मुंबई को नजर लग गई है ...
मुंबई जिसे महानगरी,मायानगरी ,सपनों की नगरी और न जाने क्या-क्या कहा जाता रहा है जहाँ धर्म-जाति या प्रांत के लिए नही बल्कि व्यक्ति को उसके नाम और काम से जाना जाता रहा है ।पर अब ऐसा नही है अब व्यक्ति को उसके नाम और गाँव के नाम से जाना जा रहा है । जनवरी २००८ की शुरुआत से ही मुंबई मे कुछ न कुछ ऐसा घटता चला आ रहा है जिसे देख और पढ़ कर लगता है कि मुंबई को नजर लग गई है ।
अब इस प्रदेश की लड़ाई को ही देख लीजिये धीरे-धीरे कितना विकराल रूप लेती जा रही है । मुंबई जहाँ के लिए कहा जाता रहा है कि वहां धर्म -जात-प्रदेश को महत्त्व नही दिया जाता है अब उसी मुंबई मे इन्ही सब बातों के लिए लोगों को मारा-पीटा जाता है ।
कुछ दिन पहले शुरू हुई प्रदेश की लड़ाई भी अब दिनों दिन बढती ही जा रही है ।चंद रोज पहले railways की परीक्षा देने गए छात्रों के साथ जो कुछ हुआ उस के बारे मे तो हम सभी जान गए है कि किस बुरी तरह से छात्रों की दौड़ा -दौड़ा कर पिटाई की गई । बाद मे पुलिस ने कुछ लोगों को गिरफ्तार भी किया । पर कोई फर्क नही पड़ा ।मुंबई मे हुई छात्रों की पिटाई का बदला , मुंबई से बिहार जानेवाली ट्रेन के ऐ.सी. कोच मे आग लगा कर लिया गया गनीमत थी की यात्रियों को उतार दिया गया था । अभी दो दिन पहले एक बिहारी छात्र राहुल राज को मारा गया (एनकाऊँटर ) तो कल मुंबई की एक लोकल ट्रेन मे एक लेबर को मार दिया गया । आखिर इसका अंत क्या होगा ? कितने लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ेगी इस प्रदेश की लड़ाई मे ।
पर इस तरह का माहौल बना कर ये राजनीतिक पार्टियाँ क्या साबित करना चाहती है । इस तरह से अगर सभी प्रदेश मे लोग व्यवहार करने लगेंगे तो क्या होगा ।
भविष्य मे ये सारे नेता तो लड़ कर आपस मे मिल जायेंगे पर आम जनता के दिल और दिमाग मे प्रदेश और भाषा को लेकर जो नफरत भर रही है उसे कैसे निकाल पायेंगे ।
कहीं ये प्रदेश की आग आज मुंबई कल गुजरात परसों दिल्ली तक न पहुँच जाए ।
इस मुंबई की नजर कौन उतरेगा ?
अब इस प्रदेश की लड़ाई को ही देख लीजिये धीरे-धीरे कितना विकराल रूप लेती जा रही है । मुंबई जहाँ के लिए कहा जाता रहा है कि वहां धर्म -जात-प्रदेश को महत्त्व नही दिया जाता है अब उसी मुंबई मे इन्ही सब बातों के लिए लोगों को मारा-पीटा जाता है ।
कुछ दिन पहले शुरू हुई प्रदेश की लड़ाई भी अब दिनों दिन बढती ही जा रही है ।चंद रोज पहले railways की परीक्षा देने गए छात्रों के साथ जो कुछ हुआ उस के बारे मे तो हम सभी जान गए है कि किस बुरी तरह से छात्रों की दौड़ा -दौड़ा कर पिटाई की गई । बाद मे पुलिस ने कुछ लोगों को गिरफ्तार भी किया । पर कोई फर्क नही पड़ा ।मुंबई मे हुई छात्रों की पिटाई का बदला , मुंबई से बिहार जानेवाली ट्रेन के ऐ.सी. कोच मे आग लगा कर लिया गया गनीमत थी की यात्रियों को उतार दिया गया था । अभी दो दिन पहले एक बिहारी छात्र राहुल राज को मारा गया (एनकाऊँटर ) तो कल मुंबई की एक लोकल ट्रेन मे एक लेबर को मार दिया गया । आखिर इसका अंत क्या होगा ? कितने लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ेगी इस प्रदेश की लड़ाई मे ।
पर इस तरह का माहौल बना कर ये राजनीतिक पार्टियाँ क्या साबित करना चाहती है । इस तरह से अगर सभी प्रदेश मे लोग व्यवहार करने लगेंगे तो क्या होगा ।
भविष्य मे ये सारे नेता तो लड़ कर आपस मे मिल जायेंगे पर आम जनता के दिल और दिमाग मे प्रदेश और भाषा को लेकर जो नफरत भर रही है उसे कैसे निकाल पायेंगे ।
कहीं ये प्रदेश की आग आज मुंबई कल गुजरात परसों दिल्ली तक न पहुँच जाए ।
इस मुंबई की नजर कौन उतरेगा ?
Comments
नया साल मुबारक हो ममता जी :)
घुघूती बासूती
किन्तु कमोबेश यही स्थिति देश के हर कोने में है ।
और... यह नज़र नहीं बल्कि राजनीतिक षड़यंत्र है !
जब तक तथाकथित बुद्धिजीवी तबका इसको बेनकाब करने के लिये आगे नहीं आता है, मीडिया के इंज़ीनियर्ड दुष्प्रचार को नहीं नकारता है,
हम यह सब देखने को बाध्य रहेंगे ।
तुम्हारी जैसी जागरूकता जन जन में व्याप्त हो, तो बात बने !
बम्बई, आशा है उबर जायेगा।
आभार.