जरा एक नजर इस फोटो पर ....देखिये जरुर


दो दिन पहले के नवहिंद टाईम्स में ये फोटो छपी थी सबसे पहले आप फोटो देखें और उसके नीचे लिखे शब्दों (सेंटेंस) को ध्यान से पढ़े

कुछ समझ में आया
नही आया :)

तो चलिए हम बता देते है ,वो क्या है कि आजकल चुनावों का समय है और सभी जगह नोमिनेशन की प्रक्रिया चल रही है (इस फोटो मे बी .जे.पी.के प्रत्याशी अपना नोमिनेशन फाइल करने के बाद बाहर आकार फोटो खिंचा रहे है )

साथ ही गोवा में इन्ही दिनों लेंट पीरियड (जिसमें क्रिशचन लोग ४० दिन तक नॉन-वेज नही खाते है और इस दौरान saints की मूर्ति (statues) के साथ procession निकलते है ) भी चल रहा है

और इस फोटो में इन दोनों बातों को मिला दिया गया है :)

मतलब फोटो election की और सेंटेंस लेंट का

Comments

Ashok Pandey said…
रोचक है। असावधानी और अधिक संस्‍करण निकालने के बोझ के चलते अखबारों में इन दिनों इस तरह की गलतियां खूब देखने को मिलती हैं।
ऐसी गलतियाँ बहुत हो रही हैं। एक आदमी से दो का काम जो लिया जा रहा है।
Udan Tashtari said…
मजेदार-रोचक.
आज कल अखबारों में यह सब गलतियाँ अक्सर हो जातीं हैं ,जिसके लिए वही लोग जिम्मेदार है .
एक समाचार पत्र ने तो जया बच्‍चन का समाचार और जया प्रदा की फोटो साथ साथ डाल दी थी ... काम के दवाब में भी ये सब गलतियां हो जाती होंगी ... पर इस तरह गलत सूचना नहीं दी जानी चाहिए।
कुश said…
हा हा.!!! ऐसा तो कई बार होता है.. आप इस लिंकपर इस तरह की और भी ख़बरे देख सकती है..
हा हा हा. मजेदार. लेंट period में अहन तो समाज के लोग घर घर जाकर (turn by turn) प्रार्थना करते हैं. आभार.
Unknown said…
रोचक रही यह पोस्ट ।
संतों के दर्शन हुये! बहुत धन्यवाद।
कालान्तर में ये मूर्तियां संसद भवन में लगाई जायेंगी?!
Anonymous said…
हा हा हा आजकल ये लोग तो संत ही बने हुए है..........
हो जाता है ऐसा

गलतियां कौन नहीं करता

भगवान से भी हुई

और अब सारे ब्‍लॉगर मिलकर सुधार रहे हैं

:)
अक्सर ऐसा हो जाता है ,
अच्छा है पढ़ के कुछ आनंद आ जाता है .
इसे कहते हैँ ,News का News
और मुफ्त मेँ मनोरँजन ! :-)
स स्नेह,
- लावण्या
बहुत तेज़ दिमाग की जरूरत है इन गलतियों को खोजने के लिए
ऐसा तो कई बार होता है....रोचक.
रोचक खोजा।
बहुत तीखी नजर है आप की, बहुत रोचक.
धन्यवाद
बहुत तीखी नजर है आप की, बहुत रोचक.
धन्यवाद
अच्‍छा गलता पकड़ा है आपने

वैसे यह काम तो बालेन्‍दु दाधीच जी

बखूबी करते हैं

और उनका एक ब्‍लॉग

अखबारों की इन्‍हीं करतूतों

का बखान करता है।

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