ऐसा माना जाता है कि मनुष्य का जीवन ८४ लाख योनियो में विचरण करने के बाद मिलता है। मतलब कि इस जीवन के पहले हम पेड़ पौधे,पशु पक्षी,मछली मगरमच्छ और चींटी से लेकर हर तरह के कीड़े मकोड़े बनने के बाद हमे मनुष्य का जीवन मिला है। अब अगर ऐसा मानते है तो इसमें सच्चाई तो होगी ही। पर लगता है कि इंसान के जीवन का सबसे कम मूल्य है , ख़ासकर आजकल ।ऐसा लगता है कि ज़िन्दगी से सस्ता तो कुछ है ही नहीं । जब जिसे चाहा बस मार दिया । ये तक नहीं सोचते है कि उसके बाद उनका या उनके परिवार का क्या होगा। ज़रा सी बात हो फिर वो चाहे कार पार्किंग को लेकर झगड़ा हो या रोडरेज हो या चाहे जायदाद का झगड़ा हो बस फट से बिना समय गँवाये किसी की जान ले लेते है। अब अगर हम किसी को ज़िन्दगी दे नहीं सकते है तो भला भगवान की दी हुई ज़िन्दगी लेने का हक़ हमें किसने दिया। सुबह सवेरे जब अख़बार मे इस तरह की ख़बर पढने को मिलती है तो लगता है क्या वाक़ई अब लोगों में सहनशीलता ख़त्म होती जा रही है।
आप लोग भी सोच रहे होंगे कि हम भी कहाँ सुबह-सुबह चमगादड़ (bats)की बात ले बैठे है । पर क्या करें । यहाँ गोवा मे इन सब जीवों से फ़िर से मुलाकात जो हो गई है । :) अब है तो ये सवाल थोड़ा बेतुका पर क्या करें । असल मे यहाँ हमारे घर मे जो पेड़ है जिसमे कु छ चमगादड़ भी रहते है । वैसे पेड़ मे लटके हुए ये काफ़ी अच्छे लग रहे है । ( वैसे भी फोटो तो दिन में खींची है और ये एक साल पुरानी फोटो है । अरे मतलब की अब ये चमगादड़ भी बड़े हो गए है । ) दिन भर तो नही पर हाँ शाम को जैसे ही अँधेरा होने लगता है कि ये पेड़ से निकल कर चारों ओर उड़ने लगते है । और कभी-कभी काफ़ी नीचे-नीचे उड़ते है । कई बार तो ऐसा लगता है कि सिर छूते हुए ही उड़ रहे है । तो इस डर से की कहीं ये सिर के बाल ना नोच ले ,हम झट से सिर को हाथ से ढक लेते है । हम लोग रोज शाम को बाहर बैठते है पर जैसे ही चमगादड़ उड़ने लगते है तो हम लोग घर के अन्दर आ जाते है । वो क्या है कि हमेशा से सुनते आ रहे है कि अगर चमगादड़ सिर पर बैठ जाए तो वहां से बाल नोच लेता है । इसीलिए चमगादड़ को देखते ही हम घर मे आ जाते है
आज हमारे पूरे देश में और विदेशों में सूर्य ग्रहण है । और आज के ग्रहण का समय काफ़ी लम्बा है । तकरीबन छ घंटे तक ।और आज रिंग ऑफ़ फ़ायर भी दिखाई देगा । अब जैसा कि हम लोग जानते है कि सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा की छाया सूरज पर पड़ती है और चंद्रमा सूरज और धरती के बीच आ जाता है और सूरज को ढंक लेता है । तब सूर्य ग्रहण होता है । और ऐसे समय में दिन में ही शाम या रात जैसा माहौल हो जाता है । हमें याद है जब हम छोटे थे तब सूर्य ग्रहण के समय मम्मी बहुत ज़्यादा एहतियात बरतती थीं । सारे घर के परदे बंद करवा देती थी । ताकि सूरज की जरा सी भी रोशनी घर में ना आये । बाहर निकलना तो दूर यहाँ तक की बाहर झाँकना भी मना होता था । कुछ भी काटना ,काम करना मना होता था । ग्रहण के दौरान कुछ भी खाने पीने को मना करती थीं क्योंकि ग्रहण के दौरान खाना पीना मना जो होता था । जो भी खाना होता था वो या तो ग्रहण शुरू होने के पहले या फिर ग्रहण ख़त्म के बाद । हालाँकि हमारे पापा इस सब को बहुत ज़्यादा मानते नहीं थे पर चूँकि मम्मी ये सब मानती थी तो वो उन्हें करने देते थे । ग्रहण के बाद वो स्नान और दान वग़ैरा भी करती थ
Comments
घुघूती बासूती
नवम्बर 14 से
मिलना चाहता हूं
नंबर लोकल बीएसएनएल
9422739637 है
पंजिम में ऑफिस है
इफी 2007 का
अलतीनो में ठहरा हूं
ई मेल पता avinashvachaspati@gmail.com है
5 दिसम्बर 2007 को
वापिस जाऊंगा
कृपया संपर्क सूत्र दें
अथवा संपर्क करें।
प्रतीक्षा रहेगी ......
अविनाश वाचस्पति
9422739637
नजर हमें नहीं आ रही है
लगता है कोई सॉफ्टवेयर है नहीं इसमें
इसलिए दीखता नहीं है चित्र।