प्रदूषण और हम लोग

यूँ तो ये ही कहा जाता है कि दिल्ली में बहुत प्रदूषण है पर ऐसा नहीं है कि सिर्फ़ दिल्ली में ही प्रदूषण है । क्या दिल्ली क्या लखनऊ क्या कोलकाता हर शहर में ही प्रदूषण बहुत ज़्यादा है ।

पहले तो हम बस टी.वी. पर ही प्रदूषण का स्तर देखते थे जिसमें दिल्ली, नोएडा और गुरूग्राम का ही प्रदूषण स्तर दिखाते थे । पहले तो पी. एम. लेवल क्या होता है ज़्यादा पता ही नहीं था । पर अभी हाल में जब से प्रदूषण की ऐप फोन पर लगाई है तब पता चला कि ना केवल दिल्ली बल्कि भारत के कई राज्य प्रदूषण की चपेट में है । पूरे जाड़े दिल्ली और आसपास के इलाक़ों का यही हाल रहता है ।

पहले तो कोहरा छाया करता था पर अब तो कोहरे की जगह स्मॉग ने ले ली है । कोहरा तो फिर भी छँट जाता था पर ये स्मॉग छँटता है तब भी ख़तरनाक ही रहता है ।

आजकल तो ये हाल हो गया है कि ना सुबह और ना ही शाम का समय वॉक के लिये ठीक समझा जा रहा है क्योंकि प्रदूषण इस समय सबसे ज़्यादा होता है । और हर कोई यही सलाह भी देता है कि प्रदूषण में वॉक नहीं करनी चाहिये । अभी दो दिन पहले अखबार में ख़बर छपी थी कि पिछले साल प्रदूषण की वजह से बहुत लोग बीमार हो गये थे । अब भला ऐसी ख़बर पढ़कर कौन जान जोखिम में डालेगा । और अब तो हर साल बीमार पड़ने वालों की संख्या बढ़ती ही जा रही है ।

वैसे प्रदूषण से बचने के लिये मास्क आते है जिन्हें लगाकर वॉक किया जा सकता है । पर चूँकि अधिकतर क्या सारे लोग बिना मास्क के होते है तो मास्क पहनने वाले को लोग अजीबोग़रीब नज़र से देखते है मानो वो कोई एलियन हो । हालाँकि मास्क लगाने के बाद पता चलता है कि हवा में कितना ज़्यादा प्रदूषण है क्योंकि जैसे ही मास्क हटाते है तो पता लगता है कि हवा में कितना भारीपन है और जैसे कुछ जला हुआ हो ।

घर पर तो एयर प्यूरिफायर लगा सकते है और हमने लगाया भी है क्योंकि दो साल पहले दिवाली के दिन और उसके बाद हमारे घर में इतना धुंआ सा भर गया था कि साँस लेना मुश्किल हो गया था तब इस फ़िलिप्स एयर प्यूरिफायर की बदौलत ही हमारा घर प्रदूषण मुक्त हुआ था ।

अब घर पर एयर प्यूरिफायर और बाहर मास्क लगाकर रखना पड़ेगा ठीक वैसे ही जैसे अब हर घर में पानी के लिये एक्वागार्ड होता है । पर इससे तो हम लोग और भी सेंसटिव हो जायेंगे पर और कोई चारा भी तो नहीं है ।

फिलहाल इस साल अभी तक दिल्ली में सूर्य देवता के दर्शन तो हो रहे है पर इससे प्रदूषण पर कोई असर नहीं पड़ता है । जहाँ प्रदूषण का सामान्य स्तर चालीस या हद से हद पचास तक होना चाहिये जो कि एक सपने जैसा ही है । क्योंकि दिल्ली में तो डेढ़ या दो सौ भी हो तो ग़नीमत है । क्योंकि यहाँ तो चार सौ से आठ सौ तक प्रदूषण का लेवल बढ़ जाता है ।

अब भला इंसान करे तो क्या करे । घर से निकलना तो बंद नही कर सकता है । फिर चाहे कितनी भी चेतावनी क्यूँ ना दी जाये ।
बड़े ही अफ़सोस और चिन्ता की बात है ।




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