स्वतन्त्रता दिवस यानी आजादी
स्वतंत्रता = आजादी(फ्रीडम)
दिवस = दिन
स्वतंत्रता दिवस अर्थात आजादी का दिन ।
इन दो शब्दों के महत्त्व को हर कोई जानता है और समझता है। पर हरेक के लिए आजादी का अर्थ शायद अलग -अलग हो सकता है। पर यहां हम कोई और नही अपने देश की आजादी की ही बात कर रहे है। कल देश को आजाद हुए पूरे साठ साल हो जायेंगे। पर इन पिछले साठ सालों मे देश ने कहीं विकास किया है तो कहीं पहले की तरह ही पिछड़ा हुआ है।पिछले साठ सालों मे बहुत कुछ बदला है और आजादी का अर्थ भी अब कुछ बदलता सा लग रहा है।
जब हम लोग छोटे थे तो स्वतंत्रता दिवस का मतलब होता था स्कूल मे पन्द्रह अगस्त को ध्वजारोहन ,परेड,देशभक्ति के गीत ,कई बार खेल प्रतियोगिताएं भी होती थी। और इस सब तैयारी के लिए सारा स्कूल जुटा रहता था। जहाँ देखो बस हर तरफ लोग प्रैक्टिस करते ही नजर आते थे ,पी.टी.टीचर खुले मैदान मे बच्चों को अभ्यास कराते तो music टीचर बच्चों को गाने की प्रैक्टिस कराती तो किसी और क्लास रूम मे टीचर डान्स की प्रैक्टिस कराती होती थी। कुछ बच्चे फैंसी ड्रेस की तैयारी करते थे। हर किसी को १५ अगस्त की सुबह का इन्तजार रहता और हर कोई समय से पहले ही (वो बच्चे भी जो देर से आते थे) स्कूल पहुंच जाता था। मुख्य अध्यापिका ध्वजारोहन करती और फिर उनका भाषण होता और उसके बाद रंगारंग देश भक्ती से ओत- प्रोत कार्यक्रम होते। ऐसे ही एक बार एक कार्यक्रम मे हमारी जिज्जी की एक दोस्त भारत माता बनी थी और करीब तीन मिनट के गाने मे उन्हें पलकें नही झपकानी थी और इसके लिए वो रोज घर मे प्रयास करती थी क्यूंकि शुरू मे थोड़ी ही देर मे आंखों से आंसू बहने लगते थे।और उन्होने अपनी पलकें नही झपकायी। खैर सब कार्यक्रम के बाद मिठाई सारे स्कूल के विद्यार्थियों मे बाँटी जाती थी।और सभी बच्चे मिठाई खाते हुए अपने-अपने घरों को जाते थे।
पर आजकल तो पन्द्रह अगस्त का मतलब स्कूल की छुट्टी। ना तो स्कूल वालों मे कोई उत्साह है इसे मानने का और ना ही बच्चों मे। वैसे बच्चों की इतनी गलती नही भी है क्यूंकि अगर स्कूल कुछ करेगा ही नही तो बच्चे क्या जानेगें। दिल्ली जैसे शहर मे पन्द्रह अगस्त एक दिन पहले ही स्कूलों मे मना लिया जाता है । इसके दो फ़ायदे है एक तो स्वतंत्रता दिवस भी मना लिया गया और दूसरे पन्द्रह को छुट्टी भी हो गयी। स्कूल भी खुश और बच्चे तथा उनके अभिभावक भी खुश।आख़िर स्वतंत्रता दिवस जो है।
हर चैनल वो चाहे रेडियो हो या चाहे टी.वी.देशभक्ति की भावना से भरा लग रहा है। अभी तक तो पन्द्रह अगस्त को सभी चैनल देशभक्ति की फ़िल्में दिखाते थे पर अब तो देशभक्ति के नाम पर कृश दिखाई जाने वाली है।भाई हमे भला इसमे क्या आपत्ति हो सकती है आख़िर स्वतंत्रता दिवस जो है।
अब तो देशभक्ति का पाठ नयी पीढ़ी को समझाने का काम मुन्ना भाई और रंग दे बसंती जैसी फिल्मे करती है। जो एक तरह से अच्छा भी है वरना तो आज के बच्चों को देश पर जान न्योछावर करने वाले वीरों शहीदों बारे मे पता ही नही चलता क्यूंकि अब की पढाई और कोर्स मे बदलाव जो आ गया है।
स्वतंत्रता दिवस इस बार एक और मायने मे अलग है वो ये कि इस बार साठ सालों मे पहली बार देश की पहली महिला राष्ट्रपति ने आज देश के नाम अपना संदेश दिया है।
चलिए हम सभी उन वीर जवानों को याद करें जिन्होंने अपने देश के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी । और स्वतंत्रतता दिवस को उसी भावना से मनाएं जैसे हम सभी को मनाना चाहिऐ।
हिंदी है हम वतन है हिन्दोस्तां हमारा हमारा।
दिवस = दिन
स्वतंत्रता दिवस अर्थात आजादी का दिन ।
