अति शांत किचन ( छठां दिन )

क्यूँ आपको नहीं लग रहा है कि किचन में बहुत शांति है । जब से कवैरंटाईन शुरू हुआ है तब से ना तो खाना बनाने वाली और ना ही झाड़ू वाली घर पर काम करने आ रही है । हमने तो इक्कीस मार्च से ही अपनी पार्वती को छुट्टी दे दी थी ये कहकर कि अगर सब ठीक रहा तो पहली अप्रैल से आना ।


खैर अब तो इक्कीस दिन के कवैरंटाईन के चलते तो पन्द्रह अप्रैल या उससे आगे भी घर पर ही रहना हो सकता है ।


पिछले कई सालों से जब से हमने खाना बनाने वाली रखना शुरू किया तब से हमने खाना बनाना बहुत कम कर दिया था । हाँ बस कुछ स्पेशल अवसर हो या कोई स्पेशल डिश बनानी हो या कुछ स्पेशल नाश्ता बनाना हो तो ही हम किचन का रूख करते थे । पर अब तो रोज़ ही हम किचन का रूख करते है । 😋


अब ऐसे तो पार्वती के आते ही चाय का दौर शुरू होता । वैसे ये अभी भी बरक़रार है बस फ़र्क़ ये है कि अब हम आवाज़ नहीं लगाते है कि पार्वती चाय बना दो । जब भी चाय या कॉफ़ी पीनी होती है तो खुद ही किचन में जाकर बना लेते है ।


नाश्ता क्या बनेगा या खाने में क्या क्या बनना है ।हर थोड़ी देर पर या तो पार्वती कुछ पूछने के लिये आवाज़ लगाती या फिर हम उसे कुछ बताने के लिये आवाज़ लगाते रहते । पर अब तो बस जो भी बनाना होता है तो बस बना लेते है ।


हर थोड़ी देर पर किचन से आवाज़ें आती रहती कभी बर्तन खनकने की तो कभी कभी किसी चीज़ के गिरने की आवाज़ आने पर हम भी या तो कमरे से ही आवाज़ लगाकर या फिर किचन में आकर पूछते और देखते कि क्या कुछ टूटा या गिरा है । 😊



कभी सोचा ना था कि इतना शांत किचन भी अखरेगा क्योंकि काम तो सब हो ही रहे है पर अब एक आदत सी हो गयी है कि किचन में खटर पटर होती रहे ।

क्या आपको ऐसा नहीं लग रहा है कि किचन कुछ ज़्यादा ही शांत हो गया है ।







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