रक्षा -बन्धन -भाई-बहन का प्यार
आज रक्षा -बन्धन या राखी है ।आज के दिन का सभी भाई और बहनों को इंतज़ार रहता है क्यूंकि ये दिन खास जो है।राखी का त्यौहार मतलब भाई-बहन का प्यार। समय वो चाहे कोई भी जमाना रहा हो राखी का महत्त्व कभी भी कम नही हुआ और ना ही होगा।पहले तो जो बहने दूर होती थी उन्हें भाई को राखी भेजने का एक ही जरिया था और वो था पोस्ट के जरिये राखी भेजना।जिसमे कई बार देर से राखी पहुंचती थी पर अब समय के साथ इन चीजों मे सुधार और बदलाव आ गया है। पिछले कुछ सालों से कोरियर और अब इन्टरनेट के जरिये राखी भेजना आसान हो गया है और सबसे बड़ी बात अब राखी समय पर पहुंच जाती है।
आजकल की भागती-दौड़ती जिंदगी मे जहाँ लोगों के पास समय की कमी हो रही है पर इस राखी के दिन ऐसा बिल्कुल भी नही लगता है। हर छोटे-बडे शहर मे सुबह से शाम तक लोग रंग-बिरंगे कपड़ों मे सजे-धजे सड़कों पर नजर आते है। कहीँ कोई बहन भाई के यहां जा रही होती है तो कहीँ भाई अपनी बहन के घर जा रहे होते है राखी बंधवाने के लिए। दिल्ली मे तो कई बार ट्रैफिक जाम भी हो जाता है क्यूंकि हर किसी को पहुँचने की जल्दी होती है पर कोई भी रुकना नही चाहता है। आप ये तो नही सोच रहे की भला हमे कैसे पता तो भाई वो ऐसे की हमारे पतिदेव की बहन भी दिल्ली मे रहती है और हम जब दिल्ली मे रहते थे तो उनके घर राखी मे जाते थे तब ट्रैफिक जाम मे फंस जाते थे और दिल्ली के ट्रैफिक जाम का हाल तो हम सभी जानते है। वैसे अब तो मेट्रो रेल की वजह से लोगों को काफी आराम हो गया है। और आज के दिन तो मेट्रो रेल हर चार मिनट पर चलेगी जिससे लोगों को आने-जाने मे ज्यादा परेशानी ना हो।
राखी का त्यौहार और हमारा कोई किस्सा ना हो ऐसा कैसे हो सकता है। तो चलिए चूंकि आज राखी के दिन हम अपने भईया से दूर है तो कुछ पुराना किस्सा ही याद कर लेते है। वैसे पहले तो कई बार हम लोग घर मे भी राखी बनाते थे और हम बहनों मे एक होड़ सी होती थी कि किसकी राखी सबसे अच्छी बनेगी।तो ऐसी ही एक राखी की बात है। हम लोगों के यहां या यूं कहें कि शायद सभी के घरों मे जब तक बहने भाई को राखी नही बांधती है भाई और बहन दोनो ही कुछ नही खाते है।हम सभी बहने सुबह उठकर नहा-धोकर तैयार हो रहे थे भईया को राखी बाँधने के लिए पर भईया का कहीँ पता ही नही था। क्यूंकि भईया सुबह -सुबह कहीँ चले गए थे। हम चारों बहनों को पता नही था पर पापा-मम्मी को शायद पता था कि भईया कहॉ गए है। पर हम लोगों को बता नही रहे थे क्यूंकि भईया हम लोगों को सरप्राइज देना चाहते थे। और उन्होंने पापा मम्मी को मना किया था कुछ भी बताने से।
हमारे भईया हमेशा ही हम लोगों को राखी मे कुछ ना कुछ तोहफा दिया करते थे । आम तौर पर भईया पहले से ही गिफ्ट खरीद लेते थे और हम लोगों को कई बार गिफ्ट देने मे तंग भी करते थे अरे मतलब चिडाते थे। खैर हम सब तो राखी बाँधने को तैयार पर भैया जी गायब । १० बज गया भईया का कोई सीन नही ११ बज गया पर भईया गायब। अब हम सबको कुछ ग़ुस्सा और कुछ भूख लगने लगी थी । और हम लोग अपने-अपने दिमाग के घोड़े दौडा रहे थे कि आख़िर भईया कहॉ गए है ।पर भूख और ग़ुस्से की वजह से कुछ समझ नही पा रहे थे।