इन दो शब्दों के महत्त्व को हर कोई जानता है और समझता है। पर हरेक के लिए आजादी का अर्थ शायद अलग -अलग हो सकता है। पर यहां हम कोई और नही अपने देश की आजादी की ही बात कर रहे है। कल देश को आजाद हुए पूरे साठ साल हो जायेंगे। पर इन पिछले साठ सालों मे देश ने कहीं विकास किया है तो कहीं पहले की तरह ही पिछड़ा हुआ है।पिछले साठ सालों मे बहुत कुछ बदला है और आजादी का अर्थ भी अब कुछ बदलता सा लग रहा है।
जब हम लोग छोटे थे तो स्वतंत्रता दिवस का मतलब होता था स्कूल मे पन्द्रह अगस्त को ध्वजारोहन ,परेड,देशभक्ति के गीत ,कई बार खेल प्रतियोगिताएं भी होती थी। और इस सब तैयारी के लिए सारा स्कूल जुटा रहता था। जहाँ देखो बस हर तरफ लोग प्रैक्टिस करते ही नजर आते थे ,पी.टी.टीचर खुले मैदान मे बच्चों को अभ्यास कराते तो music टीचर बच्चों को गाने की प्रैक्टिस कराती तो किसी और क्लास रूम मे टीचर डान्स की प्रैक्टिस कराती होती थी। कुछ बच्चे फैंसी ड्रेस की तैयारी करते थे। हर किसी को १५ अगस्त की सुबह का इन्तजार रहता और हर कोई समय से पहले ही (वो बच्चे भी जो देर से आते थे) स्कूल पहुंच जाता था। मुख्य अध्यापिका ध्वजारोहन करती और फिर उनका भाषण होता और उसके बाद रंगारंग देश भक्ती से ओत- प्रोत कार्यक्रम होते। ऐसे ही एक बार एक कार्यक्रम मे हमारी जिज्जी की एक दोस्त भारत माता बनी थी और करीब तीन मिनट के गाने मे उन्हें पलकें नही झपकानी थी और इसके लिए वो रोज घर मे प्रयास करती थी क्यूंकि शुरू मे थोड़ी ही देर मे आंखों से आंसू बहने लगते थे।और उन्होने अपनी पलकें नही झपकायी। खैर सब कार्यक्रम के बाद मिठाई सारे स्कूल के विद्यार्थियों मे बाँटी जाती थी।और सभी बच्चे मिठाई खाते हुए अपने-अपने घरों को जाते थे।
पर आजकल तो पन्द्रह अगस्त का मतलब स्कूल की छुट्टी। ना तो स्कूल वालों मे कोई उत्साह है इसे मानने का और ना ही बच्चों मे। वैसे बच्चों की इतनी गलती नही भी है क्यूंकि अगर स्कूल कुछ करेगा ही नही तो बच्चे क्या जानेगें। दिल्ली जैसे शहर मे पन्द्रह अगस्त एक दिन पहले ही स्कूलों मे मना लिया जाता है । इसके दो फ़ायदे है एक तो स्वतंत्रता दिवस भी मना लिया गया और दूसरे पन्द्रह को छुट्टी भी हो गयी। स्कूल भी खुश और बच्चे तथा उनके अभिभावक भी खुश।आख़िर स्वतंत्रता दिवस जो है।
हर चैनल वो चाहे रेडियो हो या चाहे टी.वी.देशभक्ति की भावना से भरा लग रहा है। अभी तक तो पन्द्रह अगस्त को सभी चैनल देशभक्ति की फ़िल्में दिखाते थे पर अब तो देशभक्ति के नाम पर कृश दिखाई जाने वाली है।भाई हमे भला इसमे क्या आपत्ति हो सकती है आख़िर स्वतंत्रता दिवस जो है।
अब तो देशभक्ति का पाठ नयी पीढ़ी को समझाने का काम मुन्ना भाई और रंग दे बसंती जैसी फिल्मे करती है। जो एक तरह से अच्छा भी है वरना तो आज के बच्चों को देश पर जान न्योछावर करने वाले वीरों शहीदों बारे मे पता ही नही चलता क्यूंकि अब की पढाई और कोर्स मे बदलाव जो आ गया है।
स्वतंत्रता दिवस इस बार एक और मायने मे अलग है वो ये कि इस बार साठ सालों मे पहली बार देश की पहली महिला राष्ट्रपति ने आज देश के नाम अपना संदेश दिया है।
चलिए हम सभी उन वीर जवानों को याद करें जिन्होंने अपने देश के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी । और स्वतंत्रतता दिवस को उसी भावना से मनाएं जैसे हम सभी को मनाना चाहिऐ।
हिंदी है हम वतन है हिन्दोस्तां हमारा हमारा।
Comments
आपकी यह रचना भाव-विभोर करने वाली हैं।
दीपक भारतदीप
स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनायें
सही कह रही हैं आप!!
बधाई आपको भी!!
शुभकामनाएं
घुघूती बासूती
स्वतंत्रता दिवस की बधाई.