ग्रीस यात्रा विवरण ( ऐथेंस )

इस साल अक्तूबर में हम दस दिन के लिये ग्रीस घूमने गये थे । यूँ तो हमें इस यात्रा का विवरण पहले ही लिखना था पर कुछ थकान और फिर दीपावली के कारण लिख नहीं पाये थे ।

ग्रीस घूमने जाने का प्रोग्राम यूँ ही नहीं बन गया था । दरअसल ऐमैजोन स्टिक से टी.वी. पर जब भी कुछ ना देख रहे हों तो दुनिया के बहुत सारे शहरों की फ़ोटो डिसप्ले होती रहती है और उसी में ग्रीस की विंडमिल वग़ैरा दिखती थी तो बस तय हुआ कि अबकी बार ग्रीस ही चला जाये । 😋

पन्द्रह अक्तूबर को हम लोगों ने सुबह पाँच बजे की पलाइट से एथेंस ( ग्रीस ) के लिये अपनी यात्रा शुरू की । चूँकि डायरेक्ट पलाइट नहीं है ऐथेंस के लिये तो हम लोग आबू धाबी होते हुये दोपहर तीन बजे वहाँ के टाइम से ऐथेंस पहुँचे । हम चले तो अपने इंडियन समय से पर पहुँचे यूरोपियन टाइम से ।

एयरपोर्ट से बाहर निकल कर टैक्सी से अपने होटल पाइथागोरियन पहुँचे और चूँकि पलाइट लम्बी थी और हम पलाइट में ज़्यादा सोते नहीं है बल्कि पलाइट मैप देखते रहते है तो इस वजह से थोड़े थक से गये थे । इसलिये चाय वग़ैरा पीकर पहले थोड़ा आराम करके सोचा गया कि शाम को ऐथेंस शहर को घूमकर देखा जाये ।

ऐथेंस की सड़कों पर हर तरह के वाहन नज़र आते है जैसे कार , विंटेज ट्राली बस (जिसमें दो बसें जुड़ी होती है ) , बस, ट्राम ,स्कूटर और बाईक वग़ैरह । कारें तो एक से बढ़कर एक और मज़े की बात की सड़क पर ना तो कोई ट्रैफ़िक जाम और ना ही कोई हॉर्न बजाता है । हर कोई ट्रैफ़िक सिस्टम को फ़ॉलो करता है । सब अपनी लेन में चलते है मजाल है कि कोई बस कार की लेन में चले ।

टैक्सी सिस्टम भी बहुत अच्छा और सस्ता है ऐसा हम इसलिये कह सकते है कयोकि हम लोग टैक्सी लेते थे । कहीं भी तीन या पाँच यूरो ( वहाँ की लोकल करेंसी ) में पहुँच सकते है । वैसे कुछ लुटटू टाइप टैक्सी वाले वहाँ भी होते है जो तीन यूरो की जगह दस यूरो माँगते है । और बहुत पाकिस्तानी टैक्सी ड्राइवर होते है जो हिन्दी में बात करने पर ज़ोर देते है और कहते है कि अपनी ज़ुबान में बात करने का मजा़ ही कुछ और है ।

दो घंटे आराम करने के बाद हम लोग घूमने निकल पड़े । होटल से निकल कर हम लोग बस चलने लगे और साफ़ सुथरे शहर को देखते हुये चलते रहे । जरा आगे जाने पर नेशनल आर्कियोलाजिकल म्यूज़ियम का बोर्ड दिखा तो हम लोग म्यूज़ियम देखने चल पड़े । दस मिनट की वॉक के बाद हम लोग म्यूज़ियम के सामने थे और चूँकि शाम के साढ़े छ: बज रहे थे तो हमे लग रहा था कि म्यूज़ियम बंद हो गया होगा पर आश्चर्य कि म्यूज़ियम खुला था । और रात आठ बजे तक खुला रहता है । वैसे ग्रीस में ज़्यादातर म्यूज़ियम रात तक खुले रहते है और हर एक का खुलने और बंद होने का समय अलग अलग होता है ।

म्यूज़ियम में प्रवेश करते ही सबसे पहले बैग जमा करना पड़ता है । ये आर्कियोलाजिकल म्यूज़ियम बड़ा और काफ़ी अच्छा है । और इसमें बहुत सारे सेक्शन है । हर सेकशन में अलग तरह की चीज़ें देखने को मिलती है ।जहाँ आदि क़ालीन ,नव पाषाण युग क़ालीन वस्तुयें देखने को मिलती है । अन्दर जाते ही सबसे पहले समुद्र से मिली हुई कांसे की बनी हुई जियस या पोसिडन की बड़ी सी प्रतिमा दिखाई देती ,जोकि ग्रीक भगवान माने जाते है ।

यहाँ से आगे बढ़ने पर ऐथेना की प्रतिमा दिखाई देती है । वैसे इस म्यूज़ियम में बहुत सारी प्रतिमायें क्षत विक्षत (टूटी हुई ) भी है पर फिर भी उन्हें बडे ही दिलचस्प अंदाज में म्यूज़ियम में लगा रखा है । हर प्रतिमा पर उसके बारे में लिखा है जिसे पढ़कर उसका इतिहास जाना जा सकता है वहाँ से आगे चलने पर कांस्य के बडे छोटे बरतन दिखाई देते है। उसके बाद एक सेक्शन में दार्शनिकों के सिर्फ़ सिर बडे बडे स्टैंड पर रखे हुये है । तो वहीं एक सेक्शन में ईजिपशियन मास्क और ईजिपशियन नेकलेस वग़ैरह देखने को मिलते है ।

कुछ पलाइट का हैंगओवर और कुछ म्यूज़ियम के इतने सारे सेक्शन में घूमते घूमते थोड़ी थकान सी महसूस होने लगी तो हम लोग वापिस होटल की ओर चल पडे । और लौटते हुये ऐलेकजेंडर द ग्रेट नाम के रेस्टोरेंट से खाना खाते हुये होटल लौट आये कयोकि अगले दिन एकरोपोलिस देखने जाना था । 🙂



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