करीब साढे ग्यारह बजे भईया आये और उनके आते ही हम सबने तो जैसे हल्ला बोल दिया कि तुम इतनी देर तक कहां थे। हम लोग कब से इन्तजार कर रहे है वगैरा-वगैरा।उन्होने देर से आने का कोई बहाना बनाया और भईया बोले कि चलो अब तो राखी बाँधो।और भईया अपने पीछे कुछ छिपा कर बैठ गए । तो फिर हम सबने एक-एक कर के राखी बाँधी और भईया ने सबको शगुन के रूपये दिए।जब हम चारों ने राखी बाँध ली तो उन्होने हम सभी को बुलाया और मुकेश का डबल एल .पी.रेकॉर्ड जो मुकेश के लंदन के आख़िरी शो (कन्सर्ट ) का था वो हम चारों को एक combine गिफ्ट के तौर पर दिया । रेकॉर्ड देखते ही हम सभी ख़ुशी से उछाल पडे । और उनके इस सरप्राइज गिफ्ट से हम सबका ग़ुस्सा उड़न छू हो गया। और हम लोगों ने फ़टाफ़ट स्टीरियो पर रेकॉर्ड लगाया और नाश्ता करने बैठ गए।
नाश्ता करते हुए हम लोगों ने भईया से पूछा की अगर तुम्हारे पास रेकॉर्ड था तो इतनी देर कहां थे. तो भईया बोले की वो चौक गए थे । और चूंकि दुकान १० बजे बाद खुलती है इसलिये देर हो गयी। और फिर उन्होंने रेकॉर्ड खरीदने की पूरी कहानी बताई की एक दिन पहले उन्होने सिविल लाइन मे रेकॉर्ड ढूँढा था पर उन्हें नही मिला था . चूंकि उस शो के बाद मुकेश की मृत्यु हो गयी थी। और चूंकि वो मुकेश का आख़िरी शो था इसीलिये उस रेकॉर्ड की बाजार मे ख़ूब बिक्री हो रही थी। और चौक मे जो रेकॉर्ड की बड़ी सी दुकान थी शायद कोई सरदार जी की दुकान थी , हमे उस दुकान का नाम नही याद आ रहा है,वहां ये रेकॉर्ड मिल रहा था इसीलिये भईया राखी के दिन सुबह-सुबह चौक गए थे उस दुकान से हम बहनों के लिए रेकॉर्ड खरीदने। उनके इतना कहते ही हम सभी के मुंह से निकला की भईया तुम भी कमाल हो।
तो ये तो था हमारा किस्सा। आज राखी के दिन आप सभी भाईयों और बहनो को रक्षा-बन्धन की हार्दिक बधाई और शुभकामनायें।
आजकल की भागती-दौड़ती जिंदगी मे जहाँ लोगों के पास समय की कमी हो रही है पर इस राखी के दिन ऐसा बिल्कुल भी नही लगता है। हर छोटे-बडे शहर मे सुबह से शाम तक लोग रंग-बिरंगे कपड़ों मे सजे-धजे सड़कों पर नजर आते है। कहीँ कोई बहन भाई के यहां जा रही होती है तो कहीँ भाई अपनी बहन के घर जा रहे होते है राखी बंधवाने के लिए। दिल्ली मे तो कई बार ट्रैफिक जाम भी हो जाता है क्यूंकि हर किसी को पहुँचने की जल्दी होती है पर कोई भी रुकना नही चाहता है। आप ये तो नही सोच रहे की भला हमे कैसे पता तो भाई वो ऐसे की हमारे पतिदेव की बहन भी दिल्ली मे रहती है और हम जब दिल्ली मे रहते थे तो उनके घर राखी मे जाते थे तब ट्रैफिक जाम मे फंस जाते थे और दिल्ली के ट्रैफिक जाम का हाल तो हम सभी जानते है। वैसे अब तो मेट्रो रेल की वजह से लोगों को काफी आराम हो गया है। और आज के दिन तो मेट्रो रेल हर चार मिनट पर चलेगी जिससे लोगों को आने-जाने मे ज्यादा परेशानी ना हो।
राखी का त्यौहार और हमारा कोई किस्सा ना हो ऐसा कैसे हो सकता है। तो चलिए चूंकि आज राखी के दिन हम अपने भईया से दूर है तो कुछ पुराना किस्सा ही याद कर लेते है। वैसे पहले तो कई बार हम लोग घर मे भी राखी बनाते थे और हम बहनों मे एक होड़ सी होती थी कि किसकी राखी सबसे अच्छी बनेगी।तो ऐसी ही एक राखी की बात है। हम लोगों के यहां या यूं कहें कि शायद सभी के घरों मे जब तक बहने भाई को राखी नही बांधती है भाई और बहन दोनो ही कुछ नही खाते है।हम सभी बहने सुबह उठकर नहा-धोकर तैयार हो रहे थे भईया को राखी बाँधने के लिए पर भईया का कहीँ पता ही नही था। क्यूंकि भईया सुबह -सुबह कहीँ चले गए थे। हम चारों बहनों को पता नही था पर पापा-मम्मी को शायद पता था कि भईया कहॉ गए है। पर हम लोगों को बता नही रहे थे क्यूंकि भईया हम लोगों को सरप्राइज देना चाहते थे। और उन्होंने पापा मम्मी को मना किया था कुछ भी बताने से।
हमारे भईया हमेशा ही हम लोगों को राखी मे कुछ ना कुछ तोहफा दिया करते थे । आम तौर पर भईया पहले से ही गिफ्ट खरीद लेते थे और हम लोगों को कई बार गिफ्ट देने मे तंग भी करते थे अरे मतलब चिडाते थे। खैर हम सब तो राखी बाँधने को तैयार पर भैया जी गायब । १० बज गया भईया का कोई सीन नही ११ बज गया पर भईया गायब। अब हम सबको कुछ ग़ुस्सा और कुछ भूख लगने लगी थी । और हम लोग अपने-अपने दिमाग के घोड़े दौडा रहे थे कि आख़िर भईया कहॉ गए है ।पर भूख और ग़ुस्से की वजह से कुछ समझ नही पा रहे थे।
करीब साढे ग्यारह बजे भईया आये और उनके आते ही हम सबने तो जैसे हल्ला बोल दिया कि तुम इतनी देर तक कहां थे। हम लोग कब से इन्तजार कर रहे है वगैरा-वगैरा।उन्होने देर से आने का कोई बहाना बनाया और भईया बोले कि चलो अब तो राखी बाँधो।और भईया अपने पीछे कुछ छिपा कर बैठ गए । तो फिर हम सबने एक-एक कर के राखी बाँधी और भईया ने सबको शगुन के रूपये दिए।जब हम चारों ने राखी बाँध ली तो उन्होने हम सभी को बुलाया और मुकेश का डबल एल .पी.रेकॉर्ड जो मुकेश के लंदन के आख़िरी शो (कन्सर्ट ) का था वो हम चारों को एक combine गिफ्ट के तौर पर दिया । रेकॉर्ड देखते ही हम सभी ख़ुशी से उछाल पडे । और उनके इस सरप्राइज गिफ्ट से हम सबका ग़ुस्सा उड़न छू हो गया। और हम लोगों ने फ़टाफ़ट स्टीरियो पर रेकॉर्ड लगाया और नाश्ता करने बैठ गए।
नाश्ता करते हुए हम लोगों ने भईया से पूछा की अगर तुम्हारे पास रेकॉर्ड था तो इतनी देर कहां थे. तो भईया बोले की वो चौक गए थे । और चूंकि दुकान १० बजे बाद खुलती है इसलिये देर हो गयी। और फिर उन्होंने रेकॉर्ड खरीदने की पूरी कहानी बताई की एक दिन पहले उन्होने सिविल लाइन मे रेकॉर्ड ढूँढा था पर उन्हें नही मिला था . चूंकि उस शो के बाद मुकेश की मृत्यु हो गयी थी। और चूंकि वो मुकेश का आख़िरी शो था इसीलिये उस रेकॉर्ड की बाजार मे ख़ूब बिक्री हो रही थी। और चौक मे जो रेकॉर्ड की बड़ी सी दुकान थी शायद कोई सरदार जी की दुकान थी , हमे उस दुकान का नाम नही याद आ रहा है,वहां ये रेकॉर्ड मिल रहा था इसीलिये भईया राखी के दिन सुबह-सुबह चौक गए थे उस दुकान से हम बहनों के लिए रेकॉर्ड खरीदने। उनके इतना कहते ही हम सभी के मुंह से निकला की भईया तुम भी कमाल हो।
तो ये तो था हमारा किस्सा। आज राखी के दिन आप सभी भाईयों और बहनो को रक्षा-बन्धन की हार्दिक बधाई और शुभकामनायें।
Comments
दीपक भारतदीप
मेरी बहन की राखी तो कुरियर वाले ने लेट कर दी. लिहाजा खुद खरीदी और बांधी. बहन को फोन पर बता दिया. :)
क्या कहें मेरी तो कोई बहन ही नहीं है तो
इस पर्व का मर्म नहीं समझ सकता…।
http://ek-shaam-mere-naam.blogspot.com/2007/08/blog-post_27.html
शुक्रिया mamataajii , आपकी प्रतिक्रिया से उत्साह बढ़ता है.