!!
पहुंचूंगा 14 को, 15 को कलेवा
यदि पहुंचता दीवाली पर
तो मजा कुछ और ही होता
खैर ... सारे हम ही क्यों लें
दूसरे के लिए भी सोचें
यहां दक्षिण में आज यानी छोटी दिवाली को बहुत धूम से नरक चतुर्दशी मनाई जाती है और जिस फल की आपने चर्चा की उसका प्रयोग यहां भी होता है।
आपको भी दिवाली मुबारक !
बड़ी दिवाली की शुभकामनाएं कल अलग से दे देंगे ।
बहुत मुबारक आपको और आपके परिवार को!
आप एवं आपके परिवार को दीपावली की शुभकामनाएं।
दीपक भारतदीप
हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है.
इस काम के लिये मेरा और आपका योगदान कितना है?
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाए।