गर्दिश मे सितारे
आज तो मुकेश का गाया हुआ गाना याद आ गया
गर्दिश मे हों तारे ,ना घबराना प्यारे
आजकल फिल्म इंडस्ट्री की हालत कुछ ऐसी ही हो रही है जिसके तारे और सितारे दोनो ही गर्दिश मे है।इंडस्ट्री के तारे इसलिये गर्दिश मे है क्यूंकि ज्यादातर फ़िल्में फ्लॉप हो जाती है और सितारे गर्दिश मे है ये तो हम सभी जानते है मतलब जहाँ कभी संजय दत्त जेल के अन्दर जाते है तो कभी सलमान खान । खैर संजय दत्त तो फिलहाल जेल से बाहर आ गए है पर सलमान खान कितने दिन जेल मे रहेंगे ,ये कहना मुश्किल है। संजय दत्त तो तेईस दिन मे जेल से बाहर आ गए पर सलमान खान का तो फिलहाल कोई सीन नजर नही आ रहा है।बाक़ी तो ऊपर वाला जाने।
सितारों के जेल जाने मे निर्माता का तो जो नुकसान होता है वो अब २-४ करोड़ नही बल्कि १००-२०० करोड़ का होता है। अब वो क्या है ना की आजकल लाखों मे तो कोई फिल्म बनती ही नही है।वो भी इतने बडे सितारों के साथ तो छोटी-मोती फिल्म बनना नामुमकिन है। मामूली से मामूली पिटे हुए निर्माता अतुल अग्निहोत्री जैसे जब २० करोड़ की फिल्म बना सकते है तो बडे निर्माताओं का क्या कहना। अब अगर संजय दत्त पर फिल्म वालों का ५०-६० करोड़ या कुछ कम ज्यादा रुपया लगा था तो सलमान पर १०० -२०० करोड़ लगा है। ऐसा कहा जा रहा है। अब देखना है कि कितने निर्माताओं की नैया पार होती है और कितने डूबते है।
अब संजय दत्त हों या सलमान खान जब गलती की है तो सजा तो मिलेगी ही। अब चाहे संजय ने गन रखी हो या सलमान ने चिंकारा का शिकार किया हो।भाई गलत तो गलत है। अब बाद मे भले ही समाज सेवा करें पर क्या उससे गलती गलती नही रहेगी।माना की परिवार की सुरक्षा के लिए ही संजय ने गन ली थी पर उसे नष्ट करना गलत था। और सलमान तो खैर अपने ही शिकार मे फंस गए है। अरे शिकार पर एक और की याद आ गयी । जी हाँ बिल्कुल ठीक समझे है आप ,जी हाँ बडे नवाब पटौदी ,उन्होंने भी तो शिकार किया था। पर जब सजा सुनाई जाती है तो हर तरफ हाय-तौबा मच जाती है। टी.वी.और सारे अखबार इन्ही ख़बरों से पाट दिए जाते है।
सितारों के जेल के अन्दर और बाहर होने मे घरवाले और सितारे तो परेशान होते है पर हमारे ख़्याल से सबसे ज्यादा परेशान इनको चाहने वाले इनके प्रशंसक होते है। इन सितारों के प्रशंसको को कितनी मुसीबत झेलनी पड़ती है ये तो बेचारे प्रशंशक भी नही जान पाते है। कभी पुलिस की लाठी खानी पड़ती है तो कभी ये प्रशंशक कोर्ट मे या जेल के बाहर या इनके घरों के बाहर घंटो इंतज़ार करते है।वैसे पुलिस वालों को भी इन प्रशंसको को रोकने मे कम मशक्कत नही करनी पड़ती है। धूप हो बारिश हो किसी की भी परवाह ना करते हुए ये प्रशंसक अपनी जगह डटे रहते है।
डटे रहने मे तो मीडिया भी इन प्रशंसको से पीछे नही है। जब संजय दत्त जेल गए तो भी मीडिया के लोग अपनी-अपनी गाड़ियों मे संजय दत्त को ले जा रही पुलिस वन के साथ-साथ अपनी कार दौडाते रहे और बीच-बीच मे दूसरी गाड़ियों जिनमे संजय के दोस्त वगैरा थे उन्हें भी दिखाते थे।मीडिया वाले खुद तो कहते कि संजय के दोस्त कितनी तेज गाड़ी चला रहे है पर शायद संजय की एक झलक देखने और दिखाने के लिए वो लोग अपनी - अपनी गाड़ी उतनी ही तेज चला रहे थे। इसी तरह जब संजय जेल से वापिस आये तो भी मीडिया वाले सारे रास्ते उसकी गाड़ी का पीछा करते हुए दिखाए गए। और आज सलमान खान के पीछे भागते नजर आये।
अब जब कोर्ट ने सजा सुना दी तब भी लोग परेशान है की क्या न्याय की नजर मे सब एक है। पर अगर कोर्ट उन्हें छोड़ देती तो भी लोग चुप नही रहते क्यूंकि तब ये सवाल उठता की कानून की नजर मे सब बराबर नही है। सारी फिल्म इंडस्ट्री सजा सुनाये जाने पर यकीन क्यों नही कर पाती है । ये समझना जरा मुश्किल है। हर कोई ये ही कहता नजर आता है कि इतनी ज्यादा कड़ी सजा नही मिलनी चाहिऐ थी। पर आख़िर क्यूँ। अरे भाई तो इसका सीधा सा जवाब है कि सबको अपने किये की सजा यहीं मिलती है।
संजू बाबा और सल्लू मियां को अगर छोड़ दिया जाए तो शायद उनके लिए अच्छा ही होगा। पर ऐसा कहॉ हो सकता है ।
गर्दिश मे हों तारे ,ना घबराना प्यारे
आजकल फिल्म इंडस्ट्री की हालत कुछ ऐसी ही हो रही है जिसके तारे और सितारे दोनो ही गर्दिश मे है।इंडस्ट्री के तारे इसलिये गर्दिश मे है क्यूंकि ज्यादातर फ़िल्में फ्लॉप हो जाती है और सितारे गर्दिश मे है ये तो हम सभी जानते है मतलब जहाँ कभी संजय दत्त जेल के अन्दर जाते है तो कभी सलमान खान । खैर संजय दत्त तो फिलहाल जेल से बाहर आ गए है पर सलमान खान कितने दिन जेल मे रहेंगे ,ये कहना मुश्किल है। संजय दत्त तो तेईस दिन मे जेल से बाहर आ गए पर सलमान खान का तो फिलहाल कोई सीन नजर नही आ रहा है।बाक़ी तो ऊपर वाला जाने।
सितारों के जेल जाने मे निर्माता का तो जो नुकसान होता है वो अब २-४ करोड़ नही बल्कि १००-२०० करोड़ का होता है। अब वो क्या है ना की आजकल लाखों मे तो कोई फिल्म बनती ही नही है।वो भी इतने बडे सितारों के साथ तो छोटी-मोती फिल्म बनना नामुमकिन है। मामूली से मामूली पिटे हुए निर्माता अतुल अग्निहोत्री जैसे जब २० करोड़ की फिल्म बना सकते है तो बडे निर्माताओं का क्या कहना। अब अगर संजय दत्त पर फिल्म वालों का ५०-६० करोड़ या कुछ कम ज्यादा रुपया लगा था तो सलमान पर १०० -२०० करोड़ लगा है। ऐसा कहा जा रहा है। अब देखना है कि कितने निर्माताओं की नैया पार होती है और कितने डूबते है।
अब संजय दत्त हों या सलमान खान जब गलती की है तो सजा तो मिलेगी ही। अब चाहे संजय ने गन रखी हो या सलमान ने चिंकारा का शिकार किया हो।भाई गलत तो गलत है। अब बाद मे भले ही समाज सेवा करें पर क्या उससे गलती गलती नही रहेगी।माना की परिवार की सुरक्षा के लिए ही संजय ने गन ली थी पर उसे नष्ट करना गलत था। और सलमान तो खैर अपने ही शिकार मे फंस गए है। अरे शिकार पर एक और की याद आ गयी । जी हाँ बिल्कुल ठीक समझे है आप ,जी हाँ बडे नवाब पटौदी ,उन्होंने भी तो शिकार किया था। पर जब सजा सुनाई जाती है तो हर तरफ हाय-तौबा मच जाती है। टी.वी.और सारे अखबार इन्ही ख़बरों से पाट दिए जाते है।
सितारों के जेल के अन्दर और बाहर होने मे घरवाले और सितारे तो परेशान होते है पर हमारे ख़्याल से सबसे ज्यादा परेशान इनको चाहने वाले इनके प्रशंसक होते है। इन सितारों के प्रशंसको को कितनी मुसीबत झेलनी पड़ती है ये तो बेचारे प्रशंशक भी नही जान पाते है। कभी पुलिस की लाठी खानी पड़ती है तो कभी ये प्रशंशक कोर्ट मे या जेल के बाहर या इनके घरों के बाहर घंटो इंतज़ार करते है।वैसे पुलिस वालों को भी इन प्रशंसको को रोकने मे कम मशक्कत नही करनी पड़ती है। धूप हो बारिश हो किसी की भी परवाह ना करते हुए ये प्रशंसक अपनी जगह डटे रहते है।
डटे रहने मे तो मीडिया भी इन प्रशंसको से पीछे नही है। जब संजय दत्त जेल गए तो भी मीडिया के लोग अपनी-अपनी गाड़ियों मे संजय दत्त को ले जा रही पुलिस वन के साथ-साथ अपनी कार दौडाते रहे और बीच-बीच मे दूसरी गाड़ियों जिनमे संजय के दोस्त वगैरा थे उन्हें भी दिखाते थे।मीडिया वाले खुद तो कहते कि संजय के दोस्त कितनी तेज गाड़ी चला रहे है पर शायद संजय की एक झलक देखने और दिखाने के लिए वो लोग अपनी - अपनी गाड़ी उतनी ही तेज चला रहे थे। इसी तरह जब संजय जेल से वापिस आये तो भी मीडिया वाले सारे रास्ते उसकी गाड़ी का पीछा करते हुए दिखाए गए। और आज सलमान खान के पीछे भागते नजर आये।
अब जब कोर्ट ने सजा सुना दी तब भी लोग परेशान है की क्या न्याय की नजर मे सब एक है। पर अगर कोर्ट उन्हें छोड़ देती तो भी लोग चुप नही रहते क्यूंकि तब ये सवाल उठता की कानून की नजर मे सब बराबर नही है। सारी फिल्म इंडस्ट्री सजा सुनाये जाने पर यकीन क्यों नही कर पाती है । ये समझना जरा मुश्किल है। हर कोई ये ही कहता नजर आता है कि इतनी ज्यादा कड़ी सजा नही मिलनी चाहिऐ थी। पर आख़िर क्यूँ। अरे भाई तो इसका सीधा सा जवाब है कि सबको अपने किये की सजा यहीं मिलती है।
संजू बाबा और सल्लू मियां को अगर छोड़ दिया जाए तो शायद उनके लिए अच्छा ही होगा। पर ऐसा कहॉ हो सकता है ।
Comments
"जैसे कर्म करेगा वैसे फल देगा भगवान"... जो किया है जैसा किया है वैसा तो भुगतना ही पडेगा ."बोया पेड बबूल का तो फल कहाँ से होए?"
लेकिन मेरे ख्याल से मीडिया गर्म तवे पे ही रोटी सेंकना जानता है बस, अभी हाय-तौबा मचाई जा रही है संजय और सलमान को लेकर लेकिन पुराने हो चुके पटौदी मामले की खबर धूल भरी फाईलों कहीं गुम दिखई देती है . कुछ दिनों बाद इन दोनों का मामला भी ठण्डे बस्ते में डला दिखाई देगा .यहाँ चढते सूरज को ही नमस्कार है भले ही वो काला सूरज क्यों ना हो
घुघूती बासूती
जैसी करनी वैसी भरनी ।
अभी इस विषय पर कुछ खास नहीं कहा जा सकता है, देखिये उच्च न्यायालय का क्या निर्णय आता है ।
दीपक भारतदीप